बाउंस चेक कर रहा मालामाल
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डिवीजन है सिटी के अंदर 54 उपकेंद्र है सिटी एरिया में 5340 चेक बाउंस हुये एक साल में 40 लाख पांच हजार रुपये का एक्स्ट्रा इनकम - कंज्यूमर की लापरवाही के चलते हर साल चेक बाउंस चार्ज से बिजली विभाग कमा रहा लाखों रुपये - दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट रिपोर्टर ने एक साल के बाउंस चेक द्वारा साइड इनकम का निकाला ब्योराPRAYAGRAJ: कंज्यूमर की एक छोटी सी लापरवाही और होशियारी के चलते बिजली विभाग बिना कुछ किये हर साल लाखों रुपये का साइड इनकम कर रहा है। बीते 2020 वर्ष में सिटी के अंदर लाखों कंज्यूमर द्वारा चेक से भुगतान किया गया। उनमें से ज्यादातर कंज्यूमर का चेक क्लियर हो गया। लेकिन वहीं साढ़े पांच हजार करीब ऐसे कंज्यूमर सामने आए हैं। जिन्होंने भुगतान हेतु चेक तो दिया लेकिन बाउंस कर गया। बैंक का बाउंस चार्ज वसूलने के अलावा विभाग को एक दो लाख नहीं बल्कि 41 लाख रुपये की कमाई हुई है। चेक बाउंस की स्टोरी में जुटे दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट रिपोर्टर को मंगलवार एक साल का चेक बाउंस ब्योरा हाथ लगा तो विभाग द्वारा बिना कुछ किये मालामाल की बात सामने आई।
बैंक से ज्यादा आरसी-डीसी चार्जचेक बाउंस की स्टोरी करने में जुटे दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट रिपोर्टर ने बाउंस चार्ज से लेकर एक्स्ट्रा चार्ज के बारे में पड़ताल की। पड़ताल में सामने आया कि बीते 2020 वर्ष में कुल 5340 ऐसे कंज्यूमर थे। जिनका चेक बाउंस होने से विभाग को 41 लाख रुपये बिना कुछ किये कमायी हुई है। सबसे बड़ी बात है कि बैंक का बाउंस चार्ज देने के बाद एक्स्ट्रा इनकम की गई। चेक बाउंस वाले कंज्यूमरों से 600 रुपये आरसी-डीसी व दिये गए चेक एकाउंट का 1.5 इंटरेस्ट वसूला गया। बैंक के 150 रुपये बाउंस चार्ज से अधिक आरसी-डीसी का व इंटरेस्ट चार्ज शामिल था।
गलती का अहसास तब होता है। जब कंज्यूमर एक्स्ट्रा चार्ज भरता है। यह बिल्कुल ट्रैफिक रूल्स तोड़ने पर लंबे एकाउंट का चालान चार्ज जैसा ही है। ताकि आगे से गलती न करें। इस बात को कंज्यूमर को खुद ध्यान में रखना होगा। अगर चेक क्लियर हो जाता है तो कोई आरसी-डीसी चार्ज व 1.5 इंटरेस्ट नहीं लिया जाता है। अविनाश पटेल, अधिशाषी अभियन्ता