देख नहीं पाने वाले बच्चे भी पैरालंपिक कोट पर चार गेम की कर सकेंगे प्रैक्टिस

प्रयागराज ब्यूरो । आने वाले दिनों में निशक्त बच्चे भी गेम के जरिए देश दुनिया में नाम रोशन कर सकेंगे। जिन्हें दिखाई नहीं देता वह सेंसर के जरिए महसूस करके अपनी खेल प्रतिभा को निखारेंगे। यह सब संभव होगा शहर में बनाए जा रहे 'सेंसर गार्डेनÓ के अंदर। यहां निशक्त बच्चों के लिए तमाम तरह की हाईटेक सुविधाएं मौजूद होंगी। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत यह गार्डेन जार्जटाउन मालवीय रोड स्थित मूक बधिर विद्यालय परिसर में डेवलप किया जा रहा है। इस गार्डेन को बनाने की प्रक्रिया शुरू हो कर दी गई है। माना जा रहा है कि आगामी दो तीन महीने में यह पार्क पूरी तरह बन कर तैयार हो जाएगा। इस पार्क में बच्चों को ट्रेनिंग देने के लिए कॉलेज के शिक्षकों को ट्रेंड किया जाएगा। यह पार्क दिव्यांगों की खेल व तैराकी जैसी प्रतिभाओं को निखारने में मुफीद साबित होगा। इस तरह का गार्डेन प्रदेश में शायद ही किसी और जिले में होगा।

मूक बधिर विद्यालय में हो रहा निर्माण
दिव्यांग बच्चों के अंदर प्रतिभाओं की कमी नहीं है। उनके अंदर तमाम तरह के हुनर विद्यमान हैं। जरूरत है तो उसे सही प्लेट फार्म देकर निखारने की।
इसी सोच और मंशा के साथ शहर में निशक्त बच्चों के लिए 'सेंसर गार्डेनÓ बनाने का प्लान तैयार किया गया।
स्मार्ट सिटी के तहत तैयार किए गए इस प्लान को शासन से हरी झण्डी मिल चुकी है।
इसके लिए जार्जटाउन मूक बधिर विद्यालय कैंपस में एक बड़े भू-भाग को हायर किया गया।
इसी कैंपस के अंदर ही इस 'सेंसर गार्डेरÓ को डेवलप किया जा रहा है।
जानकार बताते हैं कि इस गार्डेन में दिव्यांग बच्चों के लिए पैरालंपिक कोट बनाए जाएंगे।
इसमें चार तरह के गेम की वह बच्चे खेलकर प्रैक्टिस कर सकेंगे। इन खेलों में लान टेनिस, बास्केट बाल, बैडमिंटन व वालीबाल शामिल हैं।
खास बात यह है कि इस गेम को आंख से देख नहीं पाने वाले बच्चे भी खेल सकेंगे। इसके लिए हर चीज में सेंसर सिस्टम डेवलप किया जाएगा। इस सेंसर सिस्टम के जरिए वह बॉल और कोट आदि को महसूस कर सकेंगे।
इतना ही नहीं यहां पर बच्चों को आवाज से चीजों को पहचानने की विधा में पारंगत किया जाएगा।
पानी से लेकर बॉल के आने और उसकी आवाज आदि को भी महसूस करने की ट्रेनिंग दी जाएगी।
बगल में विद्यालय के सामने रोड पर तरण ताल है। यहां इच्छुक दिव्यांग बच्चों को तैरानी की भी ट्रेनिंग दी जाएगी।
इस 'सेंसर गार्डेरÓ में निशक्त बच्चों के लिए साउंड सिस्टम, बैठने के लिए चेयर, जैसी अन्य हाईटेक सुविधाएं व्यवस्थित की जाएंगी।
ताकि गेम के साथ वह बच्चे सांस आदि के जरिए भी इंटरटेनमेंट कर सकें।
अफसरों का मानना है कि इस पार्क में चारों प्रकार के गेम की प्रैक्टिस करके अपने साथ देश का भी नाम रोशन कर सकते हैं।

दिव्यांग बच्चों में प्रतिभा की कमी नहीं है। उनकी प्रतिभा को निखारने के उद्देश्य से शीर्ष अफसरों के निर्देश पर बनाए गए प्लान पर काम शुरू हो गया है। 'सेंसर गार्डेनÓ तैयार होने के बाद पूरी उम्मीद है कि यह बच्चे अपने साथ देश का नाम भी गेम में रोशन कर सकेंगे।
संजीव कुमार सिन्हा
मिशन मैनेजर स्मार्ट सिटी

Posted By: Inextlive