नदी के किनारे दफन शवों का किया जाय निस्तारण
- अलोपीबाग वार्ड के पार्षद कमलेश सिंह ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री को भेजा लेटर
-नदियों में न फैले प्रदूषण इसलिए शवों को निकालकर उसका कराया जाय दाह संस्कारपिछले दिनों श्रृंगवेरपुर, फाफामऊ, झूंसी, अरैल सहित अन्य कई एरिया में नदियों के किनारे सैकड़ों की संख्या में शवों को दफनाये जाने का मामला प्रकाश में आया था। वहीं अब शवों की वजह से नदियों के जल को प्रदूषण को लेकर कुछ संस्थाओं की ओर से आवाज उठने लगी है। इसी के तहत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सीपीसीबी के निर्देश पर लखनऊ स्थिति भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान यानी आईआईटीआर की तीन सदस्यीय टीम ने सोमवार को गंगा जल का सैंपल लिया था। वहीं मंगलवार को वार्ड नंबर 23 अलोपीबाग के वरिष्ठ पार्षद कमलेश सिंह ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री को लेटर लिखकर नदियों के किनारे दफन शवों को निकालकर उसका दाह संस्कार करने की मांग की है, ताकि नदियों में जल प्रदूषण न फैल सके।
शवों को गलाने से प्रदूषित होगा जलवरिष्ठ पार्षद कमलेश सिंह ने राष्ट्रपति से लेकर मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में मांग की है कि नदियों के किनारे दफन किये गये शवों को नमक डालकर न गलाया जाय, बल्कि इन शवों को निकालकर इनका दाह संस्कार किया जाय। उन्होंने मांग की है कि निकाले गये शवों को जहां विद्युत शवदाह गृह है वहां पर दाह संस्कार कर दिया जाय और जहां पर इसकी व्यवस्था न हो वहां लकड़ी की चिता बनाकर उसका अंतिम संस्कार किया जाय। ताकि नदियों का जल प्रदूषित न हो।
हिन्दुओं के मृतकों के लिए भी हो कब्रिस्तान पार्षद ने मांग कि चूंकि हिन्दुओं में एक अंतिम संस्कार की एक परम्परा शव दफन की भी होती है, इसलिए हिंदुओं के मृतकों जो बॉडी को दफन करना चाहते हैं उनके लिए नदी से पांच मीटर दूर ऊचाई वाले स्थानों पर कब्रिस्तान बनाया जाय। जिसकी देखरेख की जिम्मेदारी नगर पंचायत, नगर पालिकाएं, नगर महापालिकाएं एवं नगर निगम को अंत्येष्टि स्थल के देखरेख की जिम्मेदारी दी जाय।