-डायबिटीज, बीपी सहित तमाम बीमारियों से बचाता है मोटा अनाज
प्रयागराज- जो लोग कोई नशा नही करते या नियमित जीवन जीते हैं, उनको भी डायबिटीज और हाईपरटेंशन जैसी बीमारियां हो रही हैं। यह चिंता का विषय है। यह केवल हमारे देश की नही बल्कि पूरे विश्व की समस्या है। लोगों ने अब गेहूं और चावल से दूरी बनानी शुरू कर दी है। वह अब वापस मोटे अनाज की ओर लौट रहे हैं। यही कारण है कि यूनाइटेड नेशन ने 2023 को मिलेट्स ईयर घोषित किया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोटे अनाज को श्रीअन्न का नाम दिया है। धीरे धीरे लोगों को रुझान मोटे अनाज की तरफ जाने लगा है।
क्या है यह मिलेट्स
जानकारी के मुताबिक मिलेट्स उस मोटे अनाज को कहते हैं जो पांच हजार से अधिक वर्षों से भारतीय उपमहाद्वीप में उगाया और खाया जा रहा है। ये काफी हेल्दी होता है। इसे गरीबों का अनाज कहा जाता है। पिछले कुछ वर्षों से दुनियाभर में इसके महत्व की चर्चा हो रही है। इस दो हिस्सों में बांटा गया है। इसमें वो मोटे दाने वाले अनाज आते हैं जिन्हें कटाई के बाद प्रोसेसिंग की जरूरत नहीं होती। सफाई के बाद ये खाने के लिए तैयार रहते हैं। इनमें रागी, ज्वार और बाजरा शामिल हैं। इनमें छोटे दाने वाले अनाज होते हैं। इसके बीज काफी छोटे होते हैं, जिन्हें हटाना पड़ता है। बीज हटाने के बाद ही ये खाने लायक होते हैं। पहले ये काम हाथ से होता था, आज इसके लिए मशीन मौजूद है। इनमें कोदो, फ्र ॉक्सटेल मिलेट्स यानी कंगनी शामिल है।
सुपर फूड है मिलेट्स
मिलेट्स में पोषक तत्व ज्यादा होते हैं। गेहूं और धान की फसलों के मुकाबले इसमें सॉल्युबल फाइबर के साथ ही कैल्शियम और आयरन की मात्रा अधिक होती है। रागी यानी मंडुवा को ही लें, तो इसके प्रति 100 ग्राम में 364 मिलिग्राम कैल्शियम की मात्रा होती है। इसके साथ ही बीटा-कैरोटीन, नाइयासिन, विटामिन-बी6, फोलिक एसिड, पोटैशियम, मैग्नीशियम, जस्ता आदि से ये अनाज भरपूर होते हैं। इसलिए इन्हें सुपरफूड भी कहा जाता है।
कब्ज से निजात दिलाता है श्रीअन्न
- इसमें मौजूद फाइबर यानी रेशा। यही फाइबर सॉल्युबल और नॉन सॉल्युबल दोनों ही तरह से पाचन तंत्र यानी डाइजेस्टिव सिस्टम के लिए फायदेमंद है।
- सॉल्युबल फाइबर पेट में मौजूद नेचुरल बैक्टीरिया की मदद करते हैं जिससे पाचन बेहतर होता है।
- नॉन सॉल्युबल फाइबर पाचन तंत्र से मल को जमाकर उसे आसानी से शरीर के बाहर निकालने में मदद करते हैं। इस तरह मिलेट्स खाने वाले को कब्ज की समस्या नहीं होती।
कई बीमारियों के लिए जिम्मेदार है गेहूं
डॉक्टर्स कहते हैं कि गेंहू में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है। इसके साथ गेंहू में ग्लूटेन भी होता है। गेहूं में पाया जाने वाला ग्लूटेन डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज और मेंटल हेल्थ के लिए जिम्मेदार है। इसकी वजह से मोटापा भी होता है। कहते हैं कि गेंहू का महीन आटा आसानी से नहीं पचता। इसमें मौजूद ग्लूटेन से मोटापा और एलर्जी होगी। पचने में आसान नहीं होने से पेट में भारीपन और पाचन संबंधित समस्या हो सकती है।
