वकील से मिलने के लिए आया था प्रयागराज, परेड एरिया से दिखायी गयी गिरफ्तारी

साढ़े चार साल पहले हुई थी डॉ। बंसल की हत्या, जेल भेजे जा चुके हैं सुपारी किलर

क्कक्त्रन्ङ्घन्द्दक्त्रन्छ्व: जीवन ज्योति हॉस्पिटल के मालिक डॉ। एके बंसल मर्डर केस का मास्टर माइंड आलोक सिन्हा करीब साढ़े चार साल बाद बुधवार को एसटीएफ के हत्थे चढ़ ही गया। पचास हजार रुपये के इनामी घोषित किये जा चके आलोक सिनहा ने डाक्टर बंसल के मर्डर की साजिश नैनी जेल में रची थी। आलोक ने भी साजिश में माफिया दिलीप मिश्रा के शामिल होने की बात कुबूल किया है। इस सनसनीखेज वारदात को अंजाम देने के लिए उसके द्वारा शूटरों को 70 लाख रुपये दिए गए थे। कत्ल की वजह दिलीप से जमीन की रंजिश और खुद से रुपये का विवाद है। वारदात के बाद वह दिल्ली और गाजियाबाद सहित अन्य ठिकानों पर छिपकर रह रहा था। वकील से मिलने वह बुधवार को प्रयागराज आया था। कीडगंज परेड मैदान के बीच वाली रोड पर बनी पुलिया के पास उसकी लोकेशन एसटीएफ को मिली थी। सटीक खबर मिलते ही बगैर देर किए टीम ने उसे कार सहित दबोच लिया। तलाशी में उसके पास दो मोबाइल व एक क्रेडिट कार्ड और 150 रुपये नकद मिलने की बात एसटीएफ द्वारा कही गई।

पचास हजार शातिर पर था इनाम

हॉस्पिटल के चेंबर में घुसकर शूटरों ने 12 जनवरी 2017 में डॉक्टर एके बंसल को गोलियों से भून दिया था। उनकी मौत की खबर से न सिर्फ शहर पूरे प्रदेश में सनसनी फैल गई थी। मामले में शूटर को लखनऊ एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किया गया था। उसके जरिए इस कत्ल के मास्टर माइंड व मुख्य आरोपित के रूप में आलोक सिन्हा का नाम सामने आया था। आलोक सिन्हा मूल रूप से अशोक नगर रोड नंबर 10 कंकड़ बाग कॉलोनी पटना बिहार का रहने वाला है। वह नोएडा में फ्लैट नंबर 22 मैनहटअन- 11 महागुन सेक्टर 78 थाना 49 नोएडा व आदित्य मेगा सिटी फ्लैट नंबर एल 002 इंद्रापुरम गाजियाबाद एवं फ्लैट नंबर 83 सेक्टर 23 वैशाली गाजिया बाद में भी ठिकाना बना रखा था। डॉक्टर बंस की हत्या के बाद वह इन्हीं ठिकानों पर छिप-छिप कर रहा करता था। पुलिस द्वारा इसके ऊपर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया था। डॉक्टर बंसल की हत्या में उसने प्रतापगढ़ जिले के शूटर मो। शोएब को इस्तेमाल किया था। डॉक्टर बंसल की हत्या उस वक्त की गयी थी जब वह अपने अस्पताल के चैम्बर में मरीज देखने के लिए बैठे थे। पीछे वाले गेट से पहुंचे दो शूटरों ने उन पर गोलियां बरसाई थी।

भाई ने दर्ज कराया था मुकदमा

डॉ। एके बंसल के छोटे भाई प्रवीण कुमार बंसल ने कीडगंज थाने में हत्या का मुकदमा दर्ज करवाया था। शूटर मो। शोएब पांच अप्रैल 2021 को एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ में मो। शोएब ने बंसल मर्डर केस के मास्टर माइंड के रूप में आलोक सिन्हा व माफिया दिलीप मिश्रा का नाम कबूल किया था। दिलीप मिश्रा पहले से ही जेल में है। भागा-भागा फिर रहा आलोक सिन्हा बुधवार को अपने बचाव में किसी अधिवक्ता से मिलने परेड पहुंचा था। सटीक खबर मिलने पर एसटीएफ प्रयागराज ने उसे दबोच लिया।

दिलीप से दिल्लगी व मर्डर की स्क्रिप्ट

पूछताछ में आलोक सिनहा ने पूरी घटना की चौंकाने वाली कहानी और कारण के बारे में एसटीएफ को बताया।

एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक पटना में पढ़ाई पूरी होने के बाद आलोक काम शुरू करने के लिए दिल्ली चला गया। शुरू में वहां कोचिंग में मैथ पढ़ाता था।

वर्ष 2013 में मेडिको मेकर्स के नाम से लाजपत नगर नई दिल्ली में तीन दोस्तों संग कोचिंग खोली।

