'अगले जनम मोहे बिटिया न कीजोÓ
प्रयागराज (ब्यूरो)।. तेरह साल की प्रीति अस्पताल में भर्ती है। वह जिंदगी और मौत से लड़ रही है। एक एक दिन उसके लिए भारी पड़ता जा रहा है। शरीर कमजोर होता जा रहा है। ऊपर वाले से शायद उसकी यही दरियाफ्त होगी, अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो। जानलेवा हमले में प्रीति बच तो गई मगर अब उसके मां-बाप का दम इलाज कराने में टूट जा रहा है। दस दिन से प्रीति का इलाज एसआरएन अस्पताल में चल रहा है। गले का ऑपरेशन हो चुका है। मगर अब गरीब मां-बाप के पास इलाज के लिए पैसे का इंतजाम नहीं है। डॉक्टर पर्चा लिख कर दवा मंगाते हैं और मां बाप सरकारी दवा के चक्कर में भागते रहते हैं।मां को बचाने में जख्मी हो गई प्रीति
घटना खीरी थाना क्षेत्र के चैलारी गांव में 14 जून की है। गांव की धर्मशीला अपनी 13 वर्षीय बेटी प्रीति और बेटे के साथ सोई थी। गांव का रहने वाला सुरेश बिंद उसके ऊपर बुरी नजर रखता था। भोर में सुरेश बिंद हाते की दीवार फांदकर अंदर आ गया। वह नशे में धुत था। उसने धर्मशीला पर हमला करना चाहा। इस बीच प्रीति की नींद खुल गई। प्रीति शोर मचाने लगी तो सुरेश ने उसके ऊपर ही धारदार हथियार से वार कर दिया। गर्दन पर चोट लगते ही वह लहुलूहान हो गई। शोर सुन धर्मशीला की नींद टूटी तो वह सुरेश से भिड़ गई। मौका पाकर सुरेश भाग निकला। हमले में धर्मशीला के सिर में चोट आ गई। पुलिस मां बेटी को एसआरएन अस्पताल ले आई।
गरीब मां-बाप पर टूट पड़ी आफतगरीबी इस कदर आफत बनकर टूटेगी धर्मशीला और उसके पति रमेश ने शायद ही कभी ये सोचा हो। धर्मशीला और उसकी बेटी हमले में बच गई। धर्मशीला उपचार से ठीक हो गई मगर बेटी प्रीति एसआरएन अस्पताल में डॉक्टरों की देखरेख में है। घटना के बाद प्रीति के गले में गहरे घाव को देखते हुए ऑपरेशन किया गया। मगर उसकी हालत सुधर नहीं रही है। प्रीति को बोलने और चलने फिरने में दिक्कत है। धर्मशीला और उसका पति रमेश बेटी को ठीक कराकर घर ले जाना चाहते हैं, मगर उनके पास इलाज के लिए अब पैसे नहीं बचे हैं। मेहनत मजदूरी कर परिवार का पेट पाल रहे रमेश के लिए यह घटना वज्रपात की तरह हो गई है।