रोगों से लड़ना सिखा गया कोरोना
- हॉस्पिटल्स में कम हो गई ओपीडी, कम हो गए कॉमन बीमारियों के मरीज
हैंड सैनेटाइजर, सोशल डिस्टेंसिंग और आयुर्वेदिक दवाओं के सेवन से जाते-जाते कोरोना ने लोगों को स्वस्थ रहना सिखा दिया। सोशल डिसटेंसिंग, हैंड सेनेटाइजिंग, काढ़ा पीने जैसी तमाम आदतों ने लोगों को कॉमन बीमारियों से लड़ने में सहायता की है। यही कारण है कि हॉस्पिटल्स में सन्नाटा पसरा हुआ है। उनमें आने वाले मरीजों की संख्या आधी रह गई है। एक हजार लोग दे रहे हैं दस्तक काल्विन हॉस्पिटल की बात करें तो यहां रोजाना औसतन एक हजार मरीज दस्तक दे रहे हैं। जबकि कोरोना काल के पहले काल्विन में दो से ढाई हजार मरीजों की ओपीडी होती थी। इनमें दो तिहाई मरीज कॉमन और मौसमी बीमारियों के होते थे, लेकिन अब ऐसे मरीजों की संख्या काफी कम हो गई है। खाली रहती है फिजीशियन की ओपीडीबेली हॉस्पिटल में इस समय रोजाना 700 से 800 मरीजों की ओपीडी हो रही है। खासकर फिजीशियन की ओपीडी में अधिकतर सौ मरीज ही पहुंच रहे हैं। पहले यह आंकड़ा चार से पांच सौ का होता था। कोरोना काल के पहले बेली में रोजाना की ओपीडी ढाई हजार से कम नही होती थी।
बच्चों की सेहत पर भी पड़ा है प्रभावचिल्ड्रेन हॉस्पिटल के बेड तो हमेशा फुल रहते हैं लेकिन ओपीडी में मरीजों की संख्या पहले से काफी कम हो गई है। 600 मरीजों की ओपीडी इस समय 250 पर सिमटकर रह गई है। डॉक्टर्स का कहना है कि कोरोना काल में बच्चों को भी साफ सफाई और सोशल डिसटेंसिंग के बारे में खूब बताया गया है। जिसका असर दिखने लगा है।
इन बीमारियों से हुआ है बचाव उल्टी दस्त बुखार सिरदर्द खुजली चकत्ते दाने जुकाम खांसी प्राइवेट क्लीनिक में भी सन्नाटा कोरोना काल के बाद का असर प्राइवेट क्लीनिकों में भी दिखने लगा है। यहां भी मरीजों की संख्या एक तिहाई पहुंच गई है। डॉक्टर्स का कहना है कि पहले सर्दी, जुकाम होने पर लोग एक बार जरूर आते थे लेकिन अब काढ़ा, गिलोय सहित तमाम आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन कर ठीक हो रहे हैं। लोगों ने एक्सरसाइज करना भी शुरू कर दिया है। इससे उनकी फिटनेस बनी हुई है। इन आदतों से बदली तस्वीर सोशल डिसटेंसिंग हैंड सैनेटाइजिंग हैंड वाशिंग मास्क पहनना हेड कवर घर की साफ सफाई ग्लब्ज वियरिंग गिलोय, काढ़ा, च्यवनप्राश का सेवन ब्लैक टी, ग्रीन टी एक्सरसाइज, योगकोरोना काल के बाद मरीजों की संख्या काफी कम हो गई है। अब ओपीडी में अधिक भीड़ नही हो रही है। मौसमी बीमारियों के मरीज तो काफी कम हो गए हैं।
डॉ। सुषमा श्रीवास्तव एसआईसी, काल्विन हॉस्पिटल लोगों की आदतों में बदलाव हुआ है। कई लोग हैं जो अब हाथ मिलाने से परहेज करते हैं। इससे इंफेक्शन का रेट गिरा है। सबसे ज्यादा इंफेक्शन छूने और काफी करीब आने से फैलते हैं। डॉ। एमके अखौरी अधीक्षक, बेली हॉस्पिटल केवल बड़े ही नही, बच्चों ने भी अपनी सेहत को सुधारा है। माता-पिता ने बच्चों को साफ सफाई के बारे में काफी सिखाया है। इसका असर अब दिखने लगा है। कामन मरीज कम आ रहे हैं। डॉ। एमवी सिंह एचओडी, चिल्ड्रेन हॉस्पिटल पहले हम लोग दवाओं पर भरोसा करते थे लेकिन अब काढ़ा, गिलोय, लौंग, तुलसी और च्यवनप्राश के पीछे चल रहे हैं। इससे हमारी इम्युनिटी बढ़ गई है। हमारा शरीर आम इंफेक्शन से लड़ने लायक हो गया है। डॉ। संजय त्रिपाठी आयुर्वेदाचार्य पहले से मरीजों की संख्या कम हुई है। लोगों की सेहत सुधर रही है और यह अच्छा संकेत है। हमें इसका पालन करना होगा। कोरोना ने लोगों को अपना ख्याल रखना और स्वस्थ रहना सिखा दिया है। डॉ। विनीता विश्वकर्मा एमडी, विनीता हॉस्पिटल