सपना था शिक्षक बनना, परिस्थतियों ने बना दिया 'सिपाही
प्रयागराज (ब्यूरो)। इन महिलाओं को फिजिकल और रिटेन एग्जाम से सेलेक्ट होने के बाद पुलिस लाइंस में ट्रेनिंग के लिए भेजा गया था। रिक्रूट ट्रेङ्क्षनग सेंटर में उन्हें छह महीने कड़ी ट्रेनिंग दी गयी। इनडोर और आउटडोर ट्रेङ्क्षनग के बाद हुई परफारमेंस के बेस पर शालिनी गौतम, मनीषा पांडेय और सुजाता जायसवाल को परेड कमांडर का दायित्व सौंपा गया। पाङ्क्षसग आउट परेड के लिए कुल आठ टोली बनाई गई थी। एसएसपी ने एकाग्रता, टाइम मैनेजमेंट, जुनून और परफारमेंस क्वालिटी पर फोकस करने का मैसेज दिया। ट्रेनिंग के दौरान सभी को राइफल व पिस्टल चलाने से लेकर कानून का भी पाठ पढ़ाया गया। पुलिस विभाग की फील्ड युनिट का हिस्सा बनने जा रही महिलाओं से दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने सीधे बात की। बातचीत में उन्होंने अपने कॅरियर गोल्स से लेकर फैमिली सपोर्ट तक पर बात की। इसमें कईयों की शादी हो चुकी है। पति और ससुराल वालों का सपोर्ट मिला तो वह यहां तक का सफर पूरा कर लीं। कई ऐसी युवतियां भी इस ग्रुप में है जो टीचर व कम्प्यूटर इंजीनियर बनने का ख्वाब देख रही थीं। मगर, सामने आई पुलिस भर्ती में किस्मत आजमाईं और सफल रहीं।
मेरा पुलिस में आने का कोई इरादा नहीं था। मुझे कम्प्यूटर इंजीनियरिंग में काफी रुचि थी। इसी के अकॉर्डिंग हमने कम्प्यूटर साइंस व हॉर्डवेयर जैसी पढ़ाई भी की। महिला सिपाही भर्ती आई तो किस्मत आजमाने के लिए फार्म डाल दी। ढाई किलो मीटर की रेस होती थी। इसलिए मैं तैयारी के वक्त एक महीने लगातार तीन किलोमीटर तक रेस लगाई। साथ ही पढ़ाई भी करती रही, इस तरह मेरा सिलेक्शन हो गया।
हिमांशी सिंह, कानपुर नगर
संध्या शर्मा, झांसी
बनना तो मैं भी टीचर ही चाहती थी। बीएससी की पढ़ाई पूरी करने के बाद टीचिंग परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी। इस बीच पुलिस में वेकेंसी आई। फिजिकल क्लीयर करने के लिए हर दिन सुबह शाम तीन किलोमीटर रेस लगाती थी। इसके साथ सिपाही भर्ती पर फोकस होकर तैयारी शुरू कर दी। नतीजा सामने है। आगे बढऩे के लिए तैयारी जारी रखूंगी।
रानी गौतम, झांसी
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