- 42 साल के मरीज की हुई सफल सर्जरी डॉक्टर्स ने दिया अंजाम- प्राइवेट में लगते चार से पांच लाख रुपए दिल के मरीजों के लिए यह खबर राहत भरी हो सकती है. एसआरएन अस्पताल में अब बाइफर्केशन एंजियोप्लास्टी भी संभव है. यहां कार्डियोलाजी विभाग के डॉक्टरों ने यह करिश्मा कर दिखाया है. उन्होंने न केवल जटिल सर्जरी को अंजाम दिया बल्कि मरीज भी अब खतरे से बाहर है. सरकारी तंत्र में जटिल सर्जरी को अंजाम दिए जाने से मरीजों को भविष्य में इसका बड़ा लाभ मिल सकता है.दोनों नसों में था ब्लॉक


प्रयागराज (ब्यूरो)। कौशांबी के कोखराज थाना निवासी 42 साल के मरीज को नौ जून को हार्ट अटैक पड़ा था। आनन फानन में परिजन उसे एसआरएन अस्पताल के पीएमएसएसवाई की सुपर स्पेशलिटी विंग में लेकर आए थे। यहां तैनात कार्डियोलाजिस्ट डॉ। अभिषेक सचदेवा के नेतृत्व में मरीज की जांच की गई तो पता चला कि उसे दो नसें एक साथ ब्लॉक हैं और किसी एक का ब्लॉकेज ठीक करेंगे तो दूसरी नस खराब हो सकती है। ऐसे में डॉ। सचदेवा की टीम ने मिनी क्रश तकनीक द्वारा बाइफर्केशन एंजियोप्लास्टी को अंजाम दिया। इस तकनीक में मरीज की दोनों नसों का ब्लॉकेज हटा दिया गया। डॉक्टर्स का कहना है कि अब मरीज खतरे से बाहर है और अपने घर जा चुका है।महज दो स्टंट का लगा पैसा
डॉक्टर्स ने बताया कि अभी तक यह सर्जरी गिने चुने प्राइवेट अस्पतालों में संभव थी। इसमें तीन से चार लाख का खर्च आता है। दिल्ली और मुंबई में यह सर्जरी 7 से 8 लाख में होती है। जबकि एसआरएन में पहली बार हुई सर्जरी महज 80 से 90 हजार में हो गई। मरीज को केवल दो स्टेंट के पैसे ही देने पड़े। इस सर्जरी के शुरू होने से दिल के कई मरीजों को राहत मिल सकती है। क्योंकि ऐसे कई केसेज हैं जो अभी तक सरकारी अस्पतालों में हैंडल नही हो पा रहे थे। बेहतर साबित हो रही है विंगएसआरएन अस्पताल की पीएमएसएसवाई विंग में मरीजों को काफी राहत मिल रही है। यहां कार्डियोलाजी विभाग में एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी काफी कम खर्च में आसानी से हो रही है। जिसका लाभ अब तक सैकड़ों मरीज ले चुके हैं। एमएलएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। एसपी सिंह कहते हैं कि जल्द ही विंग में नई सुविधाओं की शुरुआत होने जा रही है। इससे मरीजों का काफी लाभ होगा। उन्होंने बताया कि आधुनिक ईसीजी की सुविधा भी जल्द सुपर स्पेशलिटी विंग में दी जाएगी।

Posted By: Inextlive