नाला साफ करने के लिए हुए करोड़ों रुपये के टेंडर पर खड़ा हुआ सवालयदि मामले की हो गई निष्पक्ष जांच तो माना जा रहा खुल जाएगी सारी पोलधीरे-धीरे आ गया मानसून और कागजी सफाई का खामियाजा भुगतेंगे शहर के लोग

प्रयागराज (ब्यूरो)। शहर में नाला सफाई के नाम पर बड़ा 'खेलÓ हो गया और नगर निगम के जिम्मेदार देखते रह गए। कागज पर 90 प्रतिशत नाला सफाई के दावे को लोग सिरे से खारिज कर रहे हैं। यदि नाला सफाई को लेकर निष्पक्ष जांच हो गई तो शहर के लोगों की सुविधा के साथ हुए खेल का खुलासा हो सकता है। नाला सफाई में जिस तरह से कोरम पूरा किया गया है उसका खामियाजा बारिश में जल भराव से लोगों को भुगतना पड़ेगा। नाला सफाई को लेकर करोड़ों रुपये का टेंडर होने के बावजूद मानक के अनुरूप चाहत के साथ नाले की सफाई नहीं की गई। धीरे-धीरे मानसून दस्तक दे चुका है। आसमान में छाए बादल कब झूमकर बरस पड़ें यह कह पाना मुश्किल है। जिस भी दिन बारिश हो गई शहर नाला और नालियों की सफाई बेहतर न होने से लोग जल भराव की समस्या उत्तपन्न होने का शक बयां कर रहे हैं।

लोगों के गले से नहीं उतर रहे दावे
नगर निगम से जुड़ेे लोग बताते हैं कि नाला सफाई के टेंडर में कुछ शर्तें होती हैं। इसके तहत टेंडर लेने वाली संस्था को नाला शुरू से अंत तक साफ करना होगा है। आधे अधूरे नाला या चंद दूरी तक ही नाला साफ करके कार्यदायी संस्थाएं छोड़ नहीं सकती। यदि नगर निगम से जुड़े लोगों की यह बातें सच हैं तो कहा जा सकता है कि नाला सफाई के नाम पर यहां बड़ा खेल हो गया है। इस खेल पर खामोश विभाग के कुछ लोग कागज पर तैयार आंकड़ों का पर्दा डालने की कोशिश में हैं। यदि अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया तो सरकार के करोड़ों रुपये की बर्बादी का होना तय है। क्योंकि शहर का शायद ही कोई ऐसा नाला होगा जिसे शुरू से लेकर अंत तक साफ किया गया हो।

जलभराव का खामियाजा भुगतेंगे शहरवासी

पब्लिक की मानें तो ओपन नाला तो साफ नहीं किए गए, फिर कवर्ड नालों की सफाई नगर निगम क्या करेगा। नगर निगम की यह अनदेखी और बारिश में होने वाले जल भराव का खामियाजा यहां के लोगों को भुगतना पड़ेगा। पब्लिक की मानें तो शहर के बेली, राजा, अशोक नगर, सलोरी, करेली का तराई एरिया, छोटा बघाड़ा, बड़ा बघाड़ा और गोविंद का काफी हिस्सा पानी में डूब जाता है। बावजूद इसके इन इलाकों के नालों की सफाई में घोर लापरवाही बरती गई है। ठीक से बारिश हो गई तो यहां के नालों में जमा शिल्ट के कारण पानी का निकलना संभव नहीं होगा। इस पूरे मामले में हुए खेल पर पर्दा डालने में जुटे नगर निगम के चंद अफसरों का दावा है कि मात्र दस प्रतिश ही नाला सफाई का कार्य शेष है। हालांकि अफसरों का यह दावा उन्हीं के जरिए तैयार किए गए आंकड़ों पर आधारित है। हकीकत दावे से कोसों दूर है। शहर में सरकार के पैसे का किस तरह से दुरुपयोग हो रहा है यहां के बजबजा रहे नालों की कंडीशन को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है। नगर निगम के आंकड़ों पर गौर किया जाय तो यहां नालों की संख्या करीब 639 है। इसमें बड़े नालों की संख्या 92 और छोटे नालों की संख्या 547 है। विभाग का दावा है कि करीब 67 बड़े नालों की सफाई की जा चुकी है। वहीं 547 छोटे नालों में से 400 नाले साफ हो चुके हैं। यह बात दीगर है कि यह आंकड़े लोगों के गले से नीचे नहीं उतर रहे हैं।

शहर के करीब 90 फीसदी नालों की सफाई हो चुकी है। शेष दस प्रतिशत पर काम चल रहा है। बराबर निरीक्षण चल रहा है। यदि नाला सफाई में किसी तरह की गड़बड़ी मिलेगी तो कार्रवाई निश्चित होगी।
सतीश कुमार, चीफ इंजीनियर, नगर निगम

Posted By: Inextlive