अस्पताल में भर्ती अपने मित्र के मामा के लिए वह युवक बेझिझक रक्तदान कर देता है. मगर सड़क हादसे में जब वही युवक गंभीर रूप से घायल होकर अस्पताल पहुंचता है और डाक्टर खून मंगवाते हैं तो दोस्त ही नहीं वरन पिता भी रक्तदान करने से इन्कार कर देते हैं. अंतत: युवक की जान चली जाती है महज चंद यूनिट खून के अभाव में. ऐसा अक्सर अपने आसपास देखने को मिलता है जब अपने ही रक्तदान करने से परहेज करते हैं. ऐसी ही कुछ सच्ची घटनाओं से प्रेरित होकर पुलिस मित्र की टीम ने एक डाक्यूमेंट्री शार्ट फिल्म खून के रिश्ते बनाई है जो इस वक्त चर्चा का विषय बनी है. फिल्म का मकसद रक्तदान के प्रति ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करना है.


प्रयागराज (ब्यूरो)। आइजी रेंज कार्यालय में तैनात आरक्षी आशीष मिश्र और उनकी टीम दर्जनों लोगों की जान बचा चुके हैं। वाट््सएप ग्रुप, टिवटर हैंडल और पुलिस मित्र की वेबसाइट पर रोजाना अलग-अलग ग्रुप के रक्त की मांग अस्पताल में भर्ती किसी न किसी शख्स के लिए होती है। मगर तमाम ऐसे लोग भी हैं, जो रक्तदान करने से घबराते और बचते हैं। करीब 17 मिनट की इस फिल्म ने मार्मिक ²श्य भी है, जिमसें मां, बहन, पिता और दोस्त रक्त देने से मना कर देते हैं। पुलिस मित्र के प्रमुख आशीष बताते हैं कि उनकी टीम के सदस्यों ने ही स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय स्थित ब्लड बैंक के कर्मचारियों की मदद से 15 दिनों में फिल्म की शूङ्क्षटग पूरी कर अब यूट््यूब पर अपलोड की गई है।

Posted By: Inextlive