इस अचानक के निर्णय ने हमें परेशान कर दिया
सबसे अधिक दिक्कत में दिखे बाहर से आकर यहां रहने वाले छात्र
लेकिन फिर भी केंद्रीय गवर्नमेंट के फैसले का किया स्वागतALLAHABAD: पिछले चौबीस घंटे ने आम आदमी की जिंदगी को मानो पलटकर रख दिया है। रेस्टोरेंट में खाना खाना हो या बस से सफर करना। सबसे ज्यादा चिंता इसी बात को लेकर की जेब में फुटकर पैसे हैं या नहीं। नहीं है तो सबकुछ कैंसिल कर एक ही जुगाड़ में लग जाना कि कैसे एक हजार और पांच सौ के नोट का तोड़ निकाला जाये। बुधवार को सिटी में ऐसा ही नजारा पूरे दिन देखने को मिला। छोटी-छोटी जरुरतों के लिए लोगों को जूझते और किच किच करते देखा गया। हायर एजूकेशन और प्रतियोगी परीक्षाओं के छात्रों का गढ़ माने जाने वाले इलाहाबाद में वे दिनभर परेशान घुमते दिखे। अभी तो जैसे-तैसे उनका काम चल जा रहा है, लेकिन बड़ी टेंशन ये है कि आखिर यह सिचुवेशन कब तक झेलनी होगी? हालांकि इन परेशानियों के बावजूद सभी ने केंद्रीय गवर्नमेंट के फैसले को साहसिक कदम बताते हुए इसकी सराहना की।
स्टूडेंट्स के लिए प्रॉब्लम छात्र बाहर से आकर यहां रहते हैं। बीच-बीच में उन्हें पैसे की जरुरत पड़ती है। बड़े नोट एकाएक चलन से बाहर होने से संशय की स्थित बन गई है। देवेश त्रिपाठीछात्रों को सुबह से लेकर शाम तक रोजमर्रा की जरुरतों को पूरा करना पड़ता है। हमारे पास लिमिटेड पैसे भी होते हैं। ऐसे में बड़े नोट बंद होने से फुटकर पैसे की किल्लत समझ में आ रही है।
विनोद यादव किसी को परीक्षा का फार्म डालना है तो किसी को बैंक से ट्रांजेक्शन करना है। बैंक खुल भी गये तो अगले कई दिनो तक मारामारी की स्थित होगी। ऐसे में छात्रों का वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित होगा। नितेश पांडेय मैं मोदी गवर्नमेंट के फैसले की सराहना करता हूं। लेकिन प्रथम दृष्टया इस निर्णय में दूरदर्शिता का अभाव है। रेस्टोरेंट में खाना खाना हो या बस से सफर करना हो। लोगों को हर जगह दिक्कत फेस करनी पड़ रही है। विक्रम सोचिये किसी अच्छे रेस्टोरेंट में एक थाली खाना खाने और एसी बस में सफर चैलेंज हो गया है। इसके लिए आपके पास सौ-सौ के कई नोट होने ही चाहिये। पांच सौ और एक हजार के नोट रखने वालों के लिए तो दिक्कतें बहुत ज्यादा हैं। रामबाबूमेरे हिसाब से आम आदमी को दिक्कत तो होगी। लेकिन उच्च वर्ग की तुलना में यह उतनी नहीं होगी कि लोगों के घर का चूल्हा न जले। देशहित में उठाये गये कदम के लिए इतना तो पेशेंस दिखाना होगा। गवर्नमेंट को भी तेजी से काम करने की जरुरत है।
सौरभ सिंह