तुला राशि में सूर्य मंगल बुध व चन्द्रमा के संचरण से बना है योगव्यापारिक गतिविधियों के साथ ही खुलेंगे रोजगार के नए अवसर दीपोत्सव पर्व की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है. पंचपर्व के समूह दीपावली के अवसर पर इस बार दुर्लभ संयोग बन रहा है. जिससे इस बार की दीपावली व्यापारी और नए रोजगार के अवसर के द्वारा खोलेगा. सुख और समृद्धि के पर्व दीपोत्सव पर्व 4 नवम्बर दिन गुरुवार को मनाया जाएगा. दीपावली पर मुख्य रूप से मां लक्ष्मी गणेश और धन के देवता कुबेर की पूजा होती है. इस बार दीपावली पर बने रहे चुतुग्र्रहीय योग के बारे में जानकारी देते हुए पं. दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचल ने बताया कि पर्व के अवसर पर तुला राशि में सूर्य मंगल बुध और चन्द्रमा संचरण करेंगे. जिसके कारण यह संयोग बन रहा है. इस संयोग का असर युवाओं को रोजगार का अवसर दिलाएगा. साथ ही व्यापारिक गतिविधियों में भी बढ़ोत्तरी होगी. जिससे बाजार को भी नई ऊर्जा मिलेगी.


प्रयागराज (ब्‍यूरो)। ज्योतिषाचार्य विजय मेहरोत्रा ने बताया कि दीपावली पर कार्तिक कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि होती है। इस बार यह तिथि 4 नवम्बर को सुबह 5 बजकर 39 मिनट पर लग रही है। जो की रात 3 बजकर 32 मिनट तक रहेगी। दीपावली पूजन के मुर्हूत की बात करें तो ये दोपहर 1 बजकर 14 से शुरू होकर 2 बजकर 46 तक रहेगी। वहीं इसके बाद शाम को 5 बजकर 52 मिनट से 7 बजकर 49 मिनट तक और रात में 12 बजकर 20 मिनट से देर रात 2 बजकर 36 मिनट तक रहेगी। इस अवधि में पूजन किया जा सकता है। दोपहर में व्यापारिक प्रतिष्ठान और शाम को दीपदान व पूजन का समय है। जबकि रात 12 बजकर 20 से मिनट से तंत्र साधना की पूजा का विशेष समय रहेगा।

दीपावली पर पूजन के लिए इस बार तीन मूहुर्त है। जिनके अनुसार दोपहर में व्यापारिक प्रतिष्ठान, शाम को घरों में पूजन व दीपदान हो सकेगा। जबकि मध्य रात्रि में तंत्र साधना के लिए विशेष मुर्हूत रहेगा। विजय मेहरोत्रा, ज्योतिषाचार्य दीपावली पर इस बार चतुग्र्रहीय योग बन रहा है। ऐसे में इस बार दीपावली बेरोजगारों के लिए रोजगार के अवसर खोलेगी। पं। दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली निदेशक उत्थान ज्योतिष संस्थान
दीपावली क्यों मनाई जाती है इसके पीछे अलग अलग कहानियां प्रचलित हैं। इस दिन प्रभु श्रीराम चौदह वर्ष वनवास के बाद अयोध्या नगरी वापस लौटे थे। लेकिन, दीपावली मनाने की कई और भी रोचक कहानियां है। एक मान्यता के अनुसार जब श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध करके प्रजा को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी तो द्वारका की प्रजा ने दीपक जलाकर उनको धन्यवाद दिया था। एक और परंपरा के के अनुसार सतयुग में जब समुद्र मंथन हुआ था तो धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी के प्रकट होने पर दीप जलाकर आनंद व्यक्त किया गया था। इस वर्ष दीपावली पूजन का शुभ समय शाम 6 बजकर 10 मिनट से शुरू होकर 8 बजकर 6 मिनट तक रहेगा।अमिताभ गौड़ ज्योतिषाचार्य

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