टूटने के कगार पर कैटरिंग का बिजनेस
लगन शुरू होने की तैयारी के पहले ही लाखों का हो जाता है इन्वेस्टमेंट
लेबर को भी देना रहता है एडवांस, काम नहीं होने पर नहीं वापस होते हैं पैसेशादियों की सीजन में कैटरिंग का बिजनेस भी सबसे प्रमुख होता है। क्योंकि शादी समारोह में आने वाले मेहमानों की अच्छी खातिरदारी से लेकर उनके खाने-पीने के सारे इंतजाम यहीं करते हैं। यहीं कारण है कि इस व्यापार से जुड़े लोग भी अपने स्तर से हर तैयारियां कई महीने पहले से करने लगते हैं। जिसके कारण काफी पैसा उनको पहले ही इनवेंस्ट करना पड़ता है। लेकिन ऐसे में उनको उम्मीद होती है कि लगन की बुकिंग के बाद वह सारे खर्च निकालने के बाद कुछ पैसे बचत कर लेंगे। पर इस बार लगन शुरू होने के पहले ही कोरेाना महामारी के कारण शादियों के कैसिंल होने का सिलसिला शुरू हो गया। आलम ये हो गया कि अप्रैल के साथ ही मई और जून की भी लगभग 99 परसेंट शादियां कैंसिल हो गई। वहीं जो शादियां हुई भी वो दिन में 20 से 25 गेस्ट के साथ हुई। जिसमें कैटिरंग का कोई काम ही नहीं। ऐसे में कैटरिंग के बिजनेस से जुड़े व्यापारियों का कहना है कि उनका बिजनेस इतने लंबे समय से बंद होने के कारण अब टूटने के कगार पर पहुंच गया है।
आउटडोर की बुकिंग भी हो गई है कैंसिल चित्रांश इवेंट आर्गनाइजेशन प्रा। लि। के ओनर बताते हैं कि कोरोना महामारी के सेकेंड स्टेन की शुरुआत काफी पहले हो गई थी। लेकिन सरकार की ओर से गाइड लाइन काफी देर से आयी। जिसके कारण सिटी के साथ ही आउटडोर की बुकिंग भी लास्ट मूवमेंट पर कैंसिल होने लगी। जबकि अगर तैयारियों की बात करें तो जनवरी से ही बुकिंग और तैयारियां दोनों शुरू हो गई थी। लाखों रुपए तैयारियों में खर्च हो चुके है। क्यंोकि लिमिटेड फर्म होने के कारण सिटी के बाहर के भी बड़े काम मिलते है। ऐसे में लाखों का सेटअप लगाना हेाता है। जिसको देखते हुए कस्टमर की रिक्वायरमेंट को देखते हुए कई तरह की वैरायटी को तैयार कराना हेाता है। इसलिए काफी लंबा खर्च तैयारी में लग जाता है। ऐसे में बैंक का कर्ज, इम्प्लाइज की सैलरी जैसे प्रमुख खर्च देना भी अब मुश्किल हो गया है। करीब डेढ़ साल से बंद है पूरा कारोबारकैटरिंग के कारोबार से जुड़े सिटी के कई व्यापारियों ने बताया कि पहले ही करीब डेढ़ साल से काम बंद है। लास्ट इयर मार्च में लॉकडाउन लग गया। उस कारण अप्रैल, मई और जून की लगन खत्म हो गई। नवंबर व दिसंबर में कोई खास काम नहीं था। इसलिए अप्रैल से शुरू हो रही लगन से बड़ी उम्मीदें थी। लग रहा था कि साल भर बैठ कर किया गया खर्च और तैयारियों में लगाया गया पैसा सब वसूल हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ऊपर से परमानेंट इम्प्लाइज को साल भर बैठाकर उनको सैलरी देना। वो भी एक बड़ा खर्च है। साथ ही बच्चो की फीस, उनकी इंश्योरेंस का प्रीमियम, अपना घर का खर्च, किसी के बीमारी होने पर इलाज आदि का खर्च। ये सब पहले की तरह ही चल रहा है। स्थिति ये हो गई है कि रखी पूंजी तो खर्च हुई, साथ ही कर्ज भी चढ़ गया। लास्ट इयर किसी तरह से मैनेज हुआ था। लेकिन इस बार कैसे मैनेज होगा। ये समझ नहीं आ रहा है।
लास्ट इयर के बाद इस बार काफी उम्मीद थी। जिसको लेकर लाखों रुपए तैयारी में खर्च कर दिए। लेकिन लास्ट मूवमेंट पर गवर्नमेंट की गाइड लाइन जारी होने के बाद बुकिंग लगातार कैंसिल होती गई। जिससे पूरा बिजनेस ही टूटने की कगार पर पहुंच गया है। विनय श्रीवास्तव चित्रांश इवेंट आर्गनाइजेशन प्रा.ल्ि - गेस्ट हाउस से ही जुड़ कर पूरा काम करते हैं। लेकिन जब सरकार ने लोगों की संख्या लिमिटेड कर दी। तो लोग गेस्ट हाउस की बुकिंग कैंसिल करने लगे। जिससे हमारा ऑर्डर भी खत्म हो गया। 8 लाख का सेटअप तैयार कराया था।
तसव्वुर अली, कैटरिंग व्यापारी - 35 बुकिंग इस बार हुई थी। सारी कैंसिल हो गई। जबकि अगर तैयारी की बात करें तो दो लाख रुपए तो मरम्मत आदि में ही इस बार खर्च हो गए थे। लेबर को भी एडंवास दिया था। वो वापस होना नहीं है। जो एडवांस मिला। उसे वापस करने का प्रेशर है। जानी भाई, राखी कैटरिंग - तैयारी में लगे तीन लाख रुपए तो पूरी तरह डूब गए। करीब एक साल से पूरा व्यापार बंद पड़ा था। क्योंकि लगन ही नहीं थी। इस बार की लगन से काफी उम्मीद थी। 34 बुकिंग भी थी। सब की सब कैंसिल हो गई। समझ नहीं आ रहा है कि आगे बिजनेस कैसे चलेगा। वीरेन्द्र कुमार, वीरेन्द्र टेंट हाउस