आधा दर्जन से अधिक घाट बाढ़ की चपेट में शवों की अन्त्येष्टि के लिए करना पड़ रहा इंतजार नदियों में बाढ़ आने से यहां के श्मशान घाट पूरी तरह से डूब चुके हैं. घाट के किनारे जहां एक साथ बीस से पच्चीस शवों को जलाने की जगह थी वहां पानी बढऩे के चलते मुश्किल से एक भी शव जलाने की जगह नहीं बची है. क्योंकि लगातार गंगा और यमुना का जलस्तर बढ़ता जा रहा है. शहर में करीब आधा दर्जन श्मशान घाट है जो पूरी तरह से बाढ़ में डूबे हुए है. यही कारण है कि लोग शवों का अंतिम संस्कार श्मशान घाट पर सनातनी परंपरा के मुताबिक नहीं कर पा रहे हैं. दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट के पड़ताल में सामने आया कि लोग मजबूरी में दारागंज और शंकरघाट के विद्युत शवदाह गृह जाना पड़ रहा है. लकड़ी तक पूरी तरह से भीग गई है. जिसके चलते शवदाह गृह ही एक आप्शन है.

प्रयागराज (ब्यूरो)। शहर के दारागंज, फाफामऊ, ककरहा, अरैल, छतनाग और नई झूंसी के तट पर लोग अंतिम संस्कार करने पहुंचते है, लेकिन अब यह स्थान बाढ़ की चपेट में है। रसूलाबाद घाट भी जलमग्न हो गया है। गुरुवार देर शाम तक पूरा श्मशान घाट डूब गया। जहां दोपहर तक कई शवों को जलाने का काम किया गया था। वहीं दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट रिपोर्टर ने शुक्रवार को रसूलाबाद घाट पहुंच वहां के महौल को देखा। यहां चारों तरफ पानी भरा था। सड़कों पर नाव चल रही थी। स्थिति यह हुई कि एक भी शव जलाने का जगह नहीं बची है। पानी सड़क तक आ गया। महराजिन बुआ समिति के सदस्य राजेश निषाद बताते है कि बाढ़ का पानी बढ़ गया है। जो लाशें यहां आ रही हैं उन्हें जलाने के लिए जगह नहीं है। अस्थायी तौर पर श्मशान घाट तैयार किए जाने की तैयारी है। जहां जगह बच रही है या फिर सड़कों पर शवों को जलाया जा रहा है।
प्रतिदिन 40 से 50 बॉडी पहुंच रही
जिले के अंदर दो विद्युत शवदाह गृह चल रहे है। पहला दारागंज और दूसरा शंकरघाट पर है। दो-तीन पहले तक यहां एक या दो लाशें आ जाये बड़ी बात है। लेकिन अब यहां प्रतिदिन चालीस से पचास लाई जा रही है। दारागंज शवदाह गृह में गुरुवार को यहां 18 से बीस लाशें जलाई गई थी। इसी तरह शंकरघाट शवदाह गृह 22 से 25 लाशें जलाई गई थी। एक लाश बिजली मशीन से जलाने में एक से डेढ़ घंटे का समय लग जाता है। लेकिन फाल्ट के चलते घंटों समय लग रहा है।
घाट पर पानी भर जाने से शवदाह गृह में जलाने की संख्या बढ़ गई है। लोगों को घंटों देर तक इंतजार करना पड़ रहा है। जनपद के कोने-कोने से लोग यहां आ रहे हैं।
- सुरेश, केयर टेकर शंकरघाट शवदाह गृह

प्रतापगढ़ जनपद से शव को लेकर पहुंचे है। रसूलाबाद घाट पूरी तरह से डूबा हुआ है। अब मजबूरी में बिजली शवदाह गृह में शव को ले जा रहा हूं, और वहीं अंतिम संस्कार होगा।
- शैलेश कुमार, अंतिम संस्कार के लिए
आए परिजन

नवाबगंज से आए है। लकड़ी भी खरीद लिये थे लेकिन लकड़ी पर शव जलाने की व्यवस्था नहीं बन पाई तो अब बिजली से ही अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। कोई और दूसरा रास्ता नहीं है।
श्रीपति सिंह, अंतिम संस्कार के लिए आए परिजन

Posted By: Inextlive