मर गया अतीक पर जिंदा है नाम
प्रयागराज ब्यूरो । किसी की मौत हो जाती है तो धीरे धीरे लोग उसे भूल जाते हैं। मगर माफिया अतीक के साथ ऐसा नहीं है। माफिया अतीक की मौत हुए सात महीने से ज्यादा का समय गुजर गया मगर आए दिन कोई न कोई जिन्न अतीक के नाम का निकल आता है। नतीजा होता है कि अतीक का नाम एक बार फिर सुर्खियों में आ जाता है। उमेश पाल हत्या कांड के बाद ऐसा कोई पखवाड़ा नहीं रहा, जब अतीक की कारगुजारियों का कोई न कोई मामला चर्चा का विषय न बना हो। हाल ये है कि पुलिस महकमे में अतीक की माफियागिरी की फाइलों की फेहरिस्त बढ़ती ही जा रही है। हाल ये है कि अतीक के गुमनाम रिश्तेदार भी माफिया में शुमार हो जा रहे हैं।
नाम का खौफ बताती है ये तहरीर
अतीक के नाम का खौफ बताने के लिए महज केवल एक ही तहरीर काफी है। यूं तो अतीक पर एक सैकड़ा मुकदमा दर्ज है। मगर शनिवार को पूरामुफ्ती थाने में दर्ज केस अतीक के नाम की दहशत को बताने के लिए काफी है।
मामला पचास करोड़ की जमीन का है। जमीन वक्फ बोर्ड की है। ये जमीन सल्लाहपुर में है। ये केस वक्फ बोर्ड की जमीनों के केयर टेकर माबूद अहमद ने दर्ज कराया है। तहरीर में सबसे गौर करने वाली बात ये है कि माबूद ने उस डेट का भी जिक्र किया है, जिस डेट पर उसने वक्फ बोर्ड की जमीनों को बचाने के लिए शिकायत की है। बकौल माबूद उसने माफिया अतीक के गुर्गों से वक्फ की जमीन को बचाने की हर मुमकिन कोशिश की, मगर शिकायत पर अफसरों ने कोई ध्यान नहीं दिया। माबूद के मुताबिक गाटा संख्या 407, 408, 409, 410 जोकि वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। कूटरचित दस्तावेज तैयार करके इन जमीनों को दूसरे गाटा संख्या से रजिस्ट्री करके प्लाटिंग कर दी। आराजी संख्या 414 क, 429, 430, 431, 432, 433 भू माफिया के कब्जे में है। बकौल माबूद खान उसने सितंबर 2020 में आला अफसरों को अलग अलग शिकायती पत्र दिया। नौ और 29 नंवबर 2022 को तात्कालीन डीएम को, 12 नवंबर और 29 नवंबर 2022 को तात्कालीन कमिश्नर को शिकायती पत्र दिया। मगर इन शिकायती पत्रों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
क्यों नहीं की गई कार्रवाई
यूं तो पिछले छह महीने में जितने भी मामले माफिया अतीक से जुड़े सामने आए उसमें खास बात ये रही कि शिकायतों को संज्ञान में नहीं लिया गया। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर शिकायतों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। जाहिर है कि अतीक के नाम का रसूख इतना रहा कि उसके खिलाफ आने वाली हर शिकायत या तो खारिज कर दी गई, या फिर उन शिकायतों ने फाइलों में ही दम तोड़ दिया।
ये अतीक के नाम का रसूख ही है कि उसके रिश्तेदार भी माफिया में शुमार हो गए। पचास करोड़ की वक्फ बोर्ड की जमीन कब्जाने में आरोपित किए गए सद्दाम, जैनब पहले से ही सुर्खियों में हैं। मगर तीन नाम और भी सामने आए हैं। इसमें से एक जैद मास्टर जोकि माफिया अशरफ का सगा साला है। दूसरा सिवली जो कि अशरफ की पत्नी जैनब के चाचा का बेटा है। जबकि तीसरा तारिक जैनब की खाला यानि मौसी का बेटा है।
वक्फ बोर्ड की जमीन के मामले में पूरामुफ्ती थाने में दर्ज केस की जांच शुरू कर दी गई है। नामजद आरोपितों के खिलाफ और कितने मामले हैं इसका पता लगाया जा रहा है। जल्द ही इसकी विवेचना पूरी कर दी जाएगी।
वरुण कुमार, एसीपी धूमनगंज
वक्फ बोर्ड की जमीन बचाने के लिए मैंने कई बार शिकायत की। मगर उन शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। 16 मई को जो शिकायत मंडलायुक्त से की थी, उस पर जांच हुई है। मेरा आरोप सही है। अतीक के रिश्तेदारों भू माफिया पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
माबूद अहमद, शिकायतकर्ता