यह जांच नही आसां, बस इतना समझ लीजिए
प्रयागराज (ब्यूरो)। एसआरएन और बेली अस्पताल दोनों जगह डिजिटल एक्सरे की मशीन लगी हुई है। इनमें से बेली अस्पताल की डिजिटल एक्सरे मशीन दो दिन से खराब बताई जा रही। इससे मरीजों की जांच नही हो पा रही। वहीं एसआरएन में लगी डिजिटल एक्सरे मशीन का प्रिंट खराब हो गया है। इसकी वजह से जांच रिपोर्ट मैनुअल उपलब्ध नही हो रही। दूर दराज से आए मरीजों को मोबाइल फोन पर जांच उपलब्ध कराई जा रही है। ऐसे में गांव से आने वाले मरीजों को एंड्रायड मोबाइल फोन नही होने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऑनलाइन मंगाई जा रही रिपोर्ट
बेली अस्पताल में हाल ही में पीपीपी मोड से नई सीटी स्कैन मशीन लगाई गई है। इस मशीन में मरीजों की जांच तो हो रही है लेकिन उनका रिपोर्ट मिलने में देरी का सामना करना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि इस मशीन की जांच रिपोर्ट ऑनलाइन उपलबध कराई जा रही है। दूसरे शहरों में बैठे एक्सपर्ट जांच देखकर वहां से रिपोर्ट तैयार कर भेज रहे हैं। यही पर लगी दूसरी सीटी स्कैन मशीन में केवल सिर की जांच हो रही है। गले से नीचे के हिस्से की जांच करना उस मशीन के बूते का नही है। इसमें खराबी आ चुकी है।
एसआरएन के बाद लगा बेली का नंबरपिछले चार दिन से एसआरएन अस्पताल की एमआरआई मशीन खराब थी। इसके बाद बेली की एमआरआई मशीन का नंबर लग गया है। यह मशीन भी काम नही कर रही है। इसकी जांच के लिए शासन को पत्र भेजा गया है। बताया जाता है कि मशीन की मेंटनेंस की जिम्मेदारी थर्ड पार्टी को सौंपी गई है, इसलिए देरी हो रही है। एसआरएन की एमआरआई मशीन में भी मैनुअल रिपोर्ट नही मिल रही है। फिल्म की कमी इसका कारण है। इसकी रिपोर्ट सीधे मोबाइल फोन पर भेजी जा रही है। निराश होते हैं सैकड़ों मरीजशहर के तमाम सरकारी अस्पतालों में रोजाना हजारों की संख्या में मरीज आते हैं। इनमें से सैकड़ो को जांच करानी होती है। लेकिन जांच में ऐसे रोड़े आ जाने से उनको निराश होना पड़ता है। सरकार मशीनें तो लगा देती है लेकिन इनके मेंटनेंस और रखरखाव पर ध्यान नही देती। ऐसे में मरीजों को प्राइवेट जांच करवाने पर मजबूर होना पड़ता है। जिसके लिए उन्हें हजारों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। जानकारी के मुताबिक डिजिटल एक्सरे में रोजाना दो से ढाई मरीज आते हैं तो एमआरआई कुल एक से ड़ेढ़ दर्जन मरीजों की होती है।गर्मियों में बिजली की आंख मिचौनी
मशीनों के खराब होने का बृड़ा कारण बिजली की सप्लाई है। लगातार फ्लेक्चुएट होने से मशीनों में दिक्कत पैदा होने लगती है। अस्पताल के कर्मचारियों का कहना है कि महंगी मशीनों को अबाध पावर सप्लाई चाहिए होती है। एक बार इनके पाट्र्स खराब हो गए तो इनको दूसरे शहरों से मंगाना पड़ता है। मेंटनेंस देखने वाली कंपनियों को भी दिक्कत दूर करने में समय लगता है। क्योंकि यह प्रक्रिया आसान नही होती है। इसमें सरकार से एप्रूवल की आवश्यकता होती है।