कहा कि भारतीय संविधान भारत के लोगों के आकांक्षाओं का प्रतिरूप है


प्रयागराज (ब्‍यूरो)। यूपीआरटीओयू में मंगलवार को संविधान दिवस समारोह के मौके पर कुलपति प्रो। सत्यकाम एवं प्रो। बद्रीनारायण ने पूर्व कुलपति प्रो। एमपी दुबे द्वारा लिखित पुस्तक धर्म निरपेक्ष भारत संविधान के आईने की नजर से आजादी से अमृतकाल तक का विमोचन किया।

मुख्य वक्ता गोविंद बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान, झूंसी के डायरेक्टर प्रो। बद्री नारायण ने कहा कि भारतीय संविधान भारत के लोगों के आकांक्षाओं का प्रतिरूप है। जिसमें समय के साथ परिवर्तन का होना इसकी गत्यात्मकता को प्रदर्शित करता है। उन्होंने व्यापक परिपेक्ष्य में संविधान की व्याख्या करते हुए बताया कि भारतीय संविधान समाज के परिधि के लोगों के जीवन में गुणात्मक परिवर्तन करने का आधार रहा है।
मुख्य अतिथि प्रो। एमपी दुबे ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान की मूल भावना में निहित है। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता मात्र संविधान की प्रस्तावना में ही नहीं बल्कि संविधान के सभी भाग में समाहित हैं। उन्होंने धर्मनिरपेक्षता की व्यापक परिभाषा बताते हुए कहा कि धर्मनिरपेक्षता धर्म से अलगाव नहीं है बल्कि सर्वधर्म समभाव का व्यवहार है। कुलपति आचार्य सत्यकाम ने कहा कि भारतीय संविधान स्वतंत्र भारत की आशाओं से निर्मित सर्वोच्च विधान है जो सभी विचारधाराओं को समाहित करते हुए आगे बढऩे की बात करता है। कुलसचिव कर्नल विनय कुमार द्वारा संविधान की प्रस्तावना का वाचन किया गया। कुलपति ने सभी को संविधान के प्रति निष्ठावान रहने की सामूहिक शपथ दिलाई। डॉ आनंदानंद त्रिपाठी ने अतिथियों का स्वागत किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ त्रिविक्रम तिवारी द्वारा किया गया।

Posted By: Inextlive