इंस्पेक्टर के खिलाफ विभागीय कार्रवाई पर रोक
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से किया जवाब तलब
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नोएडा के सेक्टर-20 थाना में तैनात रहे इंचार्ज पुलिस इंस्पेक्टर मनोज पंत के खिलाफ चल रही विभागीय कार्रवाई पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब तलब किया है। यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने पुलिस इंस्पेक्टर मनोज पंत की याचिका पर दिया है। भ्रष्टाचार के आरोप में चल रहा केसयाची वर्तमान में जनपद महराजगंज में इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। नोएडा में भ्रष्टाचार के मामले में याची के खिलाफ चल रहे केस के आधार पर चार्जशीट देकर अधिकारियों ने विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी है। 19 सितंबर, 2019 के आदेश से याची के खिलाफ उत्तर प्रदेश अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की (दंड एवं अपील नियमावली 1991) के नियम 14 (1) के तहत कार्रवाई करते हुए याची को आरोपपत्र दिया गया है। आरोप था कि उन्होंने अभियुक्तों को लाभ पहुंचाने के लिए दो लाख रिश्वत ली। उन्हें साथ गिरफ्तार किया गया था। याची के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम व अतिप्रिया गौतम का तर्क था कि याची के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई आपराधिक केस के आधार पर की जा रही है। जो सुप्रीम कोर्ट के कैप्टन एम। पाल एंथोनी व पुलिस रेगुलेशन के पैरा 492 व 493 के खिलाफ है। वकीलों का तर्क था कि जब आपराधिक व विभागीय कार्यवाही एक ही आरोपों को लेकर चल रही है तो विभागीय कार्रवाई आपराधिक केस के निस्तारण तक स्थगित रखी जाए।
तीन मीडियाकर्मी भी हुए थे नामजद मामले के अनुसार 30 जनवरी, 2019 को याची व तीन अन्य मीडियाकर्मी को भ्रष्टाचार के मामले में मुकदमा दर्ज करके गिरफ्तार कर लिया गया था। इस पर तत्कालीन एसपी गौतमबुद्ध नगर ने याची को सस्पेंड कर दिया था। याची ने निलंबन को हाई कोर्ट में चुनौती दी। निलंबन को विधि विरुद्ध मानते हुए कोर्ट ने रद कर दिया था। याची का नोएडा से गोरखपुर जोन तबादला कर दिया गया। फिर वहां से संतकबीर नगर और वर्तमान में वह महाराजगंज में कार्यरत है।