बच्चों की आंख का दुश्मन बना डिजिटल आई स्ट्रेन
बढ़ गया है स्क्रीन पर औसत समय, आंखों में पैदा हो रही नई समस्याएं
चपेट में आ रहे हैं बच्चे, डॉक्टरों के पास बढ़ रहे मामले कोरोना महामारी की वजह से पिछले करीब दो साल से लोग वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन क्लासेज में बिजी हैं। लगातार कम्प्यूटर और मोबाइल देखने से लोगों का स्क्रीन देखने का औसत टाइम भी बढ़ गया है। खासकर बच्चों के साथ ऐसी कंडीशन बनी हुई है। स्कूल बंद होने से पिछले डेढ़ साल से वह घर पर हैं और रोजाना वन बाई वन कई क्लासेज उनको मोबाइल या लैपटॉप पर ज्वाइन करनी पड़ती हैं। इससे उनका स्क्रीन टाइम कई गुना बढ़ गया है। इसी स्क्रीन की वजह से आंखों में होने वाली परेशानी से डिजिटल आई स्ट्रेन की समस्या पैदा होने लगी है। स्क्रीन पर बिता रहे सात घंटेकोरोना से पहले बच्चे रोजाना मोबाइल या लैपटाप स्क्रीन पर दो घंटे बिताते थे।
लेकिन जबसे ऑनलाइन क्लास का चलन बढ़ा है वह रोजाना औसतन सात घंटे स्क्रीन पर बिता रहे हैं। इससे उनको कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।डिजिटल आई स्ट्रेन के तहत उन्हें आंखों में दर्द होना, लालिमा आना, फोकस नहीं कर पाना, धुंधला दिखना, गरदन आदि में दर्द जैसे लक्षणों से दो चार होना पड़ रहा है।
आंखों को रिलैक्स देगा 20-20 फार्मूला जब भी बच्चे स्क्रीन के सामने लंबे समय तक के लिए बैठें तो 20-20-20 रूल को फॉलो करें। इसमें आप स्क्रीन पर 20 मिनट काम करने के बाद 20 फीट दूर तक देखें और फिर 20 सेकेंड का रेस्ट लें। साथ ही बीच में आंखों को झपकाते रहें। यह फार्मूला बच्चों केलिए काफी लाभकारी साबित हो रहा है। फालो करें ये टिप्स स्क्रीन और आपके आंखों के बीच कम से कम एक फुट की दूरी जरूरी है। आंखों से स्क्रीन की उंचाई नीची रहे तो बेहतर है। अंधेरे कमरे में काम कर रहे हैं तो स्क्रीन की तेज लाइट का असर आपकी आंखों पर बुरा पड़ सकता है। ऐसे में रूम में पर्याप्त रौशनी जरूर रखें। कमरे में किसी प्रकार का धुआं न करें। जिससे आंखों में जलन पैदा न हो। कमरे में वेंटिलेशन बेहतर होना चाहिए। मोबाइल और लॉपटॉप पर काम अधिक करना हो तो आई प्रोटेक्टर चश्मे का प्रयोग करना चाहिए। ओपीडी में बढ़ रहे हैं मामलेबेली हॉस्पिटल के आई स्पेशलिस्ट डॉ। एमके अखौरी का कहना है कि डिजिटल आई स्ट्रेन के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इनमें 60 फीसदी बच्चे शामिल हैं। उनके पैरेंट्स को जितना हो सके उतना स्क्रीन उपलब्ध कराने को कहा गया है। मोबाइल या लैपटॉप पर ऑनलाइन कई घंटे की क्लासेज करने के बाद बच्चों को टीवी से दूर रखना जरूरी है। जब तक कोरोना काल है, बच्चों की आंखों की रोशनी को संभालना जरूरी है। उनका कहना है कि 5 फीसदी बच्चों को परमानेंट चश्मा लग रहा है जो सोचने का विषय है।
ऐसे कई बच्चे ओपीडी में आए हैं जिनकी आंखों में जलन और धुंधला दिखने की दिक्कत हो रही है। ऐसे बच्चों की आई साइड भी वीक हो रही है। इसलिए जितना कम हो सके बच्चों को स्क्रीन शेयर करने दी जानी चाहिए। डॉ। एसपी सिंह डायरेक्टर, एमडीआई हॉस्पिटल