प्लेन की लैडिंग और टेकऑफ दोनों लाइव
प्रयागराज (ब्यूरो)। शनिवार से बहुप्रतीक्षित बेगम बाजार पुल पर आवागमन शुरू हो जायेगा। करीब सात साल में तैयार हुए इस पुल पर आवागमन शुरू हो जाने से हजारों लोगों को राहत मिलेगी। लोग बिना धूमनगंज और सुलेम सराय के जाम का सामना किए आसानी से एयरपोर्ट होते हुए शहर में दाखिल हो जाएंगे। इस पुल के बीचों बीच से बमरौली एयरपोर्ट से उडऩे वाली फ्लाइट का व्यूु काफी करीब से लिया जा सकता है। यह दृश्य लोगों में रोमांच भरने का काम कर सकता है।
एक दिन हुआ है लेट
सेतु निगम की ओर से बेगम बाजार आरओबी को 15 नवंबर तक चालू करने का वादा किया गया था।
अधिकारियों का कहना था कि रात में ही हम इसे खोल देंगे।
पुल पर रोड बनने का काम पूरा हो चुका है।
इसके पहले उन्हें रेलवे फाटक पार करके खतरा मोल लेना पड़ता था।
अब 742 मीटर लंबे इस पुल को पार करने में महज एक मिनट का समय लगेगा।
फिलहाल अंधेरे में सफर
पुल तो तैयार हो गया है लेकिन सेना की ओर से इलेक्ट्रिक पोल लगाने की परमिशन नही मिली है। ऐसे में पुल पर अंधेरे में सफर करना पड़ेगा। पुल पर रेडियम वाली सफेद पट्टी लगाई जा रही है जिसे लोग अंधेरे में भी देख सकेंगे। साथ ही पुल पर साउंड बैरियर लगाने का काम एक सप्ताह में पूरा हो जाएगा।
इस पुल के बीचों बीच खड़े होने का एक और लाभ है। यह पुल बमरौल एयरपोर्ट के नजदीक है। जिससे यहां खड़े होने से रनवे एकदम साफ नजर आता है। जब भी फ्लाइट टेक आफ करती है इस पुल के काफी करीब से गुजरती है। यह नजारा देखने के लिए शुक्रवार को आना जारी था। फ्लाइट व्यू का मजा लेने के लिए यह पुल काफी मुफीद साबित हो सकता है। समय और जान दोनों सेफ
इस पुल के शुरू होने के बाद लोग बेगम बाजार से सीधे एयरपोर्ट पहुंचेंगे। उनका यह सफर मिनटों में पूरा होगा। साथ ही वह शहर में भी बिना किसी जाम के लिए दाखिल हो जाएंगे। खासकर कानपुर साइड से आने वाले वाहनों को सुलेम सराय या धूमनगंज के जाम का सामना नही करना पड़ेगा। लोगों को एयरपोर्ट रोड पर जाने के लिए रेल की पटरी को पार करने का जोखिम भी नही उठाना पड़ेगा।
एक नजर में बेगम बाजार आरओबी
2017 में शुरू हुआ था पुल के निर्माण का काम
2019 कुंभ से पहले होना था चालू
सेना ने सिक्योरिटी रीजन्स के चलते रोका था निर्माण, तब तक 92 फीसदी बन चुका था पुल
भूमि अधिग्रहण के तहत भारतीय वायुसेना को 67 करोड़ रुपए का बजट देना तय हुआ
भूमि अधिग्रहण में खर्च के लिए 30 करोड़ रुपये मुआवजा दिया गया
मनोज अग्रवाल
मुख्य परियोजना प्रबंधक, सेतु निगम