- प्रयागराज में नहीं है एक भी डाल्फिन सीधे गंगा में गिर रहा नालों का पानी- भारतीय लोक प्रशासन संस्थान गंगा सफाई को लेकर स्कूली बच्चों को करेगा जागरुक

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। यह बात सही है कि नमामि गंगे योजना के तहत अभी तक गंगा की सफाई के नाम करोड़ों-अरबों रुपए बहाए जा चुके हैं, लेकिन नदी में प्रदूषण जस का तस बना हुआ है। खुद एक्सपर्ट बताते हैं कि गंगा का पानी आचमन योग्य नही है। 2025 में होने वाले महाकुंभ से पहले गंगा को साफ करने की कवायद फिर से शुरू हो गई है। इस बार नई दिल्ली भारतीय लोक प्रशासन संस्थान को इसकी जिम्मेदारी मिली है। यह संस्थान लोगों को गंगा के महत्व के बारे में जागरुक कर हितधारकों को शिक्षित करना है। प्रयागराज में सहयोगी संगठन दिशा दृष्टि संस्थान विशेष भूमिका निभाएगा।

18 हजार से अधिक बच्चों से ऑनलाइन ली जा चुकी है राय
65 फीसदी अंडर ग्राउंड वाटर का हिस्सा गंगा से होता है रिचार्ज

18 हजार स्कूली बच्चों से लिया है फीडबैक
मंगलवार को लोक प्रशासन संस्थान की ओर से आयोजित एक प्रेस कांफ्रेस में रिसर्च आफिसर कनिष्का शर्मा ने बताया कि यह नमामि गंगे योजना के तहत दूसरा फेज चल रहा है। पहले फेज में हमने 18 हजार स्कूली बच्चों का ऑनलाइन फीडबैक लिया था। उन्होंने गंगा सफाई को लेकर जागरुकता की बात कही थी। फिर सभी को शिक्षित किया गया था। इस बार भी 8 अगस्त से शुरू हुए दूसरे फेज के तहत प्रयागराज के दस स्कूलों के छात्रों को गंगा के महत्व के बारे में बताकर उन्हे गंगा संरक्षण के प्रति सामूहिक भावना को बढ़ावा दिया जाएगा।

प्रयागराज में नही हैं डाल्फिन
एक्सपट्र्स ने बताया कि देश में गंगा का सबसे बड़ा बेसिन है। 2550 किमी लंबी नदी में कुल 14 बेसिन हैं। यह नदी देश की 40 फीसदी आबादी को आच्छादित करती है। साथ ही अंडर ग्राउंड वाटर का 65 फीसदी हिस्सा गंगा से रिचार्ज होता है। ऐसे में गंगा के महत्व को प्रत्येक प्रकार से बताना जरूरी है। तभी लोग अपनी जिम्मेदारियों को समझेंगे। बताया कि गंगा की स्थिति पहले से ठीक है। दस साल पहले नदी में 300 डाल्फिन थी और अब इनकी संख्या 3000 हो गई हैं। भागलपुर, उत्तराखंड सहित तमाम जगहों पर इन्हें देखा जा सकता है। डाल्फिन वही होती है जहां गंगा में पाल्यूशन कम होता है। एक सवाल के जवाब मे ंउन्होंने बताया कि प्रयागराज में एक भी डाल्फिन नही है। कारण है कि वह भीड़ भाड़ वाली जगह पर नही रहती है। यह भी बताया कि सरकार ने गंगा की मानीटरिंग की जिम्मेदारी देश की सात आईआईआईटी को सौंपी है। जिसमें कानपुर आईआईटी का बड़ा रोल है।

इनको किया जाएगा जागरुक व देंगे ट्रेनिंग
- स्कूल स्टूडेंट्स
- कालेज स्टूडेंट्स व एकेडमिया
- आम जनता व स्प्रिचुअल कम्युनिटी व एनजीओ
- पालिसी मेकर्स व सिविल सोसायटी
- सेंट्रल साइंटिफिक एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूशंस
- अर्बन लोकल बॉडीज
- इंडस्ट्रीज
- जिला स्तरीय गंगा समिति

यूपी में जल्द बनेगा चार बायोडायवर्सिटी पार्क
प्रेस वार्ता में प्रो। विनोद शर्मा ने बताया कि यूपी में जल्द ही चार बायोडायवर्सिटी पार्क बनने जा रहे हैं। जिनमें विभिन्न पशु-पक्षियों के साथ दूसरे देश से आने वाले पक्षियों को भी रखा जाएगा। आने वाले समय में ये बेड़ पिकनिक स्पॉट होंगे जहां लोग पर्यावरण को लेकर जागरुक होंगे। उन्होंने बताया कि देश की सभी आईआईटी समेत पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को गंगा में प्रदूषण की मानीटरिंग करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

Posted By: Inextlive