सुखोई राफेल मिग जगुआर चिनूक और अपाचे दिखाएंगे करतब-फ्लैग- संगम एरिया में आठ अप्रैल को होगा एयरफोर्स डे के मौके पर एयर शो- सौ से अधिक लड़ाकू विमान और हेलीकाप्टर लेंगे हिस्सा- आसमान में खाएंगे कलाबाजियां कई एयरबेस से भरेंगे उड़ान

प्रयागराज ब्यूरो ।बस आठ दिन और इंतजार करना होगा। इसके बाद शहर के आसमान पर इंडियन एयरफोर्स के सौ से अधिक लड़ाकू विमान और हेलीकाप्टर अपना करतब दिखाते नजर आएंगे। एयरफोर्स डे के मौके पर आठ अक्टूबर को प्रयागराज में पहली बार एयर शो का आयोजन किया जा रहा है। जिसकी तैयारी में प्रशासन और एयरफोर्स के अधिकारी दिन रात लगे हैं। इसके पहले 6 अक्टूबर को एयर शो का फुल ड्रेस रिहर्सल किया जाएगा। इस दौरान भी शहर के आसमान पर तमाम लड़ाकू विमान उड़ते नजर आएंगे।
ये विमान दिखाएंगे अपना जलवा
इस बार एयर शो पर माना जा रहा है कि राफेल विमान भी पहली अपना करतब दिखाएगा। इसके अलावा सुखोई, मिग, जगुआर, चिनूक, अपाचे, एएन 32, एमआई 17, मिग 35, आईएल 76 सहित कई विमान और हेलीकाप्टर अपनी क्षमता से परिचित कराएंगे। इस कार्यक्रम में देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, सीएम योगी आदित्यनाथ सहित तमाम वीवीआईपी के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। एयरफोर्स डे परेड का आयोजन संगम एरिया में किया जाएगा।
ये विमान और हेलीकाप्टर होंगे एयरशो की जान
1- राफेल
फ्रांस की दासौल्ट कंपनी द्वारा बनाया गया राफेल लड़ाकू विमान डबल इंजन बिल्ट है। राफेल लड़ाकू विमान की खासियत ये है की यह परमाणु बम गिराने में भी सक्षम है और साथ ही साथ इसमें खास इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम भी लगा है। जिसकी मदद से दुश्मनों को लोकेट किया जा सकता है और तो और उनके रडार को भी जाम किया जा सकता हैं। यह हवा से हवा में मार कर सकता है और हवा से जमीन पर भी हमला करने में सक्षम है। बता दें कि अत्याधुनिक हथियारों से लैस होगा राफेल लड़ाकू विमान, प्लेन के साथ मेटेअर मिसाइल भी है। इसकी अधिकतम स्पीड 2,130 किमी प्रति घंटा और मारक क्षमता 3700 किमी तक है। यह मात्र एक मिनट में 60,000 फ़ुट की ऊंचाई पर जा सकता है।
सुखाई 30 एमकेआई
सुखोई 30 एमकेआई भारतीय वायुसेना का अग्रिम पंक्ति का लड़ाकू विमान है। यह बहु-उपयोगी लड़ाकू विमान रूस के सैन्य विमान निर्माता सुखोई तथा भारत के हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से बना है। सुूखाई ने सन 1997 में पहली उड़ान भरी थी। सन 2002 में इसे भारतीय वायुसेना में सम्मिलित कर लिया गया। सन 2004 से इनका निर्माण भारत में ही हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। अक्टूबर 2009 में ऐसे 105 विमानो की 6 स्क्वाड्रन भारतीय वायुसेना की सेवा में थी। यह विमान 3000 किमी की दूरी तक जा कर हमला कर सकता है। इसे शक्ति इसके दो एएल-31 टर्बोफैन इन्जनो से मिलती है जो इसे 2600 किमी प्रति घण्टे की गति देते हैं। यह विमान हवा में ईन्धन भर सकता है। इस विमान में अलग अलग तरह के बम तथा प्रक्षेपास्त्र ले जाने के लिये 12 स्थान है।
तेजस
तेजस भारत द्वारा विकसित किया जा रहा एक हल्का व कई तरह की भूमिकाओं वाला जेट लड़ाकू विमान है। यह हिन्दुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा विकसित एक सीट और एक जेट इंजन वाला, अनेक भूमिकाओं को निभाने में सक्षम एक हल्का युद्धक विमान है। यह बिना पूँछ का, कम्पाउण्ड-डेल्टा पंख वाला है। यह विमान 2200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से उड़ सकता है। ये विमान 1350 किलोमीटर की दूरी से ही अपने लक्ष्य पर हमला कर सकता है। तेजस लड़ाकू विमान आठ से नौ टन तक बोझ उठा सकते हैं। इसके अलावा ये ध्वनी की स्पीड यानी मैक 1.6 से लेकर मेक 1.8 तक की तेज़ी से उड़ सकते हैं और वो भी 52 हज़ार फ़ीट तक की ऊंचाई पर। इसे पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेई ने तेजस नाम दिया था।

