हमेशा न रखें डेटा ऑन, मोबाइल के भी है कान
प्रयागराज (ब्यूरो)। हमेशा न रखें डेटा ऑन, मोबाइल के भी हैं कान। चौक गए न। मोबाइल भी बातें सुनता है। टेक्निकल लैंग्वेज में इसे आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस कहते हैं। ऐसे में मोबाइल यूज करते समय हर समय डेटा ऑन नहीं रखना चाहिए। वरना आपकी बातें मोबाइल सुन लेगा। और इसका फायदा फेक फ्रेंड उठा लेंगे। फेक फ्रेड्स अभियान के तहत साइबर एक्सपट्र्स की टीम ने जब ये बातें स्टूडेंटस को बताए तो स्टूडेंट्स चौंक गए। शांतिपुरम गुरुकुल मांटेसरी स्कूल में दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के फेक फ्रेंड्स अभियान के तहत स्टूडेंट्स को आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस के बारे में जानकारी दी गई तो स्टूडेंट्स ने दैनिक जागरण आईनेक्स्ट को थैंक्यू बोला।
क्या है आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस
साइबर एक्सपर्ट गणेश प्रसाद गोंड ने बताया कि नए मोबाइल को ओपेन करते वक्त कई पर्सनल डिटेल मांगी जाती है। जिसमें ई मेल आईडी भी होती है। सभी ऑप्शन अलाउ करने पर मोबाइल में आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस भी ऑन हो जाता है। उदाहरण के तौर पर साइबर एक्सपर्ट ने बताया कि अगर आप अपने मोबाइल पर किसी का नाम और नंबर सेव करते हैं तो आपके फेसबुक पर नाम के व्यक्ति की आईडी सो करने लगती है। इसे कभी भी ट्राई करके देखा जा सकता है। बताया कि कभी भी आप डेटा ऑन करके मोबाइल पास में रखें और शॉपिंग या फिर खाने पीने की चीजों को लेकर बात करें। इसके बाद मोबाइल ओपेन करें तो जो बात आप कर रहे थे, उससे जुड़े विज्ञापन फेसबुक या अन्य सोशल साइट्स पर दिखने लगते हैं।
टीनएजर्स मोबाइल का यूज अक्सर रात में पढ़ाई के लिए करते हैं। इस दौरान व्हाट्स एप पर या फिर फेसबुक मैसेेंजर पर वीडियो कॉल आ जाए तो उसे पिक नहीं करना चाहिए। वीडियो कॉल करने वाले आपकी अनफेयर क्लिीपिंग बना सकते हैं। बाद में उस क्लिीपिंग के सहारे आपको ब्लैकमेल कर सकते हैं। अननोन साइट्स को न करें ओपेन
साइबर एक्सपर्ट जयप्रकाश सिंह ने बताया कि अननोन साइट्स को कभी ओपेन न करें। तमाम साइट्स बैन होती हैं। उन पर जासूसी एजेंसियों की नजर होती है। ऐसे में आप भी जांच के दायरे में आ सकते हैं। बिला वजह कानूनी पचड़े में फंस सकते हैं।
अननोन आईडी पर करें कमेंट
साइबर एक्सपर्ट अतुल त्रिवेदी ने बताया कि सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफार्म पर अननोन आईडी पर कमेंट न करें। कमेंट से फेक फ्रेंड आपके सम्पर्क में आ सकते हैं। ये फेक फ्रेंड आने वाले समय में आपके लिए मुसीबत का सबब बन सकते हैं। रील बनाते समय भी सावधानी बरतें। आपकी रील पर आने वाले कमेंट के जरिए ऐसे लोगों से दोस्ती हो सकती है जो फेक होते हैं। उनकी बातों में आकर टीनएजर्स गलती कर सकते हैं।
वंदना सिंह, वाइस प्रिंसिपल दैनिक जागरण आई नेक्स्ट का फेक फ्रेंड्स
अभियान स्टूडेंट्स को अवेयर करने के लिए काफी सहयोग दे रहा। ऐसे अभियान को हमेशा चलाना चाहिए। जिससे स्टूडेंट्स में अवेयरनेस बढ़े।
अमिता मिश्रा, प्रिंसिपल साइबर क्रिमिनल फ्रेंड बनकर ही आते हैं। आपको लगेगा कि वे आपकी हेल्प कर रहे हैं, मगर ऐसा होता नहीं है। साइबर क्रिमिनल आपकी पूरी डिटेल लेने के बाद कुछ भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
जय प्रकाश सिंह, साइबर एक्सपर्ट मोबाइल का वल्र्ड बहुत बड़ा है। वहां की हर चीज टीनएजर्स के लिए नहीं है। प्रयास करना चाहिए कि केवल नालेज बढ़ाने के लिए मोबाइल का इस्तेमाल हो। वरना साइबर क्रिमिनल आपको ब्लैकमेल कर सकते हैं।
गणेश प्रसाद गोंड, साइबर एक्सपर्ट
गल्र्स को सोशल साइट्स पर अवेयर रहना चाहिए। सोशल साइट्स पर अननोन वीडियो कॉल के जरिए आपकी क्लिीपिंग बनाई जा सकती है। इसके जरिए आपके ब्लैकमेल किया जा सकता है।
अतुल त्रिवेदी, साइबर एक्सपर्ट
डिटेल ले लेता है। और आपको पता भी नहीं चलता है। मगर जब अननोन कॉलर आपसे ओटीपी पूछे या फिर किसी नोटिफिकेशन को डाउन लोड करने के लिए कहे तो समझ जाइए कि फ्रॉड होने वाला है।
अनुज तिवारी, साइबर एक्सपर्ट साइबर एक्सपर्ट ने ढेर सारी महत्वपूर्ण जानकारियां दी। क्लास में भी टीचर्स हम सबको साइबर अवेयरनेस के लिए पढ़ाती हैं। आज मिली जानकारी के लिए साइबर एक्सपर्ट्स को थैंक्स।
अमन साहू, स्टूडेंट दैनिक जागरण आईनेक्स्ट हमेशा अवेयरनेस प्रोग्राम को लेकर आगे रहता है। फेक फ्रेंडस अभियान से काफी कुछ सीखने को मिला। मैं अपने घर वालों को भी साइबर फॉड से अवेयर करुंगा।
रवि सिंह, स्टूडेंट फेसबुक पर कई बार वल्गर क्लिीपिंग रहती है। बहुत से उसे देखते हैं। स्टूडेंट्स को ऐसी आईडी को देखने से बचना चाहिए। आज अच्छी जानकारी मिली। थैंक्स।
उत्कर्ष पटेल, स्टूडेंट
मोबाइल में प्ले स्टोर पर गेम खेलते समय कई पसर्नल डिटेल फिल करनी पड़ती है। इससे नुकसान हो सकता है। इसकी जानकारी आज मिली। अब आगे से मैं पसर्नल डिटेल फिल नहीं करुंगा।
पृथ्वी यादव, स्टूडेंट