इससे बचने के लिए चोकर वाले गेंहू को खाने में करें शामिल। गेंहू के आटे में मक्का, ज्वार और चने के आटे को मिलाकार खाएं। महीन गेंहू का आटा यानी मैदा खाने से परहेज करें।
मिलेट्स के फायदे
- हड्डी, दांत और बाल को मजूबती देता है।
- बैड कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करता है।
- इससे मेटाबॉलिज्म बढ़ता है जिससे वजन तेजी से कम होता है।
- गैस्ट्रिक अल्सर या कोलन कैंसर के रिस्क को कम करता है।
- इससे पाचन तंत्र सही रहता है, कब्ज और एसिडिटी की प्रॉब्लम नहीं होती।
'श्रीअन्नÓ से भगाएं बीमारी, भोजन में करें शामिल
- ब्लड प्रेशर और टाइप-2 डायबिटीज को कंट्रोल करता है।
- हार्ट रिलेटेड प्रॉब्लम से बचने में मदद करता है।
गेहूं और चावल से सस्ता है मिलेट्स
बाजार में गेहुं का आटा 35 और चावल मिनिमम 44 रुपए किलो है। जबकि ज्वार, बाजरा, समी, कंगनी और कुटकी की कीमत 30 रुपए के आसपास है। इसके अलावा कुट्टू थोड़ा महंगा है। क्योंकि यह उपवास में अधिक प्रयोग किया जाता है। किराना विक्रेता त्रिभुवन कहते हैं कि लोगों के बीच मिलेट्स की डिमांड बढ़ रही है। लोग गेहूं के आटे में मिलेट्स मिलाकर खाने लगे हैं।
वर्जन
लोगों को मोटा अनाज खाना चाहिए। मैंने भी इसका सेवन शुरू कर दिया है। इनके खाने से डायबिटीज, बीपी सहित तमाम घातक बीमारियों से बचाव होता है। अब तो पूरा विश्व इसकी वकालत कर रहा है।
डॉ। राजीव सिंह, संचालक, नारायण स्वरूप अस्पताल
मोटा अनाज पोषक होने के साथ बाजार
में सस्ता भी है। हमारे अस्पताल में आने वालों को इसके सेवन की सलाह दी जाती है। लोगों ने पालन करना भी शुरू कर दिया है। इस अनाज के अनेकों लाभ हैं।
डॉ। अनुज गुप्ता, संचालक, प्रीति नर्सिंग होम
घर के लोगों को गेहूं और चावल खाने से दिक्कत होने लगी थी। यही कारण है कि अब खाने में फाइबर युक्त मोटा अनाज खाना शुरू कर दिया है। इसका लाभ भी दिखने लगा है। पाचन क्षमता में सुधार हो रहा है।
नेहा श्रीवास्तव, गृहणी
यह सही है कि जो लोग संयमित जीवन जी रहे हैं उनको भी तमाम बीमारियां हो रही हैं। प्राचीन काल में लोग मिलेट्स का उपयोग करते थे तब वह स्वस्थ रहते थे। वर्तमान में महीन आटा और चावल खाकर लोगों की सेहत खराब हो रही है।
राजेश कुमार, सीनियर सिटीजन
ममता चौधरी, सहायक आयुक्त द्वितीय, खाद्य सुरक्षा विभाग कितना फायदेमंद है मोटा अनाज
कुट्टू- अस्थमा के मरीजों के लिए फायदेमंद, इसमें मौजूद अमीनो एसिड बाल झडऩे से रोकता है।
कुटकी- एंटी आक्सीडेंट का अच्छा सोर्स है और इसमें शामिल मैगनीशियम हार्ट हेल्दी और कोलेस्ट्राल को कंट्रोल करता है।
कोदो- यह फाइबर युक्त है अैार घेंघा रोग, रूसी की समस्या पेट से संबंधित बीमिारियों से बचाता है।
कंगनी- यह डिटाक्फिकेशन में मदद करता है और बीपी व बैड कोलेस्ट्राल को कंट्रोल करता है।
सांवा या सामा- फाइबर और आयरन से भरपूर है। एसिडिटी, कब्जियत और खून की कमी से बचाता है।
रागी- नेचुरल कैल्शियम का सोर्स है। बच्चे ओर बुजुर्गों की बोन को मजबूत करता है।
बाजरा- इसमे ंविटामिन बी 6, फोलिक एसिड मौजूद है। खून की कमी को दूर करता है।
ज्वार- यह ग्लूटन फ्री है। डायबिटीज से बचाता है और प्रोटीन से भरपूर है।