प्रचंड

प्रचंड हेलीकाप्टर देश में निर्मित लाइट काम्बैट हेलीकाप्टर है। इसे हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड ने बनाया है। इसका वजन आम हेलीकॉप्टर्स के मुकाबले कम है जो ज्यादा ऊचाई और उच्च दाब वाले क्षेत्रों में बेहतर रिजल्ट दे सकता है। प्रचंड का वजन 5800 किलो के करीब है। इसकी रफ्तार 268 किलोमीटर प्रतिघंटा तक है। इसके अलावा यह हेलीकॉप्टर एक बार में 550 किमी तक की दूरी बिना रिफीलिंग के पूरा कर सकता है। साथ ही इसके उडऩे की क्षमता तीन घंटे से भी ज्यादा की है। प्रचंड को जो चीज सबसे खास बनाती है, वह है इसके उच्च दाब वाले क्षेत्र में उडऩे की क्षमता। दरअसल, ज्यादा ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में कोई भी विमान काफी देर तक उड़ान नहीं भर सकता। यह दुनिया का इकलौता अटैक हेलीकॉप्टर है, जो कि 5,000 मीटर (16 हजार 400 फीट) तक की ऊंचाई पर आसानी से लैंड और टेक-ऑफ कर सकता है। वजनी हथियारों के साथ यह अपने काम को अंजाम दे सकत है।

जगुआर

जगुआर एक सुपरसोनिक कम ऊंचाई पर उडऩे वाला लड़ाकू विमान है। इसके उत्पादन के लिए ब्रिटेन और फ्र ांस ने साझेदारी की थी। जगुआर का इस्तेमाल 1990 के दशक के दौरान कई युद्धों में किया गया। जगुआर के डिजाइन की खासियत यह है कि इसके हाई-विंग लोडिंग डिजाइन की वजह से कम-ऊंचाई पर एक स्थिर उड़ान और जंगी हथियारों को ले जाने में सहूलियत होती है। यह एक सीट वाला विमान है। यह 55.22 फीट लंबा और 28.51 फीट चौड़ा और 16.04 फीट ऊंचा है। जिसका वजन 7700 किग्रा है। यह 1700 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। इसके अतिरिक्त साढ़े चार हजार किलोग्राम वजन तक के हवा से हवा में हमला करने वाले और हवा से जमीन पर हमला करने वाले रॉकेट समेत कई तरह के हथियार इसमें लोड हो सकते हैं।

अपाचे

बोइंग एएच-64 अपाचे अमेरिका का दो टर्बोशाफ्ट इंजन और चार ब्लेड वाला अटैक हेलीकॉप्टर है। यह हेलीकॉप्टर अपने आगे लगे सेंसर की मदद से रात में उड़ान भर सकता है। इसकी पहली उड़ान 30 सितंबर 1975 में हुई थी। यह दुनिया में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाला अटैक हेलीकॉप्टर है। इस हेलीकाप्टर में दो पायलट होते हैं और इसकी ऊचांई 3.87 मीट है। इसका वजह 5165 किग्रा है। यह अधिकतम 10500 किग्रा भार के साथ उड़ सकता है। इस हेलीकाप्टर को अधिकतम 293 किमी प्रति घंटे की स्पीड से उड़ाया जा सकता है। यही कारण है कि भारतीय वायु सेना में युद्ध के दौरान अपाचे हेलीकाप्टर का अधिक यूज होता है।

चिनूक

भारत और अमेरिका के बीच वर्ष 2015 में चिनूक हेलीकाप्टर को लेकर समझौता हुआ था। यह युद्ध के समय दस टन तक भार ले जा सकता है। यह रात में और किसी भी मौसम में उड़ान भर सकता है। चिनूक को अमेरिका की बोइंग कंपनी ने बनाया है। 11 टन पेलोड और 45 सैनिकों का वजन यह हेलीकाप्टर ले जा सकता है। अभी तक दूसरे हेलीकाप्टर में सिंगल रोटर इंजन होता था लेकिन चिनूक में दो रोटर इंजप लगा हुआ है जो एकदम नया कांसेप्ट है। यह घनी झाडिय़ों और छोटे हेलीपैड पर भी उतर सकता है।

मिग 29

मिग 29 रूस में निर्मित एक चौथी पीढ़ी का जेट लड़ाकू विमान है। कारगिल युद्ध में पाकिस्तान की सेना को शिकस्त देने में इस विमान ने अहम भूमिका निभाई थी। यह सिंगल पायलट प्लेन है और इसकी ऊंचाई 4.73 मीटर है। इसका वजह 11000 किलो है। यह अधिकतम 2400 किमी प्रति घंटे की स्पीड से उड़ सकता है। कारगिल युद्ध में इसने 15 हजार फीट की ऊचाई पर दुश्मन पर सटीक हमला किया था। आसमान की ओर सीधे 90 डिग्री पर टेक आफ कर सकता है। इसके लिए इसे अधिकतम पांच मिनट लगते हैं। यह हवा से हवा, हवा से जमीन और हवा से समुद्री कार्रवाई करने में भी सक्षम है। यह अपने साथ 650 किलो वजन के छह बम ले जाने में सक्षम है।

Posted By: Inextlive