बढ़ सकते हैं साइबर सुसाइड के मामले
प्रयागराज (ब्यूरो)। काल्विन हॉस्पिटल के मनोरोग क्लीनिक में 20 दिन पहले एक मामला आया था। जिसमें बताया गया कि सिविल लाइंस एरिया का रहने वाला बीएससी का छात्र एक लड़की के इंकार कर देने पर सुसाइड करने की कोशिश कर रहा था। व्हाट्सऐप कॉल पर वह लड़की को ब्लेड से हाथ काटने और फिर गला काटने का लाइव वीडियो दिखा रहा था कि लड़की ने तत्काल उसके पैरेंट्स को जानकारी दे दी। बाद में पैरेंट्स अपने लड़के को लेकर क्लीनिक पहुंचे जहां उसकी काउंसिलिंग की गई।बहस हो गई तो फोड़ लिया सिर
एक अन्य मामला ममफोर्डगंज का है। जहां रहने वाले एक 11वीं के छात्र ने सोशल मीडिया पर दोस्तों से झड़प होने पर अपना सिर दीवार पर पटक कर फोड़ लिया। उसे लहूलुहान देख पैरेंट्स सकपका गए और उसे आनन फानन में मनोचिकित्सक के पास लेकर पहुंचे। बातचीत मं पता चला कि वह अक्सर अपने दोस्तों से सोशल मीडिया पर ग्रुप चैट करता था। एक दिन आपस में किसी बात पर उनमें बहस हुई और उसे यह कदम उठा लिया।दोस्त ने पैरेंट्स के सामने खोल दी पोल
नैनी का रहने वाला 12वीं के एक स्टूडेंट ने अपने ब्रेकअप के बाद दोस्त को सोशल मीडिया पर एक मैसेज भेजा। जिसमें लिखा कि वह अब जीना नही चाहता है। ऐसा उसने चार से पांच बार किया। इस पर उसके दोस्त को शक हुआ। उसने जब पूछताछ की तो पता चला कि स्टूडेंट ने सोशल मीडिया पर ऐसा ही केस देखा था जिसमें ब्रेकअप के बाद लड़का सुसाइड कर लेता है। यह जानने के बाद दोस्त ने पैरेंट्स को इसकी जानकारी दी। इसके बाद स्टूडेंट की काउंसिलिंग की गई।
एक लिमिट से अधिक इंटरनेट को करिए बैनएक्सपट्र्स का कहना है कि साइबर सुसाइड और सेल्फ हार्म जैसे मामलों पर रोक लगानी है तो बच्चों को मोबाइल फोन से दूर रखना होगा। सोशल मीडिया पर अधिक देर बिताना उनके लिए घातक साबित हो रहा है। तमाम तरह के वीडियो और पोस्ट किशोर और युवाओं के कदमों को भटकाने का काम करते हैं। इसलिए दिन में आधे से एक घंटे के बाद इंटरनेट चलाने से रोक लगानी चाहिए। यह कदम उठाना है जरूरी- बच्चों का लेट नाइट इंटरनेट चैट पर रोक लगाना जरूरी।- जब तक जरूरी न हो बच्चों को मोबाइल उपलब्ध न कराएं।- ऑनलाइन स्टडी के दौरान एक्टिविटी पर नजर रखना जरूरी।- किसी प्रकार का डाउट होने पर तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।
- बच्चों को मोबाइल पर गेम खेलने के बजाय उन्हें आउट डोर गेम खेलने के लिए प्रेरित करें।सोशल मीडिया के साइड इफेक्ट भी हैं। इसका प्रभाव दिखने लगा है। हालांकि पैरेंट्स जागरुक हो रहे हैं और वह डॉक्टर से संपर्क कर रहे हैं। लेकिन ऐसी स्थिति आने नही देना चाहिए। इससे पहले ही एलर्ट हो जाएं। मोबाइल को बच्चों से दूर रखें। जब तक जरूरी न हो, मत दें। आउट डोर गेम खेलने दें। बच्चे की एक्टिविटी में चेंज आ रहे हैं तो इस पर ध्यान दीजिए।डॉ। राकेश पासवान, मनोचिकित्सक