काउंसिल मुख्यालय में रविवार को हुई बैठक में रोहिताश्व अग्रवाल को अध्यक्ष मानने का प्रस्ताव पारित

काउंसिल मुख्यालय में 26 जनवरी को ध्वजारोहण समारोह में नेशनल फ्लैग कोड व प्रेवेंशियल एक्ट के उल्लंघन का आरोप

PRAYAGRAJ:

यूपी बार काउंसिल की कार्यकारिणी ने बार काउंसिल आफ इंडिया यानी बीसीआइ के उस आदेश को नकार दिया है, जिसमें रोहिताश्व अग्रवाल को अध्यक्ष पद का काम करने से रोका गया था। रविवार को बार काउंसिल मुख्यालय प्रयागराज में हुई अहम बैठक में 25 में से 15 सदस्य शामिल हुए। इसमें सर्वसम्मति से रोहिताश्व अग्रवाल को अध्यक्ष मानते हुए उन्हें पद के अनुरूप काम करने का प्रस्ताव पारित किया गया। वहीं, को-चेयरमैन देवेंद्र मिश्र नगरहा की समस्त डिग्रियों की जांच कराने का निर्णय लिया गया है।

हर जगह दिए नियमों की दुहाई

रोहिताश्व अग्रवाल ने छह जनवरी को अध्यक्ष पद का पदभार ग्रहण किया। इनके अध्यक्ष बनते ही सदस्य सचिव पद को लेकर विवाद शुरू हो गया। फिर जय प्रकाश श्रीवास्तव की शिकायत पर बीसीआइ ने यह कहते हुए 19 जनवरी को रोहिताश्व के अध्यक्ष के रूप में काम करने पर रोक लगा दी कि एक वर्ष की अवधि का बंटवारा नहीं किया जा सकता। यदि दो प्रत्याशियों को बराबर वोट मिले थे तो टास या लाटरी से एक सदस्य को ही अध्यक्ष चुनना चाहिए था। काउंसिल का संचालन करने के लिए अमरेंद्रनाथ सिंह, अब्दुल रज्जाक खां व मधुसूदन त्रिपाठी की कमेटी बना दिया था।

'बीसीआई अध्यक्ष को यह अधिकार नहीं'

कार्यकारिणी की बैठक के बाद रोहिताश्व अग्रवाल ने प्रेस वार्ता में कहा कि बीसीआइ अध्यक्ष को यह अधिकार नहीं है कि वे यूपी बार काउंसिल के अध्यक्ष को काम करने से रोकें।

जिस व्यक्ति की शिकायत पर उन्हें काम करने से रोका जा रहा है, उसका पता व पहचान नहीं बताया जा रहा है।

जबकि नियमानुसार काउंसिल में चुनाव लड़ने वाला ही शिकायत कर सकता है। बीसीआइ के आदेश में कहा गया है कि यूपी बार काउंसिल में छह-छह महीने अध्यक्ष के काम करने का प्रावधान नहीं है।

जबकि 2019 में अध्यक्ष पद का कार्यकाल दरवेश सिंह व हरिशंकर सिंह के बीच तय हुआ था। जानकीशरण पांडेय ने छह महीने का कार्यकाल पूरा कर लिया तब ऐसा आदेश दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि अध्यक्ष के हटने पर उपाध्यक्ष को उसके अधिकार सौंपने का नियम है। लेकिन, बीसीआइ ने इस नियम का पालन नहीं किया।

कहा कि 26 जनवरी को काउंसिल मुख्यालय में ध्वजारोहण समारोह में नेशनल फ्लैग कोड व नेशनल फ्लैग प्रेवेंशियल एक्ट के विरुद्ध काम किया गया है। इसके खिलाफ भी जांच कराई जाएगी।

शामिल हुए पंद्रह सदस्य

यूपी बार काउंसिल की बैठक में 15 सदस्य शामिल हुए। इसमें रोहिताश्व अग्रवाल, अंकज मिश्र, हरिशंकर सिंह, प्रशांत सिंह अटल, बीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव, अब्दुल रज्जाक खां, इमरान माबूद खां, मधुसूदन त्रिपाठी, अरुण कुमार त्रिपाठी, अजय गौड़, शिवकिशोर गौड़, प्रदीप कुमार सिंह शामिल हुए। जबकि महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह, योगेश स्वरूप व पारेश मिश्र वर्चुअल रूप से उपस्थित रहे। सबने कार्यकारिणी के प्रस्ताव का समर्थन किया।

बार काउंसिल आफ इंडिया अधिवक्ता अधिनियम 1961 के अंतर्गत वकीलों की सर्वोच्च विधिक संस्था है। इसका आदेश व निर्देश प्रदेश के सभी प्रदेशों की बार काउंसिल के लिए बाध्यकारी है। बीसीआइ ने अपने आदेश में रोहिताश्व अग्रवाल व जानकीशरण पांडेय को काउंसिल के कार्यो में हस्तक्षेप न करने का निर्देश दिया है। इसके बावजूद बैठक करना नियम के विरुद्ध है।

-अमरेंद्रनाथ सिंह, पूर्व अध्यक्ष व सदस्य यूपी बार काउंसिल

Posted By: Inextlive