इंदिरा मैराथन में पुरुष वर्ग के उप विजेता महाराष्ट्र के विक्रम बंगरिया बने. जीत की खुशी के बीच लोगों का अभिवादन स्वीकार किया. दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट से बातचीत के दौरान उनकी आंखें नम हो गई. उन्होंने फस्र्ट-सेकेंड आने के साथ पुराने विजेता की टाइमिंग ब्रेक करने का लक्ष्य रखा था. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए वह पूरी तैयारी से मैदान में उतरे थे. सेकेंड तो आ गए लेकिन टाइमिंग ब्रेक का लक्ष्य अधूरा रह गया. बताते है कि तीस किलोमीटर तक की दौड़ लगाने के दौरान उम्मीद थी. पैरों में अचानक पेन स्टार्ट हो गया. फिर भी उम्मीद और हिम्मत को नहीं छोड़ा. भले रफ्तार थोड़ी धीरे हो गई. वह अपने मन में 2:14 की टाइमिंग ब्रेक करने का संकल्प लेकर 38वीं मैराथन में फिर से एक बार शामिल होंगे.


प्रयागराज (ब्‍यूरो)। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट से बातचीत के दौरान विक्रम बंगरिया की आंखे भर आई। वह बताने लगे की घर में तीन भाई है और पिताजी बस चालक थे। आर्थिक जरूरत पूरी नहीं हो पाती थी। घर में खाने का भी इंतजाम भी अक्सर नहीं हो पाता था। कई बार भूखे पेट भी दौड़ता था। क्योंकि प्रैक्टिस बहुत जरूरी थी। सबकी सलाह थी कि दौड़कर ही आर्मी में भर्ती होंगे और वहीं से जिंदगी बदल जाएगी। मैं दौड़ता रहा और यह लक्ष्य हासिल हो गया। मुझे सेना में जॉब मिल गयी। इससे स्थितियां थोड़ी बदलीं। आज इंदिरा मैराथन में दूसरा स्थान मिला है। अगली बार फिर आऊंगा और पहला स्थान हासिल करूंगा। वह बताते है कि डाइट, प्रशिक्षण, शेड्यूल यह तो आर्मी में आने पर पता चला। अभी तक आर्मी के लिए 10 किमी रेस ही दौड़ते थे। पहली बार मैराथन में दौड़े और स्थान बनाने में सफल रहे।
विक्रम बंगरिया का सपना एशियन गेम व ओलंपिक में पदक जीतना है। विक्रम बंगरिया का सपना अब एशियन गेम और ओलंपिक में पदक जीतना है। विक्रम के नाम राष्ट्रीय प्रतियोगिता एक स्वर्ण, एक रजत, एक कांस्य है। अर्मी में दो बार स्वर्ण पदक है। क्रिकेट खेलना और नदी में तैरना पसंद है।

Posted By: Inextlive