- शहर में फैला कालाबाजारी करने वालों का जाल, पुलिस की पकड़ से हैं दूर

- मजबूरी को फायदा उठाते हुए जरूरतमंदों से वसूल रहे कई गुना दाम

- दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की पड़ताल में सामने आई हकीकत

प्रयागराज- रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी चरम पर है। कोरोना मरीजों के इलाज में यूज होने वाले इस इंजेक्शन की मार्केट रातोंरात आसमान में पहुंच गई है। तीन हजार का एक वॉयल कई गुना दाम पर बिक रहा है। ऊंचे दामों पर बेचने वाले इस इंजेक्शन की डिमांड फोन पर पूछ रहे हैं। इसके लिए यह लोग नंबर बदल कर यूज करते हैं। जिससे की उनको पकड़ा न जा सके। इस तरह से जिसे जरूरत होती है उससे वह आसानी से कांटेक्ट करते हैं।

पहुंच जाती है सूचना

जो लोग रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी से जुड़े हैं उनका नेटवर्क काफी मजबूत है। इनको पता चल जाता है किस मरीज को इस इंजेक्शन की जरूरत होती है। फिर यह लोग फोन से उस मरीज के परिजन से संपर्क करते हैं। फोन पर ही सौदेबाजी हो जाती है। अगर सौदा पटा तो ठीक नहीं तो दूसरे परिजन से बात शुरू हो जाती है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने जब इस मामले में कुछ परिजनों से बात की तो हकीकत सामने आ गई। उन्होंने स्वीकार किया कि उनसे फोन पर संपर्क कर रेमडेसिविर इंजेशक्शन के बारे में पूछताछ की गई थी।

डायरेक्ट नहीं बेच रहे बिचौलिए

इस काम में दवा के बिजनेस से जुड़े लोग भी शामिल हैं। वह सीधे इसे बेचने का काम नहीं कर रहे हैं। यह लोग दूसरे लोगों के माध्यम से कालाबाजारी करवा रहे हैं। यही कारण रहा कि फरवरी तक बाजार में यह इंजेक्शन मौजूद था और अचानक कोरोना फैलते ही अचानक इंजेक्शन गायब हो गया। अब इस इंजेक्शन की उपलब्धता के लिए खुद सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ रहा है। फिर भी बात नहीं बन रही है।

किस तरह बढ़ रहा है रेट

बाजार में रेमडेसिविर इंजेक्शन अलग अलग कपंयिां बनाकर बेच रही हैं। इस समय जर्मन रेमेडीज का इंजेक्शन 800, कैडिला का 900 रुपए का और सिप्ला का इंजेक्शन 3000 रुपए प्रित डोज है। एक मरीज को छह डोज दी जाती है।

कालाबाजारी करने वाले इस इंजेक्शन को 80 हजार से लेकर लाखों रुपए में बेच रहे हैं। जिनको जरूरत है वह इसे खरीदने से पीछे नहीं हट रहे हैं।

काफी नहीं है सप्लाई

एक ओर इंजेक्शन की जबरदस्त मांग है तो दूसरी ओर इसकी सप्लाई पर्याप्त नहीं हो रही है। शनिवार को सरकार की ओर से प्रयागराज में 150 रेमडेसिविर इंजेक्शन भेजे गए लेकिन यह सप्लाई इतनी कम थी कि सभी अस्पतालों को उपलब्ध नहीं कराई जा सकी। ऐसे में अस्पताल संचालक भी पेशोपेश में रहे कि किसको डोज दी जाए और किसको नहीं। परिजनों का दबाव अलग से उन्हे झेलना पड़ा।

जितनी मांग है उतना इंजेक्शन नहीं मिल रहा है। फिर भी जो अधिक गंभीर हैं उनको यह इंजेक्शन दिया जा रहा है। जैसे- जैसे सपलाई में सुधार होगा लोगों को इंजेक्शन दिया जाएगा। लोगों से अपील है कि कालाबाजारी करने वालों से एलर्ट रहें।

गोविंद गुप्ता, ड्रग इंस्पेक्टर, प्रयागराज

Posted By: Inextlive