कहीं डिप्रेशन में न डाल दे विंटर ब्लूज
प्रयागराज (ब्यूरो)। सावधान हो जाइए। अगर आपको छोटी छोटी बात पर चिड़चिड़ाहट या चिढ़ हो रही है तो होशियार हो जाइए। कही ऐसा तो नहीं कि विंटर ब्लूज का शिकार हो रहे हैं। विंटर ब्लूज उस स्थिति को कहते हैं कि जब कई दिनों तक सूर्य नहीं निकले और लोग धुंध और कोहरे में रहने को मजबूर हों। ऐसी हालत में लोग डिप्रेशन का शिकार होने लगते और इसके बारे में उन्हे पता भी नहीं चलता है। जब समस्या बढ़ जाती है लोगों को डॉक्टरी सलाह दिलाई जाती है। इस समय प्रयागराज में ऐसे पांच से सात मामले रोजाना आ रहे हैं।
अजीबों गरीब व्यवहार करते हैं लोग
विंटर ब्लूज का शिकार होने वाले विभिन्न तरह का व्यवहार करते हैं। ये लोग अधिकतर उदासी, घबराहट, बेचैनी और निराशा की चपेट में आने लगते हैं। काल्विन अस्पताल के मनोरोग चिकित्सा केंद्र में रोजाना ऐसे पांच से सात मामले आ रहे हैं। इनमें 90 फीसदी युवा है जिनकी उम्र 25 से 45 साल के बीच है। इनका कहना है कि इनका मन कहीं नहीं लग रहा है। बात बात पर चिड़चिड़ापन होता और स्थिति लड़ाई झगड़े तक पहुंच जाती है। बता दें कि प्रयागराज में पिछले पंद्रह दिन से सूर्य देवता के दर्शन नही हुए हैं।
क्या है विंटर ब्लूज का कारण
हम सब जानते हैं कि पृथ्वी पर ऊर्जा का एक मात्र सोर्स सूरज है। सूरज की मौजूदगी पृथ्वी पर जीवन संभव होने का एक प्रमुख कारण है। सर्दी के दिनों में लंबे समय तक जब मैदानी एरिया में सूर्य नही निकलता तो लोगों के शरीर में न्यूरो ट्रांसमीटर में गड़बड़ी होने लगती है। लोगों के मूड और उनकी एनर्जी लेवल पर भी इसका खास फर्क देखा जाता है। ऐसे में अक्सर सर्दी के मौसम में कई लोगों को एंग्जाइटी और डिप्रेशन होने लगता है, एनर्जी लेवल कम हो जाता है।
कैसे प्रभाव डालती है सूर्य की रोशनी
इंसानी शरीर का एक बॉडी क्लॉक है, जोकि बाहरी दुनिया की लाइट के हिसाब से खुद को एडजस्ट करती है। जैसे इंसानी शरीर में एक हार्मोन बनता है मेलाटनिन, इसे अंधेरे का हार्मोन कहा जाता है। इसकी वजह से इंसानों को नींद आती है। मेलाटनिन करीब रात के आठ बजे से एक्टिवेट हो जाता है और रात के 1 बजे के करीब चरम पर होता है। जानकारी के मुताबिक सुबह सूरज की रोशनी से इस हार्मोन का इंसानी शरीर में प्रोडक्शन बंद हो जाता है। लगभग इसी हिसाब से हर इंसान का बॉडी क्लॉक एडजस्ट रहता है। अब जबकी सर्दी में कोहरे की वजह से सूरज की रोशनी, शरीर को नहीं मिल पाती है तो पूरा का पूरा बॉडी क्लॉक डिस्टर्ब हो जाता है और बाहरी दुनिया से तालमेल बिगड़ जाता है।
बहुत से लोग सर्दियों में लंबी रातें और छोटे दिनों के साथ एडजस्ट नहीं कर पाते हैं। इसका कारण है दिन के समय में शरीर को तय मात्रा में सनलाइट नहीं मिलती है। इसके कारण कई लोग डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में कुछ लोगों में कार्बोहाइड्रेट की डिमांड ज्यादा हो जाती है और इस कारण वजऩ बढ़ जाता है। वैज्ञानिक टर्म में इसे ही सीजऩल ऐफ़ेक्टिव डिसऑर्डर या विंटर ब्लूज़ कहा जाता है। इन लक्षणों पर दीजिए ध्यान
उदासी
किसी काम में मन नहीं लगना
जि़ंदगी में ख़ुशी की कमी महसूस होना।
भूख में कमी होना और चिड़चिड़ापन
ऐसे मिलेगी विंटर ब्लूज से निजात
कैसे निपटे विंटर ब्लूज से
ऐसे में जितना हो सके उतनी एक्सरसाइज़ करनी चाहिए,
अच्छी डाइट लेनी चाहिए।
अच्छी नींद भी लेनी चाहिए।
इसके अलावा मेडिटेशन का भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
सर्दी में लोग आमतौर पर पानी बहुत कम पीने लगते हैं जोकि बिल्कुल गलत है, शरीर को पानी की कमी से भी बचाना चाहिए।
ऐसे दिनों में कमरे में पीला बल्ब जलाएं, सफेद रोशनी से विंटर ब्लूज से निजात नही मिलती है।
डॉ। राकेश पासवान, मनोचिकित्सक