कन्ज्यूमर फोरम का आदेश: नया मोबाइल दें
प्रयागराज (ब्यूरो)। दुकानदार पूरा पैसा लिया। काफी कहने के बाद भी एक रुपये नहीं छोड़ा। वह पैसा तो फुल लिया, मगर मोबाइल लुल थमा दिया। मोबाइल में खराबी आने पर बनाने की गारंटी भी दिया था। नया मोबाइल लेकर महिला खुशी-खुशी घर पहुंची। घर पर पहुंच कर वह मोबाइल को चलाना शुरू की। शुरू से ही वह सेट हैंग करने लगा। उसकी बैट्री भी जल्दी ही डिस्चार्ज होने लगी। परेशान होकर वह वह दुकानदार के पास पहुंची। मोबाइल में खराबी की उससे शिकायत की। दुकानदार उसे सर्विस सेंटर भेज दिया। सर्विस सेंटर पर उससे एक्स्ट्रा पैसों की डिमांड की गई। दुकान से लेकर सर्विस सेंटर तक वह चक्कर लगाती रही। मगर उसकी समस्या का समाधान नहीं हुआ। थक हारकर वे जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग पहुंची। यहां केस दायर करके इंसाफ की गुहार लगाई। पूरे पांच साल बाद इस मामले में निर्णय आया। आयोग ने निर्णय में कहा कि उसे उसी कीमत का नया मोबाइल दिया जाय। मोबाइल नहीं देने पर उसी पूरा पैसा व्याज के साथ वापस करें।
करेली की है महिला
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के इस निर्णय से सभी को सबक लेना चाहिए।
जब भी आप किसी सामान की खरीदारी करें तो दुकानदार से रसीद जरूर लें।
यदि उस पर वारंटी या गारंटी है तो यह भी लिखित में होना चाहिए। ताकि वारंटी या गारंटी समय में खराबी आए तो आप भी बजमी खान सरीखे इंसाफ की लड़ाई लड़ सकें।
पीडि़त बजमी खान गौस नगर करेली निवासी जुल्फेकार अहमद खान की पत्नी हैं।
वह 19 मार्च 2019 को एक सैमसंग का एलआईओ ब्लक मोबाइल खरीदारी कीं।
नुरुल्ला रोड स्थित न्यू यूनिवर्स टेलीकॉल पर उन्हें मोबाइल का रेट 9500 रुपये बताया गया।
केस में उन्होंने कहा कि कहने के बावजूद एक भी पैसा कम नहीं किया। पूरा पैसा लेने के बाद उन्हें दुकानदार मोबाइल पकड़ा दिया।
मोबाइल लेकर वह घर पहुंची। नए मोबाइल को चलाते ही हैंग करने की समस्या आने लगी। उसकी बैट्री भी जल्द ही डाउन हो जाती थी।
इस समस्या की शिकायत करने वह दुकानदार पहुंची। दुकानदार उन्हें सर्विस सेंटर भेज दिया।
वह आयोग को बताईं कि सर्विस सेंटर उनसे 3200 रुपये की अलग से मांग की गई। कर्मचारियों ने कहा यह पैसा जमा होने के बाद ही वे मोबाइल देखेंगे। दुकानदार के पास जाकर वे बताईं कि वहां 3200 रुपये की डिमांड की जा रही है।
उनकी बात को दुकानदार तवज्जो नहीं दिया और फिर सर्विस सेंटर जाने की सलाह दिया।
इस तरह उस मोबाइल को लेकर दुकान से सर्विस सेंटर का चक्कर लगाती रहीं।
उनकी समस्या का समाधान गारंटी होने के बावजूद नहीं किया गया।
इस पर वह इंसाफ के लिए जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में वाद दायर कीं।
इस मामले की पूरे पांच साल तक सुनवाई चली।
लंबे वक्त का इंतजार करने के बाद इस केस में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने फैसला सुनाया।
आयोग अध्यक्ष मो। इब्राहीम व सदस्य प्रकाशचंद्र त्रिपाठी ने जो निर्णय दिया वह हर उपभोक्ता के लिए काम की है।
निर्णय में कहा गया कि विपक्षीगण यानी दुकानदार व कंपनी आदेश की तिथि से दो माह के अंदर महिला को उसी कीमत का नया मोबाइल दें।
मोबाइल नहीं देने की स्थिति में वे लिया गया सारा पैसा आठ प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज के साथ भुगतान करें।
महिला विपक्षियों से क्षतिपूर्ति के रूप में 3000 हजार रुपये व वाद व्यय के रूप में दो हजार रुपये प्राप्त करने की अधिकारी है।