भगवतपुर में बुधवार को इलाहाबादी अमरूद संरक्षण एवं संवर्धन कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रदर्शनी प्रशिक्षण एवं गोष्ठी का आयोजन ई-पहल एवं सीएफएल इण्डिया एलाइंस ऑफ बायोवर्सिटी इंटरनेशनल सीआईटी एशिया भारत के द्वारा किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ शैलेन्द्र राजन पूर्व निदेशक केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान लखनऊ ने इलाहाबाद-अमरूद की पहचान बचाने के बारे में विस्तार से चर्चा की. अमरूद के ग्राफ्ंिटग किस प्रकार से की जाए इस केलिए पेड़ में ग्राफ्ंिटग तकनीकी का प्रदर्शन किया.


प्रयागराज (ब्‍यूरो)। डॉ। केएम चौधरी (डीडी उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, प्रयागराज) ने बताया कि गंगा और यमुना के बीच का दोआबा इलाहाबादी अमरूद के बेस्ट स्थान है, अपनी धरोधर को बचाना है तथा अमरूद को प्रोसेस करके कई प्रकार की वस्तुए जैसे टाफी कैन्डी इत्यादि बनाया जा सकता है। गोष्ठी में डॉ धीरेन्द्र राजन ने मुख्य अतिथि और चौधरी साहब के विचारो का समर्थन करते हुए किसानों को अमरूद के संरक्षण पर जोर देने के लिए कहा व पोस्ट हरवेस्ट मैनेजमेंट के बारे मेें चर्चा की।

उत्पादों का किया प्रदर्शन
किसानों ने कार्यक्रम में अपने अमरूद के उत्पादों का प्रदर्शन किया, प्रदर्शिनी में लगभग 70 से अधिक किसानों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम के अन्त में विशेषज्ञों द्वारा किसानों के उत्पाद के आधार पर सुर्खा अमरूद में मनबोध कुशवाहा को प्रथम पुरस्कार, कृष्णा नन्द पटेल को द्वितीय पुरस्कार दिया गया। सफेद अमरूद में विकास सोनकर को प्रथम पुरस्कार तथा राजेन्द्र सोनकर को द्वितीय पुरस्कार तथा सभी सम्मिलित किसानों को प्रोत्साहन पुरस्कार मुख्य अतिथि ने दिया। कार्यक्रम का संचालन निदेशक डॉ गोपाल कृष्ण ने किया। अन्त में श्री दिनेश कुमार ने सभीे अतिथियों एवं प्रतिभागी किसानों का धन्यवाद किया। नाबार्ड समर्थित-पद्मनाभा किसान उत्पादक कम्पनी में कार्यक्रम में सहयोग प्रदान किया।

Posted By: Inextlive