पानी से 'लॉक' हो गए मीटर, पब्लिक परेशान, बिजली विभाग का तर्क 'हम भी तो खरीदते ही हैं'
बाढ़ का पानी घरों में घुसने से लॉक हो गये हैं स्मार्ट मीटर
मीटर खराब व फंक्शन काम करने की शिकायतें बढ़ीं क्कक्त्रन्ङ्घन्द्दक्त्रन्छ्व: बाढ़ का पानी अब उतरना शुरू हो चुका है। ज्यादातर कालोनियां और गलियां बाढ़ के पानी से मुक्त हो चुकी हैं। शेल्टर हाउस में शरण लिये लोग घरों को लौटने लगे हैं। यह मुसीबत खत्म भी नहीं हुई थी कि तमाम घरों के सामने एक नयी मुसीबत आकर खड़ी हो गयी है। यह है स्मार्ट मीटर के काम न करने की। नतीजा सप्लाई बंद हो गयी है। बिजली विभाग के पास स्मार्ट मीटर खराब होने की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। पब्लिक मीटर बदलने की डिमांड कर रही है जबकि बिजली विभाग का कहना है कि यह लगभग असंभव है। मीटर चार्ज देने को उपभोक्ता तैयार नहींशहर में बाढ़ के चलते करेली, गौस नगर, छोटा बघाड़ा, बेली कछार, म्योराबाद, राजापुर गंगा नगर, बालुआ घाट, नैनी आरैल, झूंसी छतनाग, रसूलाबाद श्मशान घाट, फाफामऊ श्मशान घाट, दारागंत श्मशान घाट, ककरहा घाट, दारागंज एरिया के निचले हिस्से समेत दर्जनों एरिया में मकान लगभग एक मंजिले तक डूब गए थे। कई दिन तक पानी भरा रहने के चलते स्मार्ट मीटर के भीतर या तो फाल्ट आ गया है या फिर यह शार्ट कर दिया है। इसका नतीजा यह है कि मीटर ने काम करना बंद कर दिया। पानी के चलते लॉक व खराब हुये मीटर उपभोक्ताओं का कहना है कि विभाग मीटर नया लगाने के लिए मीटर चार्ज मांग रहे हैं। विभाग के अफसरों का कहना है कि पानी से स्मार्ट मीटर जल्दी खराब नहीं होता है। ज्यादातर देर तक डूब जाने से खराब होने की संभावना जरूर है। इसके लिए विभाग ने मीटर डिपार्टमेंट को पूरी जिम्मेदारी सौंपी है।
डाटा नहीं बता पा रहा विभाग मीटर डिपार्टमेंट के अधिकारियों की मानें तो खराब हुये मीटर जल्दी ठीक नहीं होते हैं। मीटर कंपनियों से पूरी तरह से सील पैक मिलता है। एक्सटर्नल पार्ट्स खराब हुए होंगे तो बदले जा सकते हैं। मीटर के अंदर लगी चिप में कोई समस्या होगी तो इसे बदलना ही होगा। मीटर विभाग नहीं बनाता है। इसकी सप्लाई कंपनियों द्वारा की जाती है। जिले के अंदर कितने मीटर खराब व फक्शन नहीं काम कर रहे हैं। इसकी संख्या स्पष्ट नहीं है। 72 घंटे से अधिक समय तक ज्यादातर मोहल्ले में एक मंजिल डूबा था मकान 100 से अधिक घरों के बाहर लगे मीटर डूब गए थे 500 के करीब मीटरों की लाइट फंक्शन काम न करने की शिकायत 248मीटर खराब होने की शिकायत करायी जा चुकी है दर्ज
01 हफ्ता धूप लग जाने के बाद विभाग मीटरों की करेगा जांच मीटर खराब होने की शिकायत कुछ उपकेंद्रों के अधिकारियों द्वारा प्राप्त हुई है। घर के बाहर लगे मीटर जल्दी पानी से खराब नहीं होते हैं। ज्यादा देर तक डूबे रहने से खराब होने की संभावना होती है। रमेश कुमार यादव अधिशासी अभियन्ता, विद्युत नगरीय परीक्षण खण्ड द्वितीय प्रयागराज खाली प्लाटों में बाढ़ का पानी, गलियों में गंदगीसर्वदलीय पार्षद एवं पूर्व पार्षद संघर्ष समिति के तत्वावधान में एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों दारागंज, नेवादा, पत्रकार कालोनी, गंगानगर, राजापुर का निरीक्षण किया। दारागंज में दशाश्मेध घाट रोड पर करीब 25 फीसद सफाई पाई गई। दो संपर्क गलियों में गंदगी फैली रही। पत्रकार कालोनी की सफाई संतोषजनक पाई गई। खाली प्लाटों में बाढ़ का पानी भरा मिला। गंगानगर में गली नंबर 21 में बृजलाल पाल और मनोरमा देवी अपने घर के सामने सड़क की सफाई करते मिलीं। उन्होंने बताया कि चार दिन से उनकी गली में बिजली नहीं है। दो गलियों में सफाई भी नहीं हुई। कुछ अन्य गलियों में लोगों ने अवगत कराया कि उन्होंने खुद सफाई की पूर्व पार्षद शिवसेवक सिंह, पार्षद कमलेश सिंह, पूर्व पार्षद चंद्र प्रकाश गंगा ने डेंगू एवं अन्य बीमारियों से बचाव के लिए जिला और नगर निगम प्रशासन से सफाई, दवा का छिड़काव कराने की मांग की।
आज से दर्शन देंगे बड़े हनुमान जी बाढ़ का पानी कम होने पर बांध स्थित बड़े हनुमान जी का कपाट मंगलवार को श्रद्धालुओं के लिए खुल जाएगा। सुबह मंत्रोच्चार के बीच उनका अभिषेक, श्रृंगार, पूजन व आरती उतारकर जनकल्याण की कामना की जाएगी। इसके बाद श्रद्धालु दर्शन-पूजन कर सकेंगे। गंगा-यमुना का जलस्तर बढ़ने पर पांच अगस्त को बड़े हनुमान जी ने स्नान किया। इसके बाद मंदिर का पट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया। घरों से उतर गया पानी, अब जमीन सूखने का इंतजारराजापुर के निचले इलाके में पगडंडी के रास्ते हांफते हुए गली तक पहुंचे विशांत सिंह कुछ देर के लिए रुक जाते हैं। घर तक आने-जाने का रास्ता नहीं है क्या? पूछने पर बताते हैं कि कच्चे रास्ते में पानी भरा है। किसी तरह घर से आने-जाने का रास्ता बन गया है। बाढ़ का पानी कम होने से घर वापसी हो गई है। इससे कुछ राहत जरूर हुई है लेकिन, कीचड़ और बदबू से परेशानी बढ़ गई है। जब तक जमीन सूखेगी नहीं, तब तक दिक्कत बनी रहेगी। बेली गांव के वंशीधर अपने घर के सामने फावड़े से जलकुंभी हटा रहे थे। बताया कि पानी कम हो गया लेकिन, बाढ़ के साथ आई जलकुंभी घर के सामने फैल गई है। इसके कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। कमोवेश, इसी तरह के हालात बेली कालोनी, उंचवागढ़ी, ओम नगर, गंगानगर, रसूलाबाद घाट के आसपास और सलोरी क्षेत्रों में भी है।