'इंफारमेशन कॉल को सर्विस टैक्स की नोटिस न समझें'
सीजीएसटी डिपार्टमेंट की ओर से भेजे जा रहे लेटर पर ज्वाइंट कमिश्नर ने क्लीयर की स्थिति
सर्विस टैक्स से वकीलों को मिली है छूट, जवाब में वेरीफाई कराना है कि प्रैक्टिस के अलावा इनकम का कोई सोर्स नहीं prayagraj@inext.co.inसर्विस टैक्स के लिए पहुंच रहे एक लेटर ने हाई कोर्ट के वकीलों को विचलित कर दिया है। वे इसे सर्विस टैक्स की नोटिस मानकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। गुरुवार को इसी के विरोध में अधिवक्ताओं का एक प्रतिनिधिमंडल सीजीएसटी के कमिश्नर से मिलने भी पहुंचा था। एक्चुअल में मसला क्या है? वकील परेशान क्यों हैं? उन्हें क्या करना है? इस सवाल का जवाब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने सीजीएसटी के ज्वाइंट कमिश्नर से सीधे मांग लिया। इसमें पता चला कि यह लीगल प्रक्रिया का हिस्सा है। रूल्स के अनुसार प्रक्रिया पूरी करायी जा रही है। वकीलों को सर्विस टैक्स पे करने में छूट मिली हुई है। वकीलों की तरफ से जवाब दाखिल कर दिये जाने के बाद फाइल क्लोज कर दी जाएगी।
क्यों आ गयी है ऐसी नौबतकोरोना काल में प्रैक्टिस का बुरा हाल है। वकीलों की इनकम का सोर्स आलमोस्ट बंद है। इस दौर में भी वकीलों के पास लेटर भेजा ही क्यों जा रहा है? इसके जवाब में सीजीएसटी के ज्वाइंट कमिश्नर गौरव चंदेल ने बताया कि डिपार्टमेंट के पास सूचना आती है कि वकीलों को सर्विस प्रोवाइड करने का पैसा मिलता है। अभी उसमें वकील अडवेंटेड है। यानी लीगल प्रोफेशनल सर्विस अडवेंटेड है। उन पर कोई सर्विस टैक्स एप्लीकेबल नहीं है। यह सूचना आने के बाद विभाग की जिम्मेदारी बन जाती है कि वह वेरीफाई करे। इसीलिए विभाग लेटर भेजकर वकीलों से जानकारी मांग रहा है।
वेरीफिकेशन प्रॉसेस को नोटिस क्यों कहा जा रहा है? इस सवाल के जवाब में श्री चंदेल का कहना था कि इसे नोटिस कहा ही नहीं जा सकता है। एक्चुअली विभाग सभी प्रोफेशनल्स को लेटर भेजकर उनसे सूचनाएं मांगता है। इस लेटर के जवाब में वकीलों को सिर्फ सूचनाएं देनी है। वेरीफाई करना है कि वे लीगल प्रोफेशनल हैं और यही सर्विस प्रोवाइड करते हैं। उनके पास इसके अलावा कोई और सोर्स ऑफ इनकम नहीं है। इस जवाब के साथ डिपार्टमेंट की ओर से केस क्लोज कर दिया जाता है। वकालत पेशे को मिली है छूटसीजीएसटी ज्वाइंट कमिश्नर गौरव चंदेल ने बताया कि वकालत के पेशे को सर्विस टैक्स के दायरे से फिलहाल बाहर रखा गया है। वकीलों को जो पैसा मिला होता है, वह सर्विस कैटेगरी में हैंडिल किया जाता है। इसलिए क्रास चेक किया जाना जरूरी है। मसलन कोई अधिवक्ता लीगल सर्विसेज के साथ किसी अन्य बिजनेस में इनवाल्व है या उसे किसी दूसरे सोर्स से भी पैसा आ रहा है तो उसे चेक करना जरूरी है। जो लोग सिर्फ लीगल प्रोफेशनल हैं? उन्हें डिटेल उपलब्ध करा देनी है। इसका यह मतलब कतई नहीं निकाला जाना चाहिए कि यह नोटिस है और सर्विस टैक्स वसूलने के लिए जारी की गयी है।
इसे इंफारमेशन कॉल समझेंउन्होंने कहा कि जहां तक नोटिस की बात है, तो ये शब्द गलत है। हमने सिर्फ इनफार्मेशन कॉल की है। इसका रूल है। उसी प्रोविजन के अन्तर्गत जानकारी मांगी गई है। अगर कोई चीज पूछा गया है, तो उसका जवाब दें दे कि हम बार कौंसिल में रजिस्टर्ड हैं। हाई कोर्ट बार में रजिस्टर्ड हैं। अकार्डिगली फाइल को अपडेट करके डिपार्टमेंट उसे क्लोज कर देगा। उन्होंने बताया कि गुरुवार को मुलाकात के दौरान वकीलों ने भी कई चीजों को बताया है। जिसको उनके जवाब में अकमोडेट किया जा रहा है। कोई वकील में बार में रजिस्टर्ड नहीं है, लेकिन अपना प्राइवेट बिजनेस कर रहा है। तो वह सर्विस टैक्स के दायरे में आएगा। जहां तक बार में रजिस्टर्ड वकीलों की बात है, तो अगर वह जवाब देते है कि बार में रजिस्टर्ड है और कोई दूसरा बिजनेस नहीं करते है। उसे क्लोज कर दिया जाएगा।
प्रोविजन के अन्तर्गत वकीलों से लेटर भेजकर सिर्फ सूचनाएं मांगी जा रही है। कोई नोटिस नहीं भेजा गया है। बार में रजिस्टर्ड अधिवक्ता सर्विस टैक्स के दायरे में अभी नहीं है। इसलिए उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है। जवाब जरूर दे दें दाखिल फाइल क्लोज कर दिया जाय। गौरव चंदेल ज्वाइंट कमिश्नर, सीजीएसटी