प्रतियोगी छात्रों को नहीं मिला ठौर, निकले घर की ओर
प्रयागराज (ब्यूरो)। रोहित कुमार प्रयागराज के छोटा बघाड़ा इलाके में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। उनकी मुश्किलें इन दिनों चरम पर हैं। बाढ़ का पानी उनके लाज की निचली मंजिल में भर चुका है, जिससे बाहर निकलना और रोजमर्रा के काम करना बेहद कठिन हो गया है। बिजली की लगातार कटौती और मच्छरों की भरमार ने उनकी पढ़ाई को पूरी तरह से ठप कर दिया है। प्रवेश ने बताया, बाढ़ के कारण घर में कैद होकर रह गए हैं। जरुरत का सामान खत्म हो रहा है और लाइब्रेरी तक जाने का कोई रास्ता नहीं बचा है। पढ़ाई करना तो दूर, दिन बिताना ही मुश्किल हो गया है। इस समस्या की वजह से प्रयागराज में रहकर तैयारी करने वाले काफी प्रतियोगी छात्र अपने घरों की ओर रवाना हो गए हैं।
लाइब्रेरी भी बंद
रोहित की तरह प्रयागराज के कई अन्य छात्र भी इस भीषण बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं। छोटा बघाड़ा, पाल चौराहा, सलोरी और रसूलाबाद जैसे इलाकों में रहने वाले प्रतियोगी छात्रों की तैयारी बाढ़ के पानी और उसकी वजह से आई परेशानियों के कारण ठप पड़ी हुई है। लाइब्रेरियों में पानी घुस जाने से पढ़ाई के लिए जरूरी संसाधन उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं, और लगातार बिजली कटौती से उनका जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। मच्छरों के बढ़ते आतंक और गंदे पानी से फैलती दुर्गंध ने छात्रों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
प्रवेश यादव, जो पीसीएस की तैयारी कर रहे हैं, भी बाढ़ से प्रभावित हैं। वे किराए के कमरे में रहते हैं और लगातार इस ङ्क्षचता में हैं कि बाढ़ का पानी कब उनके कमरे में घुस जाएगा। नितिन ने कहा, 'हर पल सामान पैक करके तैयार रहना पड़ता है, पता नहीं कब कमरा खाली करना पड़ जाए। पढ़ाई पूरी तरह से बंद हो गई है, और बिजली के बिना कुछ करना मुश्किल हो गया है.Ó कुछ छात्रों ने मजबूरन ऊंचे इलाकों में शरण ली है, लेकिन वहां भी राहत की कमी बनी हुई है। विवेक और शैलेष वर्मा जैसे छात्र प्रशासन से राहत की उम्मीद में टिके हुए हैं। उनका कहना है कि अगर हालात जल्द नहीं सुधरे, तो उनकी परीक्षाओं की तैयारी पर गंभीर असर पड़ सकता है। मच्छरों और गंदगी के कारण बीमारियों का भी खतरा बढ़ गया है।
रिश्तेदारों ने दी शरण
सलोरी में किराए पर रहने वाले रवि और आकाश कहते हैं कि बाढ़ ने छात्रों की पढ़ाई के साथ-साथ उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। निचली मंजिल पर रहने वाले प्रतियोगी छात्र अपना सामना उपरी मंजिल में रह रहे प्रतियोगी छात्रों के कमरे में रखकर या तो घर चले गए, या फिर स्थानीय रिश्तेदारों के यहां शरण ले ली है।