माफिया अतीक अहमद व अशरफ ने उमेश पाल हत्याकांड को अंजाम देने के लिए अपने भरोसेमंद व पुराने लोगों के कंधों पर जिम्मेदारी दे रखी थी.

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। यह बात मंगलवार पुलिस के सर्च ऑपरेशन के दौरान पकड़े गए पांच अभियुक्तों की गिरफ्तारी के बाद निकल कर सामने आई है। इनमें ज्यादातर अभियुक्त अतीक अहमद व उसके परिवार के साथ दो-चार साल से नहीं बल्कि 15 साल से अधिक समय से जुड़े हुये हंै। कोई माफिया के घर की 16 साल से गाड़ी चलाता चला आ रहा है तो कोई 19 सालों से मुंशी का काम देख रहा था। इन पुराने लोगों के कंधों पर माफिया ने उमेश पाल हत्याकांड के बाद असलहों तक को छिपाने की जिम्मेदारी दे रखी थी। आपको बताते है आखिर किसका कौन सा काम था

पुलिस टीम द्वारा पकड़े गए पांच अभियुक्तों को मंगलवार शाम पुलिस लाइन स्थित सभागार में मीडिया के सामने पेश कर पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा व ज्वाइंट कमिश्नर आकाश कुलहरि ने खुलासा किया है। उनका कहना है कि पकड़े पांचों अभियुक्तों में से कैश अहमद व राकेश कुमार अतीक के बेहद करीबी व भरोसेमंद है। कैश अतीक अहमद व उसके घर की गाड़ी 16 सालों से चलाता चला आ रहा है। अतीक के जेल जाने के बाद वह शाइस्ता परवीन की गाड़ी चलाता था। राकेश कुमार 19 सालों से अतीक के घर पर मुंशी का काम करता था। छोटे-मोटे कैश डिलीवर का काम मुंशी राकेश कुमार ही करता था। यही नहीं उमेश पाल हत्याकांड के बाद असलहों को छिपाने तक की जिम्मेदारी राकेश के कंधों पर थी। उन असलहों को छिपाने में उसकी अहम भूमिका थी। वहीं घटना के बाद दूसरी गाडिय़ों से सुरक्षित स्थानों पर कुछ शूटर को पहुंचने का काम कैश अहमद ने भी किया है।

लोकेशन देने के लिए मिला आईफोन
पुलिस की पूछताछ में पकड़े गए मोहम्मद सजर ने जो खुलासा किया है। वह बिल्कुल चौकाने वाला था। उमेश पाल की हत्या के लिए उसको उपेश का लोकेशन देने के लिए अतीक के बेटे असद ने आई-फोन दिया था। जिसमें पहले से कुछ नंबर सेव थे। उन नंबरों पर इंटरनेट कॉलिंग के जरिए सिर्फ बात कर उमेश के पहुंचने का लोकेशन देना था। पुलिस की तरफ से दावा किया जा रहा है कि वह नंबर अतीक, अशरफ एंड कंपनी का था। लोकेशन देने की जिम्मेदारी सजर को इसलिए दिया गया था क्योंकि वह उमेश पाल के घर समीप रहता है। 24 फरवरी को सजर इंटरनेट कॉलिंग के जरिए कुछ लोगों से बराबर कनेक्ट था। उमेश पाल की गाड़ी दिखाई पड़ते ही उसने सभी को एक्टिव मोड पर होने की बात कही थी। लोकल होने के नाते कोई शक न करें इसलिए लोकेशन देने की जिम्मेदारी सजर के कंधों पर दी गई थी। सूत्रों का दावा है कि आई-फोन के साथ अतीक के मुंशी ने कुछ कैश भी दिया था।

कटरा अरशद अतीक के करीबी नाम से है चर्चित
सूत्रों की माने तो मुस्लिम बोर्डिंग हॉस्टल में उस दिन सदाकत अली के कमरे में कटरा अरशद भी मौजूद था। वह अक्सर हॉस्टल आता-जाता था। यह ही नहीं कटरा अरशद अतीक का बेहद करीबी माना जाता है। वह कर्नलगंज क्षेत्र में अतीक के करीबी होने के नाम से चर्चित भी है। अतीक के जेल जाने के बाद वह अतीक के बेटे के कनेक्ट में बराबर था। उसको कई बार घूमते व सोशल मीडिया पर वायरल फोटो में देखा भी गया था। जिससे साफ हो गया था कि वह बराबर टच में है। पुलिस की माने तो घटना के दिन आसपास अरशद भी मौजूद था।

छोटा-मोटा टैक्स वसूलता था नियाज
अतीक गैंग के साथ नियाज अहमद भी कई सालों से जुड़ा हुआ चला आ रहा है। वह छोटे-मोटे व्यापारी से गुंडा टैक्स तक अतीक एंड कंपनी के लिए वसूलता था। वह ज्यादातर वसूली शहर पश्चिमी क्षेत्र में वसूला करता था। घर बनाने वालों तक से गुंडा टैक्स वसूलता था।

Posted By: Inextlive