उसने टॉपर्स 100 के नाम से वैशाली गाजियाबाद के सेक्टर 04 के एक बिल्डिंग में कोचिंग खोली थी। यहां मेडिकल व इंजीनियरिंग की तैयारी करवाई जाती थी।

बिल्डिंग के मालिक महर्षि महेश योगी विश्वविद्यालय के चेयरमैन अजय प्रकाश श्रीवास्तव थे।

कोचिंग बिल्डिंग मालिक होने के कारण अजय प्रकाश श्रीवास्तव से उसकी बैठने लगी।

इसी के जरिए उसकी महर्षि योगी विश्वविद्यालय लखनऊ में इंट्री हो गयी।

लखनऊ में ही उसकी मुलाकात अजय ने डॉ। एके बंसल से करवाई थी। कहाकि डॉ। बंसल भी उस विद्यालय में पार्टनर थे।

कुछ दिन बाद डॉ। बंसल से प्रगाढ़ता बढ़ी तो वह बेटे डॉ। अर्पित बंसल के डीएम नेफ्रोलॉजी में एडमिशन की बात कहे।

इसके लिए बंसल द्वारा उसे 55 लाख रुपये दिए गए। दस लाख चेक व 15 लाख सोनू नाम के व्यक्ति के जरिए दिलवाए। शेष 30 लाख रुपये कैस के रूप में दिए।

आलोक सिन्हा ने कहा कि उसका अक्सर इलाहाबाद आना होता था। डॉक्टर बंसल के परिवार से भी वह काफी परिचित हो गया।

गुनाह कबूल करते हुए बताया कि जमीन के मामले में दिलीप मिश्रा निवासी लवायल कला डॉ। एके बंसल के पास आया करता था।

इससे उसकी पहचान दिलीप मिश्रा से भी हो गई। बेटे का एडमिशन नहीं हुआ तो सिविल लाइंस में डॉ। बंसल आलोक सिन्हा के खिलाफ मुकदमा लिखवा दिए।

उसे पुलिस गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। नैनी जेल के बैरक पांच में उसकी मुलाकात पूर्व परिचित दिलीप मिश्रा से हो गई।

दिलीप मिश्रा जेल में उसका पूरा ख्याल रखा करता था। दिलीप मिश्रा ने ही गांव के दो जमानतदारों की व्यवस्था करके उनकी जमानत करवाई थी।

पूछताछ में यह भी कबूल किया कि जेल में ही उसने दिलीप मिश्रा से डॉ। बंसल को ठिकाने लगाने की बात की थी।

उसकी बात सुन दिलीप ने कहा कि डॉ। एके बंसल से लगभग साढ़े तीन बीघा जमीन का उससे भी विवाद है।

दिलीप ने कहा था कि कब्जा मेरा है पर डॉ। बंसल रजिस्ट्री नहीं कर रहा जबकि जमीन मेरे गांव में व मौके की है।

यदि डॉ। एके बंसल हट जाय तो दोनों की समस्या समाप्त हो जाय। प्लान के तहत दिलीप मिश्रा ने अख्तर कटरा से बात करके डॉ। बंसल की हत्या करने के लिए प्रतापगढ़ के शूटर उपलब्ध कराए।

आलोक सिन्हा ने कहा कि शूटरों को 70 लाख रुपये मेरे द्वारा दिए गए थे। इसी के बाद शूटरों ने डॉ। एके बंसल की हत्या की थी।

इसी जमीन का दिलीप से था विवाद

एसटीएफ ने बताया कि आठ अगस्त 2008 को डॉ। एके बंसल द्वारा आराजी 246/2, 288/2, 200 में से कुल तीन बीघा चार बिस्वा जमीन आलोक कुमार निषाद से खरीदी गई थी। आलोक कुमार निषाद पुत्र जवाहर लाल निषाद करछना तहसील के अरैल लवायनकला का रहने वाला है। उनके जरिए यह जमीन नकुल टेक्नोबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड के नाम से खरीदी गई थी। जिसके डॉ। एके बंसल अधिकृत मालिक थे। इस जमीन पर वर्तमान समय में दिलीप मिश्रा का कब्जा है।

डॉ। बंसल मर्डर केस का मास्टर माइंड व पचास हजार का इनामी आलोक सिन्हा वकील से मिलने आया है। यह खबर मिलने के बाद टीम के साथ मैं खुद एक्टिव हो गया। बताए गए लोकेशन व गाड़ी परेड मैदान बीच रोड पर नजर आई तो घेरा बंदी करके गिरफ्तार किया गया। उसने कत्ल के सारे राज व गुनाह कबूल कर लिए हैं।

नवेन्दु कुमार

सीओ एसटीएफ, प्रयागराज युनिट

Posted By: Inextlive