कॉलेज में प्रवेश से पहले 'सर्टिफिकेट के लिए जंग
प्रयागराज ब्यूरो ।कॉलेजों में एडमिशन का मौसम चल रहा है। तमाम कोर्सेज में दाखिला लेने के लिए अभ्यर्थियों को कागजी खानापूर्ति भी करनी पड़ती है। इन्हीं में एक मेडिकल सर्टिफिकेट भी शामिल है। लास्ट डेट से पहले इसे कॉलेज की विंडो पर जमा करना अनिवार्य है। प्रेशर के चलते यह सर्टिफिकेट बनवाना आसान नहीं रह गया है। डेंगू, मलेरिया और टाइफाइड के सीजन में मेडिकल सर्टिफिकेट में खून की जांच की रिपोर्ट लगाने में अभ्यर्थियों के पसीने छूट रहे हैं। उन्हें सीएमओ आफिस से अस्पताल के बीच बार-बार चक्कर काटना पड़ रहा है।
पांच दिन में खत्म हो जाएगी डेट
यूनिवर्सिटी से लेकर कॉलेज तक इस समय एडमिशन का सीजन चल रहा है। इसके अलावा बीटीसी, बीटेक, नर्सिंग, एएनएम, जीएनएम, बीएड, डीएलएड सहित दर्जनों कोर्सेज में भी दाखिले की प्रक्रिया चल रही है। इनमें से कई कोर्सेज की लास्ट डेट चार से पांच दिन में खत्म होने जा रही है। यही कारण है कि सीएमओ आफिस में सुबह से शाम तक मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने वालों लाइन लग रही है। बिना इस सर्टिफिकेट को जमा किए एडमिशन होना संभव नही है।
सुबह से शाम तक हो रहे परेशान
सीएमओ आफिस सुबह दस बजे खुलता है।
मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने में दर्जनों अभ्यर्थी सुबह से ही यहां लाइन में लग जाते हैं।
इस तरह से रोजाना 100 से 150 मेडिकल सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे हैं जो आम दिनों के मुकाबले बहुत ज्यादा है।
आवेदन करने के बाद उन्हे बेली अस्पताल से तीन जांच कराने को कहा जाता है।
इनमें आई टेस्ट, ईएनटी और ब्लड जांच शामिल है। गनीमत कि आई और ईएनटी जांच तो तत्काल हो जाती है लेकिन ब्लड टेस्ट कराने में दो से तीन दिन लग जा रहा है।
अस्पताल की विंडो पर लंबी लाइन लगे होने की वजह से ब्लड टेस्ट कराने में काफी समय लग रहा है।
कल है अवकाश, आज बना दीजिए
बुधवार को भी यही हालात रहे। बीएड के फस्र्ट फेज में एडमिशन ले रहे मयंक ने बताया कि मेरे पास तीन से चार दिन का समय बचा है। गुरुवार को ईद मिलादुन्नबी का सरकारी अवकाश है। इसलिए कोशिश है कि आज ही मेडिकल सर्टिफिकेट बन जाए। बीटीसी में प्रवेश के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने आए विवेक का भी यही कहना था। जब वह बेली अस्पताल ब्लड जांच कराने पहुंचे तो वहां काउंटर पर लंबी लाइन लगी थी। पूछने पर बताया गया कि सैंपल के लिए वेट करना होगा और ब्लड रिपोर्ट अब एक से दो दिन बाद मिलेगी। इस पर कई अभ्यर्थी घबरा गए। उनका कहना था कि मेडिकल सर्टिफिकेट की वजह से कहीं मिशन एडमिशन फेल न हो जाए।
वर्तमान में बेली अस्पताल की लैब के हालात भी ठीक नही है। महज एक मशीन से रोजाना 600 से 700 सैंपल की जांच हो रही है जो आम दिनों के चार गुने से अधिक है। लैब कर्मी बताते हैं कि इस समय डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड समेत कई संक्रामक बीमारियों का मौसम चल रहा है। ऐसे में रोजाना सैकड़ों सैंपल मरीजो के आ रहे हैं। यही कारण है कि ब्लड रिपोर्ट देने में थोड़ा समय लग रहा हे।
बॉक्स.प्राइवेट में जांच कराना काफी महंगा
हालांकि मेडिकल सर्टिफिकेट में शामिल खून की जांच प्राइवेट अस्पतालों या लैब से भी करवा सकते हैं।
इसके लिए 300 से 400 रुपए फीस देनी होगी। अभ्यर्थियों का कहना था कि इतना पैसा हमें घर से नही मिलता है।
हम तो निशुल्क मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने आए थे। झक मारकर इंतजार करना होगा।
उनका कहना था कि हमारे सर्टिफिकेट की स्वास्थ्य विभाग को कोई वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए।
काल्विन के भी यही हालात
कुछ अभ्यर्थी बुधवार को खून की जांच कराने काल्विन अस्पताल भी गए लेकिन कोई फायदा नही हुआ। वहां पर भी ब्लड जांच विंडो पर काफी भीड़ थी। पता चला कि सैंपल देने में दो घंटे तक लग जाएंगे। फिर ब्लड जांच रिपोर्ट एक से दो दिन में मिलेगी। इसके अलावा सीएमओ आफिस और काल्विन अस्पताल के बीच पांच किमी की दूरी भी काफी अधिक है। जिसे बार-बार तय करना आसान नही है।
फैक्ट फाइल
सीएमओ कार्यालय में रोजाना बनने वाले मेडिकल सर्टिफिकेट- 150
बेली अस्पताल में प्रतिदिन हो रही ब्लड जांच- 600 से 700
प्राइवेट लैब में खून की जांच की फीस- 300 से 400 रुपए
मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए जरूरी जांच- आई, नाक-कान-गला और ब्लड जांच रिपोर्ट
डॉ। आशु पांडेय, सीएमओ प्रयागराज
आम दिनों में 150 ब्लड जांच लैब में होती है। इस समय डेंगू मलेरिया का सीजन चल रहा है इसलिए सैंपल बढ़ गए हैं। एडमिशन के सैंपल भी आ रहे हैं। रोजाना चार गुना से अधिक सैंपल आने की वजह से रिपोर्ट देने में थोड़ा समय लग रहा है।
डॉ। उत्तम सिंह, प्रभारी पैथोलाजी, बेली अस्पताल प्रयागराज
अमित कुमार, अभ्यर्थी इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाना चाहिए। अस्पताल वाले कह रहे हैं एक ही मशीन है और सैंपल ज्यादा है। प्राइवेट में जांच कराने का पैसा छात्रों के पास नही है।
शुभम, अभ्यर्थी