कार के शीशों ब्लैक फिल्म बनी शूटरों की मददगार!
प्रयागराज ब्यूरो । रोक के बावजूद कार में ब्लैक फिल्म लगाकर घूम रहे लोगों पर कार्रवाई नहीं कर पा रही है पुलिस
सुलेम सराय में उमेश पाल व उसके दो गनर को मौत के घाट उतारने के बाद भाग रहे शूटरों की कार जगह-जगह लगे नौ सीसीटीवी कैमरों में कैद हुई। चकिया पहुंचने के बाद शूटर किसके घर में घुसे और किधर से निकल कर भागे यह बात पुलिस के लिए पहेली बन गई है। क्योंकि, चकिया के बाद से इस हत्या में शामिल आरोपितों का लोकेशन ट्रेस करने में पुलिस को पसीने छूट रहे हैं। जिस कार को पुलिस शूटरों के द्वारा घटना में प्रयुक्त बता रही है उसके शीशे पर ब्लैक फिल्म लगी हुई है। यदि डोर के शीशे पर काली फिल्म नहीं होती तो शायद शूटर इतने बेखौफ तरीके से घटना को अंजाम देकर नहीं भाग पाते। सरकार ही नहीं, कोर्ट का सख्त आदेश होने के बावजूद शहर में तमाम लोग कार में ब्लैक शीशा लगाकर फर्राटा भर रहे हैं। ब्लैक शीट के चलते बाहर के लोग यह नहीं देख पाते कि कार के अंदर कौन और क्या लेकर जा रहा है। सख्ती के साथ ब्लैक शीशा वाली कार पर कार्रवाई नहीं होने का फायदा यहां शूटर और शातिर किस्म के अपराधी खूब उठा रहे हैं।
पुलिस के लिए पहेली बनी तलाश
शहर के अंदर दो सौ से भी अधिक सीसीटीवी कैमरे सड़कों और चौराहों पर लगाए गए हैं। इन कैमरों के जरिए आई ट्रिपल-सी से पूरे शहर की मानीटरिंग की जाती है। धूमनगंज के सुलेमसराय में 24 फरवरी को बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के गवाह उमेश पाल व उनके दो गनर संदीप निषाद एवं राघवेंद्र सिंह को शूटरों ने मौत के घाट उतार दिया गया। दिनदहाड़े बगैर नकाब तीनों पर गोलियां व बम बरसाने वाले शूटर एवं बमबाज इस वारदात से पूरे उत्तर प्रदेश में खौफ पैदा कर दिए। घटना को अंजाम देने के बाद बड़े आराम से कार में बैठकर शूटर भाग निकले। शूटरों की तलाश में जुटी पुलिस आई ट्रिपल सी के जरिए जगह-जगह लगाए गए सीसीटीवी कैमरों के फुटेज को चेक किया गया। डिपार्टमेंटल सूत्र बताते हैं कि इस तफ्तीश के दौरान घटना में प्रयुक्त कार नौ कैमरों में नजर आई है। यह कैमरे सुलेमसराय, नेहरू पार्क के पास, महिला ग्राम, चौफटका, सप्लाई डिपो रोड, बेनीगंज, चकिया रोड पर नजर आई। चकिया के आगे कार किसी भी कैमरे में नजर नहीं आई। ऐसी स्थिति में माना यह जा रहा कि शूटर वारदात को अंजाम देने के बाद चकिया में ही किसी करीबी के घर पहुंचे। उसके घर में पीछे के दरवाजे से घुसे और लुक चेंज करके गलियों से होते हुए कोई दूसरा रास्ता पकड़ लिए। इतनी बड़ी वारदात को अंजाम देने वाले शातिर कोई दूसरी गाड़ी पकड़कर जिले से बाहर चले गए होंगे। यही वजह है कि चकिया आगे पुलिस को उन शूटरों की लोकेशन नहीं मिल रही है। मोबाइल लोकेशन भी नहीं मिल रहीशूटर घटना स्थल से लेकर चकिया लौटने तक ही मोबाइल का यूज किए। चकिया से आगे उनके मोबाइल की भी लोकेशन नहीं मिल रही। कहा जा रहा कि इसीलिए पुलिस को शूटरों तक पहुंचने में पसीने छूट रहे हैं। शूटरों ने जिस कार को घटना में यूज किया उसके शीशे पर ब्लैक फिल्म लगी हुई थी। कार के शीशे पर ब्लैक फिल्म लगाने पर कार्रवाई के आदेश हैं। बावजूद इसके पुलिस कार में काली फिल्म लगाकर घूम रहे लोगों पर कार्रवाई नहीं कर रही। जिसका फायदा शार्प शूटर व आपराधिक किस्म के लोग उठा रहे हैं। इसका जीता जागता उदाहरण उमेश पाल हत्याकांड में प्रयुक्त कार है।