मर्यादा नहीं जानते और बन रहे शंकराचार्य
- दंडी स्वामी नगर में श्री राम महायज्ञ का हुआ भव्य आयोजन
- शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद समेत अन्य संत हुए शामिलALLAHABAD: माघ मेला के मोरी मार्ग पर स्थित दंडी स्वामी नगर में मछली बंदर मठ में अखिल भारतीय सनातन धर्म संघर्ष समिति की ओर से शुक्रवार को 'श्री राम महायज्ञ' का भव्य आयोजन किया गया। जिसमें ज्योतिष पीठ व द्वारिका पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती समेत बड़ी संख्या में साधु संत शामिल हुए। लगभग पचास वर्ष बाद दंडी नगर पहुंचे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने शंकराचार्य को लेकर चल रहे विवाद पर कहा कि ऐसे लोग भी खुद को शंकराचार्य कह रहे हैं जो शास्त्र नहीं जानते हैं। मर्यादा नहीं जानते, केवल शंकराचार्य के रूप में खुद को पुजवाने एवं अपना जुलूस निकलवाने के लिए लोग जगरगुरु शंकराचार्य बन रहे हैं। जिनको व्याकरण का ज्ञान नहीं वे खुद के शंकराचार्य होने का दावा कर रहे है। 'श्री राम महायज्ञ' के दौरान हस्ताक्षर अभियान की भी शुरुआत की गई।
मंदिर के लिए एकजुट हो हिंदू'श्री राम महायज्ञ' के अवसर पर दंडी नगर पहुंचे जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने श्री राम मंदिर निर्माण पर भी लोगों के सामने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि अयोध्या में कभी मस्जिद नहीं था। जो ढहाया गया वो मंदिर ही था। बाबर और मीरबाकी कभी आयोध्या गए ही नहीं थे, तो तोड़ने की बात कहा से आ गई। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा श्री राम जन्म भूमि विषय पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले पर रोक लगाने के आदेश को सही बताया। उन्होंने कहा कि मंदिर व मस्जिद को अगल-बगल बनान व्यवहारिक नहीं है। इससे हमेशा ही साम्प्रदायिक विवाद की स्थिति बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि अयोध्या में भगवान श्री राम का भव्य मंदिर बनेगा। इसके लिए जरूरी है कि हिन्दु समाज एकजुट हो। उन्होंने हिन्दु समाज को कांग्रेस, बीजेपी, सपा व बसपा से ऊपर उठकर सोचने की बात कही। जगतगुरु ने अयोध्या में हिन्दु आर्दश राम नहीं, बल्कि ब्रम्ह राम बालक का भव्य मंदिर बनायेगा। जिसका मॉडल अंगकोर वाट के मंदिर की तरह होगा। इस अवसर पर दंडी प्रबंध समिति के अध्यक्ष महंत विमलदेव आश्रम जी महाराज, स्वामी ब्रम्हाश्रम जी महाराज, संरक्षक स्वामी हरीश्वर नंद तीर्थ जी महाराज, अखिल भारतीय सनातन धर्म संघर्ष समिति के महामंत्री आचार्य कुशमुनि स्वरूप समेत अन्य साधु संत मौजूद रहे।