भारतीय न्याय संहिता में व्यापक फेरबदल से लॉ स्टूडेंट्स के सामने हो गया सबकुछ नया नए कानून को लेकर विधि छात्रों की राय जानने दैनिक जागरण आईनेक्स्ट पहुंचा उनके बीचसिलेबस में नया कानून है और पुराना पढऩे का बहुत मतलब रहा नहीं ऐसे ही जेहन में उठ रहे तमाम सवाल

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। भारत में एक जुलाई सोमवार से लागू किए गए तीन नए क्रिमिनल कानून विधि छात्रों के सामने चुनौती से कम नहीं है। इस कानून को लेकर विधि छात्रों के बीच सुबह से ही चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। अब आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता, सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और 1872 इंडियन ऐविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य संहिता लागू किया गया है। इस नए कानून को लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट द्वारा इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के शताब्दी ब्वायज हॉस्टल में रहने वाले व ईश्वरशरण डिग्री कॉलेज के छात्रों से बात की गई। इस दौरान छात्रों ने क्या कुछ कहा आइए जानते हैं।

क्या कहते हैं विधि छात्र जानिए आप
विधि छात्रों के ने कहा कि इस नए कानून से हमारे से सामने एक कन्फ्यूजन क्रिएट हुआ है। वह ये है कि हम विधि के छात्र पढ़ाई नए कानून करें या पुराने की? क्योंकि सिलेबस में अभी सब कुछ पुराना ही है। पुराना कानून पढ़ेंगे तो आगे चलकर उसका कोई यूज होगा नहीं। लागू हुआ नया भारतीय क्रिमिनल लॉ सिलेबस में है नहीं। छात्रों ने कहा कि यह एक गंभीर व चर्चा का विषय है। सरकार को नया कानून लागू करने से पहले देश के करोड़ों विधि छात्रों की समस्या पर भी ध्यान देना चाहिए था, जो नहीं दिया गया। हालात को देखते हुए ऐसा लगता है कि विधि छात्रों को दोनों ही कानून पढऩे होंगे। क्योंकि पुराने कानून के तहत दर्ज मुकदमें नए कानून के बेस पर तो चलेंगे नहीं। नई धाराओं में जो केस दर्ज होंगे व नए कानून के बेस पर कोर्ट में चलेंगे। विधि की पढ़ाई पूरी करने के बाद जो छात्र प्रैक्टिस करने जाएंगे, वह ये बात नहीं कह सकते हैं कि पुराने कानून की पढ़ाई वे नहीं किए, सिर्फ नए विधि से दर्ज केस ही लेंगे। ऐसी स्थिति में लगता है कि दूनी मेहनत के साथ अब हम छात्रों को नया और पुराना दोनों कानून पढऩा होगा। इससे विधि छात्रों को दोहरी मेहनत तो करनी ही पड़ेगी वक्त भी अधिक देना होगा।

भरतीय न्याय संहिता 2023 के लागू होने से विधि छात्रों के सामने थोड़ा पशोपेश की स्थिति है। आज हम इसी बात पर आपस में डिस्कस कर रहे थे। हम छात्रों को टेंशन इस बात की है कि अब पढ़ें क्या और कैसे। नया कानून सिलेबस में है नहीं, पुराना पढऩे का कोई मतलब नहीं है।
विपुल प्रजापति, विधि छात्र इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

नए भारतीय न्याय संहिता में कई ऐसी बातें शामिल हैं जिससे न्याय की गति में तेजी आएगी। पहले क्या था कि चार्जशीट 90 लगाना होता था। मगर पुलिस कोई न कोई कोई बहाना बताकर लटका देती थी। अब ऐसा नहीं होगा। चार्जशीट की समय सीमा बढ़ा दी गई है। विलंबर पर जिम्मेदारी भी तय की गई है।
अभय बाजपेयी, विधि छात्र इलाहाबाद यूनिवर्सिटी


पहले इंडियन पैनल कोड, इंडियन एविडेंस एक्ट व क्रिमिनल प्रोसीजर कोड हुआ करता था। अब भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम आ गया है। यह वक्त की जरूरत भी थी। क्योंकि सौ साल पुराने कानून में आज आधुनिक अपराधों का जिक्र नहीं था जो आज प्रचलन में है। कानून नया है तो इसे पढऩे व समझने में थोड़ा वक्त तो लगेगा ही।
लक्ष्य चतुर्वेदी, विधि छात्र ईश्वरशरण डिग्री कॉलेज

नए कानून में सरकार के द्वारा ब्रिटिश कॉल के पुराने टर्म हटा दिए गए हैं। नए कानून आज की मौजूदा जरूरतों के आधार पर बनाए गए हैं। कानून नया है तो समझने में वक्त लगना स्वाभाविक है। पास हाउट हो चुके छात्रों के सामने इस कानून को पढऩे व समझने का बड़ा चैलेंज होगा। क्योंकि पढ़ाई तो वे पुराने कानून की किए हैं। अभी वही पढ़ाया जा रहा है।
प्रशांत सिंह यादव, विधि छात्र इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

कानून में परिवर्तन का होना जरूरी था। मगर इसके पूर्व विधि छात्रों की समस्याओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए था। क्योंकि छात्र पुराने कानून को पढ़ रहे हैं। नए कानून की पढ़ाई का अभी कोई जिक्र तक शुरू नहीं हुआ है। ऐसे में समस्या यह है कि जब इस नए कानून को पढ़ेेंगे तो जानेंगे कैसे। समझ यह नहीं आ रहा कि अब पुराना कानून पढ़ाया जाएगा या नया।
प्रीथू शुक्ला, विधि छात्र इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

देखिए हम विधि छात्रों को नए व पुराने दोनों ही कानून पढऩे होंगे। क्योंकि पुराने केस तो पुरानी धारा पर ही चलेंगे। नया कानून नए मुकदमों पर लागू होगा। ऐसी स्थिति में दोनों कानूनों की पढ़ाई करनी पड़ेगी। इस लिए अब छात्रों को इसे पढऩे में दोहरी मेहनत करनी होगी। हालांकि नया कानून अभी सिलेबस में आया नहीं। पुराना कानून पढऩे का बहुत लाभ अब दिख नहीं रहा है।
आनन्द तिवारी, विधि छात्र इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

हम विधि छात्रों के सामने सामने इस नए कानून से कई सवाल खड़े हो गए हैं। प्रश्न यह है कि जो इस वर्ष पासआउट हुए हैं। यदि उनके कंपटीशन में नए कानून से रिलेटेड सवाल पूछे गए तो वे जवाब कैसे देंगे। विधि की पढ़ाई में इस नए कानून को लेकर क्रिएट हुए कन्फ्यूजन को सरकार को क्लियर करना चाहिए। जब पुराने कानून का मतलब ही नहीं रहा तो उसे हमें पढ़ाया क्यों जाएगा?
अभिषेक मौर्य, विधि छात्र इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

नए कानून साक्ष्य से रिलेटेड नियमों को सख्त सर्व सुलभ बनाने की कोशिश की गई है। इस कानून के लागू होने से धाराओं का सिक्वेंस बिगड़ गया है। ऐसे में अब इसे यादव करने व समझने में भी कठिनाई होगी। क्योंकि पुराने कानून हर किसी को रट गए थे। नए विधि छात्रों फस्ट व सेकंड सेमेस्टर के छात्रों को इसे समझने में थोड़ी आसानी होगी। मगर इसके ऊपर के सेमेस्टर में पढ़ रहे छात्रों को कठिनाई का सामना करना होगा।
ज्योतिष कुमार सिंह, विधि छात्र इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

Posted By: Inextlive