पब्लिक प्लेस के वाटर कूलर के भरोसे न रहें घर से लेकर निकलें शुद्ध पानी
प्रयागराज (ब्यूरो)।
446 था एसआरएन हॉस्पिटल के वाटर कूलर का टीडीएस लेवल
541 था सिविल लाइंस बस अड्डे पर लगे वाटर टैंक से मिल रहे पानी का डीटीएस लेवल
598 डीटीएस मिला रोडवेज बस स्टैंड पर एक दूसरी टोटी के पानी में
20 डीटीएस रहा तहसील में पीए जा रहे आरओ के पानी में
हॉस्पिटल में भी खराब है स्थिति
एसआरएन हॉस्पिटल में हर रोज हजारों की संख्या में मरीज और उनके तीमारदार पहुंचते हैं। यहां सैकड़ों कर्मचारी व डॉक्टर मरीजों की सेवा में दिन रात लगे रहे हैं। इन सभी को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए ओपीडी के पास एक वाटर कूलर लगाया गया है। रिपोर्ट टीडीएस मीटर के जरिए इस वाटर कूलर के पेयजल की जांच की गई। पड़ताल में इस पानी का डीडीएस 446 पाया गया। यह स्थिति पेयजल में टीडीएस के निर्धारित मानक से कहीं ज्यादा है, इसे पीने योग्य पानी नहीं कहा जा सकता।
यहां मानक से ज्यादा मिला टीडीएस
सिविल लाइंस बस स्टैंड प्रतीक्षालय के ठीक बगल यात्रियों के लिए सप्लाई वाटर के नल लगाए गए हैं। इस पानी में भी रिपोर्टर द्वारा टीडीएस की जांच की गई। यहां के पानी में 541 टीडीएस पाया गया। एक्सपर्ट के मुताबिक 541 टीडीएस मानक से काफी ज्यादा है। इसे पीने योग्य नहीं कहा जा सकता।
इसके बाद रिपोर्टर पानी में टीडीएस की जांच करने के लिए सदर तहसील पहुंचा। कर्मचारियों से पूछताछ के बाद कोने में लगाए गए वाटर कूलर का रास्ता मालूम चला। यहां वाटर कूलर में पानी था ही नहीं। रिपोर्टर ने कर्मचारियों से सवाल किया कि वाटर कूलर में पानी नहीं है तो आप कहां का पानी पीते हैं। जबाब मिला कि बड़े बोतल में बिकने वाला आरओ का पानी मंगाते हैं। इस पर रिपोर्टर ने तहसील में रखे इस आरओ के पानी का भी टीडीएस चेक किया। इस पानी में 20 टीडीएस मापक यंत्र के जरिए बताया गया। यह सुनकर यहां के कर्मचारी भी चौंक गए। क्योंकि 20 टीडीएस निर्धारित मानक से काफी कम था।
जानिए पीने योग्य पानी की स्थिति
टोटल डिजॉल्व सॉलिड (टीडीएस) यानी पूर्णत: घुले हुए ठोस पदार्थ जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, सोडियम, बाइकार्बोनेट, क्लोराइड और सल्फेट्स के साथ प्रचुर मात्रा में कार्बनिक पदार्थ पानी में विघटित होते हैं। भूजल में नाइट्रेट भी पानी में पाए जाते हैं।
इनके कम या ज्यादा होने से ही पानी अशुद्ध या कठोर होता है। शोधकर्ता बताते हैं टीडीएस के कारण ही पानी में हार्डनेश पैदा होती है। कठोरता के कारण ही पानी में खास किस्म का स्वाद होता है।
मूलरूप से पानी एक रंगहीन, गंधहीन और स्वादहीन पदार्थ है। यह हाईड्रोजन (एस) और ऑक्सीजन (ओ) से मिलकर बना होता है। पानी में जब टीडीएस की मात्रा संतुलित होती है तो वह स्वादिष्ट और पीने योग्य होता है।
इसकी मात्रा बहुत कम या ज्यादा होने पर पानी अनुपयोगी यानी अशुद्ध हो जाता है। संतुलित कठोरता तब होती है जब वाटर टीडीएस 120 या 130 हो। यही पीने योग्य पानी होता है।
200 या 300 तक टीडीएस वाला पानी भी चलायमान होता है। टीडीएस के संतुलित मात्रा में होने से ही शरीर को पोषण व आवश्यक खनिज लवण, नमक आदि पर्याप्त मिलता है जो सेहतमंद होता है।
इस तरह से होती है टीडीएस गणना
एक्सपर्ट कहते हैं कि पानी के एक लाख हिस्सों में घुले हुए कठोर पदार्थों (सॉलिड) की जितनी मात्रा होती है, उसे मापकर टीडीएस निर्धारित किया जाता है। वाटर टीडीएस को पार्टस पर मिलियन (पीपीएम) में व्यक्त किया जाता है। दूसरा तरीका यह भी है कि एक लीटर पानी में जितने मिली ग्राम ठोस पदार्थ होते हैं उनके और कुल पानी के अनुपात को वाटर टीडीएस या पानी की कठोरता कहा जाता है। इसे मिलीग्राम पर लीटर (एमजी/एल) में मापा जाता है।
रिपोर्टर ने बुधवार को शहर के सिविल लाइंस और कर्नलगंज थाने में पानी की उपलब्धता और उसकी क्वालिटी को चेक किया। पता चला कि मेंटेनेंस न होने से वाटर कूलर कबाड़ हो गया है। थाने में तैनात पुलिसकर्मी खुद बोतल का पानी खरीद कर पीते हैं। ज्यादातर तो घर से पानी लेकर यहां ड्यूटी करने आते हैं। दोनों ही थानों में फरियादियों की रोज भीड़ लगी रहती है। 120 से 130 टीडीएस को टॉप मानक माना गया है। सूखाग्रस्त या क्रिटिकल एरिया में 200 से 300 तक टीडीएस वाले पानी को भी पिया जा सकता है। इसे काफी अच्छा या सेहत के लिए बहुत उपयोगी नहीं माना जाता। पानी के तमाम लाभकारी तत्व समाप्त होने पर उसके लाभकारी तत्व नष्ट हो जाते हैं। ऐसे जल को सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता।
अर्चना वर्मा सहायक शोध अधिकारी जल निगम