दधिकांदो मेला आयोजन समितियों की प्रशासन के साथ मिटिंग में लिया गया फैसला

कोरोना संक्रमण को देखते हुए उठाया गया कदम, पिछले साल भी नहीं हुआ था आयोजन

दधिकांदो मेला कमेटी व अफसरों के बीच हुई बैठक के बाद शुक्रवार शाम एक बड़ी खबर सामने आई। निर्णय लिया गया है कि इस बार मेले का आयोजन नहीं होगा। यह निर्णय कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए लिया गया है। कमेटी के पदाधिकारियों द्वारा लिए गए इस डिसीजन पर अफसर भी मुहर लगा चुके हैं। जब मेला नहीं लगेगा तो आकर्षक चौकियां कहां निकलेंगी। इस तरह कोरोना का भय एक वर्षो पुरानी परंपरा में ब्रेक लगा दिया है। छोटे मोटे तमाम व्यापारियों की उम्मीद पर भी पानी फिर गया है। क्योंकि इस दधिकांदो मेला को यह व्यापारी कमाई का बेस्ट सीजन मानते हैं। उन लोगों के सपने भी टूट गए हैं जो इस मेला में आने का प्लान बनाए बैठे थे।

कइयों के सपने पर फिरा पानी

प्रशासन द्वारा बुलाई गई बैठक में दधिकांदो मेला कमेटी के करीब सभी पदाधिकारी उपस्थित रहे। इस बीच एडीएम सिटी और एसपी सिटी के साथ अन्य अधिकारी भी मीटिंग में शिरकत किए। अफसरों और पदाधिकारियों के बीच मेला के आयोजन को लेकर करीब एक घंटे तक गहन मंत्रणा हुई। पदाधिकारियों द्वारा अफसरों को मेला से जुड़ी कई बातें बताई गई। कहा गया कि सलोरी, सुलेमसराय, तेलियरगंज, राजापुर, कीडगंज जैसे अन्य इलाकों में मेला का भव्य आयोजन होता है। रात भर भगवान की आकर्षक झाकियां निकाली जाती है। मेला में सिर्फ क्षेत्र के ही नहीं दूर दराज व गांव के लोग भी आते हैं। ऐसे में हजारों लोगों की भीड़ हो जाती है। यह भीड़ रात भर मेला क्षेत्र में घूम-घूमकर लुत्फ उठाती है। मेला के आयोजन और आने वाली भीड़ के चलते कमेटी के लोगों व अफसरों कोरोना संक्रमण खतरा नजर आया। कोरोना संक्रमण को देखते हुए दधिकांदो कमेटी ने खुद मेला का आयोजन करने से इंकार कर दिया है। अफसरों ने कहा कि निर्णय के बाद पदाधिकारियों द्वारा मेले का आयोजन न करने की बात लिखित रूप से दी है। खैर यह एक पक्ष है। इस निर्णय का दूसरा पहलू यह है कि दधिकांदो मेला से कमाई की आस लगाए बैठे छोटे व्यापारियों का बड़ा नुकसान हुआ।

सबसे ज्यादा होगा इनका नुकसान

दधिकांदो के मेला में चाट फुल्की, झूला लगाने वाले छोटे व्यापारियों की अच्छी खासी कमाई होती थी

शहर में जगह-जगह लगने वाले इस मेले में दुकान लगाकर वह हजारों रुपये कमा लेते थे जिससे उनका खर्च चलता था

साथ ही भगवान की झांकी निकालने व सजाने वालों को भी अच्छा खासा लाभ हो जाया करता था

इतना ही नहीं, आसपास के लोग व बच्चों के मनोरंजन का यह मेला एक बेहतर माध्यम होता था

सबसे ज्यादा कमाई मेला में लाइटिंग का काम करने वालों को हुआ करती थी, क्योंकि लाइट कंपटीशन होता है

साथ ही झांकी में रोल अदा करने वाले कलाकारों का भी नुकसान होगा। क्योंकि उन्हें भी अच्छा पैसा मिलता था

सितंबर में होता है आयोजन

बता दें कि प्रयागराज में दधिकांदो मेले की अलग पहचान है। इसमें कृष्ण और बलदाऊ की झांकी निकाली जाती है। इसकी शुरुआत 4 सितंबर को सलोरी से होनी थी। 5 को सुलेमसराय, 6 और 7 को कीडगंज, 11 को तेलियरगंज और 12 को राजापुर राजापुर एरिया में इसका आयोजन किया जाना प्रस्तावित था।

दधिकांदो मेला को लेकर कमेटी के पदाधिकारियों संग मीटिंग हुई थी। कोरोना के संक्रमण को देखते हुए कमेटी के पदाधिकारी खुद मेला का आयोजन करने से इंकार कर दिए हैं। यह बात उनके जरिए लिखित रूप से कही गई है।

अशोक कनौजिया

एडीएम सिटी

Posted By: Inextlive