लवायनकला में स्थित थी विवादित जमीन

माफिया दिलीप मिश्रा और डॉ एके बंसल के बीच दुश्मनी सिर्फ ढाई बीघा जमीन के लिए हुई थी। यह जमीन दिलीप मिश्रा के क्षेत्र लवायन कला एरिया की है। इस विवादित जमीन को डॉ। बंसल ने खरीदने की कोशिश की थी। जबकि अपनी दबंगई के बूते दिलीप इस पर कब्जा करना चाहता था। इस जमीन को छोड़ने के लिए दिलीप, डॉ। बंसल पर लगातार प्रेशर बना रहा था। फाइनली इस जमीन को डॉ। बंसल ने छोड़ने का फैसला कर लिया था।

आठवीं तक पढ़ा है दिलीप मिश्रा

आठवीं कक्षा पास दिलीप मिश्रा ने नब्बे के दशक में अपराध की दुनिया में कदम रखा था। इसके बाद वह कभी मुड़ कर पीछे नहीं देखा। वक्त और सितारे साथ देते गए और उसके कदम बढ़ते चले गए। एक वक्त ऐसा भी आया जब दिलीप मिश्रा का नाम अपराध की दुनिया में चढ़ गया। अपराध के बूते लोगों में उसके नाम की दहशत फैल गई। इसके दम पर वह बेशुमार दौलत और अकूत सम्पत्तियों का मालिक बन बैठा। बनाई गई ज्यादातर सम्पत्तियां उसके जरिए लोगों को डरा धमका कर लिखवाई गई। क्राइम के जरिए रौब और खौफ बनाने के बाद पुलिस उसके पीछे पड़ गई। इसके बाद उसे राजनीतिक संरक्षण की जरूरत महसूस होने लगी। अपने दबंग छवि के बूते वह न सिर्फ करोड़ों की मिल्कियत अर्जित किया बल्कि चाका ब्लाक प्रमुख भी बन बैठा। ब्लाक प्रमुख बनने के बाद वह सियासी गलियों में भी मजबूत पकड़ बना लिया। अपराध और दौलत के साथ सियासी संरक्षण मिलने के बाद अपना साम्राज्य बढ़ाने में जुट गया।

मंत्री नंदी पर हमले में आया था नाम

पुलिस रेकार्ड में 12 जुलाई 2010 की वह घटना आज भी अंकित है। जिसमें बसपा के कैबिनेट मंत्री रहे नन्द गोपाल गुप्ता पर रिमोट बम से जानलेवा हमला हुआ था। मंत्री पर हुए इस हमले में भी दिलीप मिश्रा का नाम बतौर साजिशकर्ता के रूप में सामने आया था। इसी साल 29 मई को औद्योगिक थाना पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था। अपराधियों के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान के तहत उसके कई निर्माण पर बुलडोजर भी चल चुका है।

ऐसे रजिस्टर्ड हुआ दिलीप का गैंग

करीब दो साल पहले की बात है उस वक्त जिले में एसएसपी के रूप में यहां अभिषेक दीक्षित तैनात थे।

इनके कार्यकाल में माफिया दिलीप मिश्रा का गैंग रजिस्टर्ड किया गया। पुलिस ने दिलीप मिश्रा के साथ उसके दो साथियों दिलीप तिवारी एवं विजय मिश्रा के साथ डी-44 गैंग रजिस्टर्ड किया।

दिलीप मिश्रा की हिस्ट्रीशीट 25-ए है, उसके खिलाफ लूट, हत्या बलवा, सरकारी कार्य में बाधा डालने और लोगों को डरा धमकाकर जमीन पर कब्जा करने जैसे गंभीर मामले दर्ज है।

गैंग रजिस्टर्ड होने के बाद पुलिस द्वारा दिलीप मिश्रा का डोजियर यानी कुंडली भी तैयार की गई।

इसके बाद मालूम चला कि दिलीप सहित उसके परिजनों व रिश्तेदारों एवं साथियों के खिलाफ शस्त्र लाइसेंस भी हैं, जिन्हें चिन्हित किया गया।

डोजियर के मुताबिक दिलीप मिश्रा पर कैबिनेट मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता पर हमले सहित कुल 46 केस दर्ज हैं।

एक मामला इसके खिलाफ महाराष्ट्र में भी दर्ज है। दिलीप के नाम रिवाल्वर व डबल बैरल और रायफल के तीन शस्त्र लाइसेंस स्वीकृत थे।

