मामूली बात पर युवा खत्म कर रहे जीवनमम्मी पापा के संघर्ष का नहीं रह जा रहा कोई मोल

प्रयागराज ब्यूरो ।एक मां पिता के दिल पर क्या गुजरती होगी जब उनके बेटे की बॉडी उनकी आंखों के सामने पड़ी होती है। उनके जीवन भर के अरमान आंसू के कतरे कतरे में बहते हैं। आंख रोती है, दिल सिसकता है। घटना तो एक दिन होती है, मगर उसका दर्द जीवन भर के लिए हो जाता है। एक मां और पिता अपने बच्चे को पालने के लिए न जाने कितने जतन करते हैं। मां और पिता का संघर्ष बच्चे को सफल बनाता है। जन्म के बाद से लेकर बड़े होने तक पढ़ाई, लिखाई, शादी ब्याह की कितनी बड़ी जिम्मेदारी मां पिता उठाते हैं। वह अपने बच्चे को सफल होते देखना चाहते हैं, अपने बच्चे के परिवार को फूलता फलता देखना चाहते हैं। वह अपने बड़े होते बच्चे में न जाने कितने अरमान सजाते हैं, मगर यूथ मामूूली बातों पर आत्मघाती कदम उठा ले रहे हैं। वह अपनी जान दे दे रहे हैं। बगैर ये सोचे आखिर उनके मां पिता पर क्या गुजरेगी।

आत्महत्या कर रहे युवा
आंकड़ों पर गौर करें तो जनवरी से जुलाई माह के बीच सात महीने में 70 युवाओं ने आत्महत्या की। इन युवाओं की उम्र 18 से 28 साल के बीच की है। गौर करने वाली बात ये है कि इन मामलों में गार्जियन घटना को लेकर खुद कोई स्पष्ट कारण नहीं बता सके। कई मामलों में पुलिस ने बताया कि बातचीत के दौरान वह भांप ही नहीं पाए कि उनका बेटा जान देने के बारे में भी सोच रहा है। युवाओं ने मोबाइल पर गार्जियन से बात की और अचानक कुछ घंटों बाद पुलिस या परिचित के जरिए घरवालों को सूचना मिली कि आपके बेटे ने फांसी लगा लिया है। या आपके बेटे ने यमुना में कूदकर जान दे दी है।

चुनौती को स्वीकार कीजिए
1- किसी भी प्रकार का तनाव दिमाग पर हावी मत होने दीजिए।
2- तनाव आने पर कुछ दिनों के स्थान परिवर्तन कर दीजिए।
3- अपने साथियों से टेंशन को लेकर प्रॉब्लम शेयर कीजिए।
4- कैरियर की प्रॉब्लम पर गार्जियन से अपनी दिक्कत बताइए।
5- सरकारी नौकरी को जीवन का लक्ष्य नहीं माध्यम बनाइए।
6- परिवार की समस्या पर ठंडे दिमाग से विचार कीजिए।
7- नकारात्मक विचार वालों से दूरी बनाइए।
8- पॉजीटिव थिंकिंग वालों से मेलजोल रखिए।
9- अपेक्षित सफलता नहीं मिलने पर रास्ता बदलिए, जीवन को खत्म मत कीजिए।
10- मां, पिता से अपनी क्षमता बताइए, उनके साथ बात करके समाधान खोजिए।
11- जरुरत पडऩे पर काउंसलर से अपनी काउंसिलिंग कराइए।


मां पिता के लिए होती है मुश्किल
- बेटे के आत्मघाती कदम से मां पिता को शर्मसार होना पड़ता है।
- मां और पिता समाज में घटना को लेकर गाहे बगाहे चर्चा में रहते हैं।
- लंबे समय तक मां पिता परिवार, रिश्तेदारों में सहज नहीं हो पाते।
- बेटे के जाने की घुटन मां, पिता को पूरे जीवन सालती रहती है।
- जन्म दिन, त्योहार पर मां पिता को अपने बेटे की याद आती है।

बेटे को बचाने में बर्बाद हो गई पूंजी
यह घटना बहुत ही मार्मिक है। काटजू कालोनी में रहने वाले एक परिवार में पिता के दो बेटे हैं। छोटा बेटे में मामूली बातों पर आवेश में आ जाने की आदत हो गई। घरेलू बातों को लेकर एक दिन छोटे बेटे ने अपनी जान देने के लिए खुद को गोली मार ली। उसकी मौत नहीं हुई। बेटे और पिता के बीच संबंध अच्छे नहीं थे। मगर घटना के बाद पिता ने अपने बेटे को बचाने के लिए जमीन आसमान एक कर दिया। सरकारी अस्पताल ने जवाब दे दिया तो पिता ने बेटे को लखनऊ में एडमिट कराया। एक महीना तक बेटे का इलाज चला। बेटे की जिंदगी वापस लाने में पिता को न जाने कहां कहां से इलाज के लिए पैसे का इंतजाम करना पड़ा। आखिरकार पिता की जीत हुई और वह अपने बेटे को जिंदा वापस लेकर घर लौटे।


युवा फिल्मी दुनिया जैसी जिंदगी चाहते हैं, मगर ऐसा नहीं हो पाने पर बगैर ये सोचे कि उनके जीवन खत्म कर लेने के बाद मां पिता पर क्या गुजरेगी वह जान दे देते हैं। जिससे मां पिता की जिंदगी की खुशियां खत्म हो जाती हैं। मां पिता मानसिक रूप से टूट जाते हैं।
कमलेश तिवारी, मनोविज्ञानी

फिल्मी दुनिया को आदर्श मानने वाले युवा अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों से घबरा जाते हैं। ऐसे युवा हर समस्या का हल जान देने में खोजने लगते हैं। जिसका नतीजा है कि वह रिश्ते नातों को भूल जाते हैं। जिन रिश्ते नातों की बदौलत युवा अपने जीवन का लंबा समय गुजार चुके होते हैं, उन रिश्ते नातों को मिलने वाले आजीवन दर्द को युवा महसूस नहीं कर पाते हैं।
डा.राकेश पासवान, मनोविज्ञानी

Posted By: Inextlive