पुलिस मित्र ग्रुप बनाकर कांस्टेबल आशीष मिश्र मरीजों की बचा रहे जान-रक्तदान के लिए दूसरों को कर रहे हैं प्रेरित खुद भी 17 बार कर चुके हैं रक्तदानकिसान के बेटे आशीष मिश्रा की जिद थी कि उन्हें कुछ नया और बड़ा करना है. इसी जुनून और जिद को साकार करने के इरादे से वह प्रयागराज आए थे. यहां अफसर बनने का सपना लेकर तैयारी शुरू किए. हालात और संघर्षों ने उन्हें कोई भी नौकरी पाने के लिए मजबूर कर दिया. कोशिश रंग लाई और 2011 की भर्ती में वह कांस्टेबल बन गए. पुलिस की व्यस्त नौकरी के बावजूद कुछ नया और बड़ा करने का जुनून जेहर में जिंदा रहा. नौकरी के छह साल बाद खून की कमी से मरने वालों की जान बचाने की नींव रख दी. 'पुलिस मित्रÓ के नाम से मरीजों को ब्लड देकर उनकी जान बचाना शुरू कर दिए. प्रयास बड़ा और लोगों का सपोर्ट एवं संसाधन बिल्कुल नहीं थे. बावजूद इसके वह अकेले चलते गए और धीरे-धीरे कारवां बनता चला गया. अब तक उनके इस प्रयास की बदौलत दस हजार से भी ज्यादा लोगों की जान खून की कमी पूरी करके बचाई गई. खुद आशीष अब तक 17 बार ब्लड दान कर चुके हैं. पुलिस मित्र के बैनर तक अब कैंप लगाकर मरीजों के लिए ब्लड एकत्र किया जाता है.


प्रयागराज (ब्यूरो)। कांस्टेबल आशीष मिश्रा बताते हैं कि उन्होंने अपने इस जुनून और मिशन को नौकरी में कभी बाधा नहीं बनने दिया। जरूरत मंद मरीजों को ब्लड देकर जान बचाने के लिए सबसे पहले शुरुआत उन्होंने 2017 में वाट्सएप गु्रप बना कर की। पुलिस मित्र के नाम से बनाए गए इस वाट्सएप ग्रुप में उन्होंने अपने कुछ मित्रों को एड किया। ग्रुप पर जरूरत मंदों को आशीष खुद ब्लड देकर मरीजों की जान बचाते रहे। उनके द्वारा दिए गए ब्लड से जिनकी जान बची वह खुद पुलिस मित्र का हिस्सा बनकर दूसरों को ब्लड देने लगे। इस तरह कारवां बढ़ता गया। उनके इस पुनीत कार्य की जानकारी विभाग के अफसरों को हुई। अफसरों ने आशीष के इस कार्य की सराहना की और खुद अधिकारी पुलिस मित्र का हिस्सा बन गए। प्रयागराज में आईजी रहे कवीन्द्र प्रताप सिंह खुद ग्रुप के संरक्षण की भूमिका निभाने लगे। इसके बाद इस ग्रुप को जो मजबूती मिली वह पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गई। मरीज की जान बचाने के लिए ब्लड की तलाश में भटक रहे लोगों की मदद करके तेजी से होने लगी।


आज आशीष द्वारा शुरू किए गए पुलिस मित्र ग्रुप से प्रदेश भर में बीस से 25 हजार पुलिस और पब्लिक के लोग जुड़ गए हैं। आईजी कवीन्द्र प्रताप सिंह का ट्रांसफर होने के बाद अब आईजी डॉ। राकेश सिंह पुलिस मित्र के संरक्षक हैं। बताते हैं कि अब उन्होंने पुलिस मित्र नाम की साइट भी बना ली है। जरूरत मंद अब इसी साइट पर ब्लड के लिए ऑनलाइन मदद मांगते हैं और छानबीन के बाद उनके मरीज को ग्रुप के सदस्य ब्लड उपलब्ध कराते हैं। पुलिस मित्र के हैं नियम कानूनआईजी कार्यालय में तैनात कांस्टेबल आशीष मिश्र पुलिस मित्र ग्रुप जरूरत मंदों की ही मदद करता है। पिछले करीब छह माह से लांच पुलिस मित्र वेबसाइट के संचालन में वह बहुत समय नहीं दे पाते। इसके संचालन की जिम्मेदारी जनसेवा भाव के साथ चौक निवासी प्रवीण अग्रवाल ने संभाल रखी है। जरूरत मंद वेबसाइट पर ब्लड के लिए मदद मांगते हैं तो प्रवीण तुरंत उस व्यक्ति से बात करते हैं। यदि मरीज के परिवार में कोई है तो उसे तुरंत ब्लड दिया जाता है। जिन मरीजों के परिवार में ब्लड देने योग्य लोग हैं फिर भी नहीं देते। ऐसे मरीजों की मदद पुलिस मित्र तब तक नहीं करता जब तक मरीज के परिवार के सक्षम लोग खुद ब्लड नहीं देते।

आशीष कहते हैं यदि किसी मरीज को तीन यूनिट ब्लड चाहिए और घर में दो लोग हैं जो ब्लड दे चुके हैं। एक या इससे अधिक लगने वाला ब्लड मरीज देने के लिए परिवार में कोई नहीं तो आगे का सारा ब्लड पुलिस मित्र मरीज को उपलब्ध कराकर उसकी जान बचाता है।मरीज के घर वाले जो सक्षम होने के बावजूद ब्लड नहीं देते उन्हें पुलिस मित्र के लोग मोटिवेट करके ब्लड दिलाते हैं

Posted By: Inextlive