रंग लाई कवायद, शहर में बनेंगे टॉयलेट
टॉयलेट बनवाने के लिए एआरटीओ प्रशासन ने नगर निगम एनवायरमेंट अफसर को पत्र लिखा
दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट के 'एक्सक्यूज मी, वेयर इज माइ टॉयलेट' अभियान में व्यापारियों से लेकर संगठन व एनजीओ की महिलाओं ने टॉयलेट बनवाने के दौरान हर संभव मदद की कही बात दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट की ओर से चलाए जा रहे 'एक्सक्यूज मी, वेयर इज माइ टॉयलेट' अभियान का असर हुआ है। इसकी बदौलत आरटीओ आफिस में एक नया टॉयलेट बनवाया जाएगा। इस बाबत एआरटीओ प्रशासन डा। सियाराम वर्मा ने नगर निगम एनवायरमेंट अफसर उत्तम कुमार वर्मा को पत्र भी लिखा है। इस पर उन्होंने सहमति भी जताई है। उनका कहना है कि जल्द ही कार्य शुरु हो जाएगा।बता दें अभियान के तहत शनिवार को आयोजित हुए डिबेट में यह बात निकल कर सामने आई थी कि सिटी के अंदर ही कई ऐसी जगह है। जहां पिंक टॉयलेट आसानी से बनवाया जा सकता है। बस नगर निगम अपनी इच्छाशक्ति मजबूत कर लें। व्यापार मंडल के पदाधिकारी व महिला संगठनों ने कई ऐसे स्थान बताएं जहां पिंक टॉयलेट बनवाया जा सकता है। उन जगहों पर टॉयलेट बनाने को लेकर नगर निगम मंथन कर रहा है।
सेफ्टी के साथ सुरक्षा जरूरीटॉयलेट के लिए संघर्ष कर रही महिला संगठनों का कहना है कि शहर में पिंक टॉयलेट के लिए सभी जरूरी चीजों का ख्याल रखा जाए। सेफ्टी के साथ सुरक्षा में लापरवाही न हो। वहीं मार्केट एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है जरूरत वाली जगहों पर मोबाइल टायलेट रखें जाएं। इसके लिए एक निर्धारित शुल्क लिया जाए। इससे होने वाले आय से टॉयलेट का रखरखाव किया जाएगा।
अभियान में निकलकर आई बातें - पीडीए और नगर निगम में सामंजस्य न होने के चलते टॉयलेट की नहीं बढ़ पाई संख्या - शहर के मुख्य बाजारों और पॉश एरिया में जगह न होने के चलते नहीं बन पा रहे टॉयलेट - पुराने बने टॉयलेट की रखरखाव की कमी के चलते कई टॉयलेट बंद पड़े हैं - विभाग के अधिकारियों की इच्छाशक्ति के कमी के कारण स्पेस वाली जगह पर नहीं बन पा रहे टॉयलेट - साफ-सफाई न होने से टॉयलेट को यूज करने से बच रही हैं महिला - शहर में सिर्फ बने एक पिंक टॉयलेट को भी पुरुष कर रहे यूज पेमेंट लें, सुविधाएं देंसिटी के अंदर एक ही पिंक टॉयलेट है। जो मेडिकल चौराहे के पास बना है। यहां पांच रुपये में महिलाओं को टॉयलेट की सुविधा दी जा रही है। संगठनों की मांग है कि टॉयलेट में हैंडवॉश, डस्टबिन और पांच रुपये का सिक्का मशीन में डालने पर सेनेट्री नेपकिन मिले। साथ ही यहां सुरक्षा गार्ड की तैनाती की जाए।
एक सीट के टॉयलेट पर 98 हजार की लागत एक सीट का टॉयलेट बनवाने में 98 हजार रुपये का खर्च फिक्स है। इसके आगे जितने भी सीट बनेंगे उसमें 98 हजार जुड़ते जाएंगे। फंड की समस्या नहीं है बस जगह मिल जाए। पिंक टॉयलेट के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा जगह की उपलब्धता है। शहर के कई मार्केट व भीड-भाड़ वाले जगहों पर पिंक टॉयलेट बनाने की जरूरत है। जब भी इसके प्रयास किए गए, एक तो स्थानीय लोगों ने विरोध किया और दूसरा नगर निगम को इन स्थानों पर जगह उपलब्ध नहीं हो पाई। आरटीओ ऑफिस में टॉयलेट बनवाया जाएगा। इसके लिए पत्र भेज दिया गया है। उत्तम कुमार वर्मा, एनवायरमेंट अफसर स्कूलों, सार्वजनिक जगहों और संस्थानों में महिलाओं के लिए अलग से टॉयलेट की व्यवस्था होनी चाहिए। पिंक टॉयलेट बनवाने की बात हमेशा की जाती है। लेकिन विभागों की उदासीनता के चलते महिलाओं को इसका अधिकार नहीं मिल सका है। मंजू पाठक, महिला अधिकार संगठन अध्यक्ष'आधी आबादी' अभी भी मूलभूत सुविधाओं में शामिल टॉयलेट की समस्या से जूझ रही है। इस मुद्दे को हर कोई उठाता है लेकिन समय बीतने के बाद दब जाता है। टॉयलेट के लिए हर कोई शुल्क देने को तैयार है। लेकिन वहां साफ-सफाई और सुविधाएं पूरी मिलनी चाहिए।
पूजा रंजन, राजलक्ष्मी चैरिटेबल सोसायटी अध्यक्ष