सीजन हो रहा चेंज डॉक्टर्स मरीजों को दे रहे हेल्दी एडवाइज दिल का ख्याल नही रखने पर हो सकती है दिक्कत


प्रयागराज ब्यूरो । मौसम चेंज हो रहा है। धीरे धीरे गर्मी की जगह ठंड अपना स्थान ले रही है। ऐसे में डॉक्टर्स दिल के मरीजों को एडवाइज जारी कर रहे हें। उनका कहना है कि अभी से अपनी दिनचर्या में बदलाव लाना जरूरी है। तभी ठंड के सीजन में आसानी से सर्वाइव कर सकेंगे। हालांकि अभी गुलाबी ठंडक अपना असर छोड़ रही है इसलिए अभी से मरीजों का जागरुक होना जरूरी है। मुश्किल होने लगती है पंपिंग


जैसे जैसे ठंड बढ़ती है, खून की नसों में सिकुडऩ आने लगती है। ऐसे में पूरे शरीर में खून को भेजने के लिए दिल का अधिक पंपिंग करनी पड़ती है। इससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है। यही कारण है कि ठंड के सीजन में दिल के रोगियों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत होती है। इस दौरान ब्लड प्रेशर सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर बन सकता है। खासकर 40 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए ब्लड प्रेशर की जांच कराना जरूरी है। इससे छिपा हुआ रिस्क फैक्टर सामने आने की पूरी उम्मीद रहती है। आंकड़े बताते हैं कि 60 से 90 साल के ब्लड प्रेशर के मरीजों में हार्ट अटैक के अधिक चांसेज होते हैं। इन बातों का रखना होगा ध्यान

- अर्ली मार्निंग टहलने के बजाय धूप का इंतजार करना होगा।

- समय पर दिल की दवाएं लेना जरूरी है।- वसा युक्त खानपान से बनानी होगी दूरी।- अधिक ठंड में निकलने से पहले गर्म कपड़े पहनना जरूरी।- सिगरेट और शराब से परहेज करना होगा।- खानपान में गर्म चीजों का अधिक सेवन जरूरी।- सीने में दर्द, बेचैनी, पसीना आने पर बीपी और हार्ट की जांच कराएं।- अगर परिवार में दिल की बीमारी किसी को रही है तो सतर्कता बरतना जरूरी।- शुगर के मरीजों को अधिक एक्टिव रहना होगा।- हैवी एक्सरसाइज से परहेज करना जरूरी।20 फीसदी तक बढ़ जाते हैं मामलेगर्मी के मुकाबले ठंड के सीजन में हार्ट अटैक के मामले बीस फीसदी तक बढ$ जाते हैं। इसका कारण होता है तापमान का कम होना और खून की नसों में सिकुड़ जाना। लोग इस चीज को समझ नही पाते और हार्ट अटैक का शिकार हो जाते हैं। पुरुषों में 45 साल और महिलाओं में 55 साल की एज के बाद दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है। पहले ये एज फैक्टर दस साल अधिक था जो समय के साथ कम होता जा रहा है।
ये गुलाबी ठंड का सीजन है इसलिए अभी से लोगों को सतर्क हो जाना होगा। खासकर जो लोग दिल के रोगी हैं उनको अभी से लाइफ स्टाइल और खानपान में बदलाव लाना होगा। डॉक्टर के संपर्क में भी लगातार बने रहना जरूरी है। डॉ। मो। शाहिद, कार्डियोलाजिस्ट, एसआरएन हॉस्पिटल प्रयागराज

Posted By: Inextlive