इसमें से रिवाल्वर सहित कई असलहों का लाइसेंस निरस्त किया जा चुका है।

पुलिस ने जारी किया था दो का स्केच

डॉ। बंसल हत्याकांड का पर्दाफाश करने के लिए पहले पुलिस ने हर हथकंडे का इस्तेमाल किया था। इसमें एक सीसीटीवी फुटेज था। इसमें दो लोगों को भागते हुए देखा गया था। काफी कोशिश के बाद भी पुलिस को यह पता नहीं चल पाया कि ये दोनो कौन हैं। इनकी पहचान कराने के लिए पुलिस ने स्केच भी जारी किया था। एक कई संदिग्ध बदमाशों को पूछताछ के लिए उठाया गया था, मगर उनकी सही पहचान नहीं हो सकी थी। पुलिस ने दो शूटरों का स्केच जारी करते हुए 50-50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया था। हत्याकांड का पर्दाफाश करने में अहम भूमिका निभाने वाले एसटीएफ के डिप्टी एसपी नवेंदु कुमार का कहना है कि सीसीटीवी फुटेज में मो। शोएब और यासिर की तस्वीर कैद हुई थी। इस बारे में पता चलने के बाद ही शोएब मुंबई भाग गया था। दूसरी तस्वीर यासिर की थी, जिसकी हत्या उसके दोस्तों ने ही की थी।

दिलीप मिश्रा समेत तीन का वारंट बी बनवाएगी पुलिस

डॉ। एके बंसल हत्याकांड के मुकदमे के तीन आरोपित जेल में बंद हैं। इसमें हत्या की साजिश रचने के अभियुक्त पूर्व ब्लॉक प्रमुख दिलीप मिश्रा फतेहगढ़, शूटर अख्तर कटरा, सोनभद्र और मो। शोएब लखनऊ जेल में है। मुकदमे में इनका बयान दर्ज करने के लिए कीडगंज पुलिस अब तीनों का वारंट बी बनवाएगी। फिर वारंट तामील करवाने के बाद उन्हें प्रयागराज की कोर्ट में लाकर पेश किया जाएगा। इसकी तैयारी कीडगंज पुलिस ने शुरू कर दी है। हत्यारोपित शूटर मो। शोएब की गिरफ्तारी की जानकारी मिलते ही सोमवार को मामले की विवेचना कर रहे इंस्पेक्टर कीडगंज रोशन लाल भी लखनऊ पहुंच गए। उन्होंने अभियुक्त से घटना और वारदात में शामिल रहे लोगों के बारे में जानकारी ली।

दिलीप के घर रुकती थी आलोक की पत्नी

एसटीएफ का यह भी कहना है नैनी जेल में बंद आलोक से मिलने के लिए जब उसकी पत्नी प्रयागराज आती थी तो दिलीप मिश्रा के घर पर ही रुकती थी। दिलीप के ही घर पर आलोक के लिए भी खाना बनता था। फिर वह खाना लेकर जेल मिलने के लिए जाया करती थी। इससे भी साफ हो गया था कि दोनों एक ही रास्ते पर चल रहे हैं।

शोएब से डॉ बंसल हत्याकांड का खुलासा हो चुका है। अब बारी है प्रकाश में आए सभी आरोपितों से पूछताछ और फरार चल रहे लोगों की गिरफ्तारी की। टीमें काम कर रही हैं। पूरी उम्मीद है कि जल्द ही बाकी आरोपित भी सलाखों के पीछे होंगे।

नवेंदु कुमार, सीओ एसटीएफ

12 जनवरी 2017 को दहल गए थे जिले के लोग

12 जनवरी 2017 की शाम रामबाग स्थित जीवन ज्योति अस्पताल के मालिक डा। एके बंसल की हत्या ने पूरे जिले के लोगों को झकझोर दिया था। लोगों की समझ में ही नहीं आया कि आखिर अस्पताल में घुसकर एक नामी डॉक्टर की हत्या को अंजाम कैसे दे दिया गया। सारे सुरक्षा के घेरे को तोड़ते हुए हत्यारे भाग भी निकले। यही नहीं, मामले का राजफाश न होने पर कई दिनों तक विभिन्न संगठनों ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन भी किया था।

Posted By: Inextlive