आ अब लौट चलें...
प्रयागराज (ब्यूरो)। माघी पूर्णिमा के स्नान का पुण्य काल मंगलवार की रात 9 बजकर 45 मिनट से लग गया था। जिसके चलते रात से ही श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। सुबह होते होते संगम तट पर श्रद्धालुओं की भीड़ बढऩे लगी। लाखों की संख्या में स्नानार्थियों का रेला मेले में आने लगा था। दोपहर बारह बजे तक संगम नोज पर श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हो गई थी। इसी तरह दारागंज और अरैल में भी श्रद्धालुओं ने पहुंचकर पुण्य की डुबकी लगाई।
एक दिन पहले बुला लिया वाहन
माघ मेले में हर साल प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, मिर्जापुर, कौशांबी, फतेहपुर, रायबरेली, रीवा, सतना आदि जिलों से कल्पवासी आते हैं। माघी पूर्णिमा का स्नान करने के बाद यह अपने घर को लौट जाते हैं। चूंकि एक दिन पहले से ही मेला में नो एंट्री लग गई थी ऐसे में कल्पवासियों ने सामान ढोने के लिए मंगलवार की रात से ही वाहन मेला एरिया में पार्क करा दिया था। अधिकतर कल्पवासियों का सामान ट्रैक्टर, जीप, छोटा हाथी, टैंपो आदि पर लदकर गया। शाम होते होते 80 फीसदी कल्पवासी अपने घरों को लौट चुके थे।
बोले, अगले साल फिर मिलेंगे
प्रतापगढ़ से आए महानंद तिवारी पिछले कई सालों से कल्पवास कर रहे हैं। सेक्टर चार में उनके शिविर के नजदीक रीवा से आए देवेश दुबे का शिविर लगा था। माह भर में दोनों परिवारों के बीच अच्छे संबंध बन गए। बुधवार को घर जाते समय दोनों परिवारों ने नम आंखों से विदा ली और बोले अगले साल फिर मिलेंगे। इसी तरह सेक्टर पांच में कल्पवास करने आए सिद्धार्थ सिंह और ब्रजेश शुक्ला के परिवारों के बीच भी अच्छे संबंध बन गए। उनके बच्चे और नाती-पोतों के बीच भी अपनापन पनप गया।
हालांकि बुधवार को बीस फीसदी स्नानार्थी अपने घर नही गए। वह दो दिन बाद होने वाले त्रिजटा स्नान करने के बाद घर को विदा होंगे। इनमे सबसे ज्यादा संत-महात्मा शामिल हैं। उनके लिए त्रिजटा स्नान का अधिक महत्व है। इसके बाद मेले में कोई नही रुकेगा। संन्यासियों ने बताया कि माघी पूर्णिमा के अवसर पर स्वयं भगवान श्रीविष्णु अदृश्य रूप में गंगा स्नान करते हैं। इस दिन गंगा में डुबकी लगाने से पाप का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। मोक्षकामना की पूर्ति हो जाती है। माघी पूर्णिमा के अवसर पर दस लाख लोगों ने पुण्य की डुबकी लगाई है।