वाइस चांसलर आरबी लाल सहित आठों लोगों पर है नियमों के विरुद्ध नियुक्ति करने का आरोपसत्र न्यायाधीश की अदालत में जमानत अर्जी पर हुई सुनवाई दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं ने रखा अपना पक्ष

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। सैम हिग्गिन वाटम यूनिवर्सिटी यानी शुआट्स में हुई फर्जी नियुक्ति मामले में वाइस चांसलर रहे प्रोफेसर डा। आरबी लाल सहित आठ आरोपितों की जमानत अर्जी कोर्ट ने खारिज कर दी। इन सभी की ओर से दिए गए जमानत प्रार्थना पत्र पर शुक्रवार को सत्र न्यायाधीश संतोष राय की अदालत में सुनवाई हुई। न्यायाधीश के द्वारा दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की दलील को सुना व पत्रावलियों में उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन किया गया। इसके बाद न्यायाधीश ने मामले में आठों आरोपितों को जमानत देने का आधार अपर्याप्त पाया।

एसटीएफ ने लिखाया मुकदमा
वर्ष 1984 से 2017 के बीच शुआट्स में प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसरों सहित अन्य की नियुक्ति कुलपति के द्वारा की गई थी। आरोप हैं कि इस नियुक्ति को करते वक्त वाइस चांसलर रहे प्रो। आरबी व उनके अधीनस्थों के द्वारा नियमों को ताक पर रख दिया गया। मामले में दिवाकर नाथ त्रिपाठी के द्वारा शिकायत शासन में की गई थी। प्रकरण की जांच एसटीएफ के पुलिस उपाधीक्षक नावेन्दु कुमार को मिली थी। जांच के बाद आरोप साबित पाए जाने पर पुलिस उपाधीक्षक एसटीएफ नावेन्दु के जरिए नैनी में केस दर्ज कराया गया। दर्ज कराए गए इस मुकदमें में आरोपित रहे प्रो। जेए ओलिवर, वाइस चांसलर प्रो। आरबी लाल डायरेक्टर आईक्यूएए प्रो। एके ए लारेंस, प्रो फाइस चांसलर एसबी लाल, डायरेक्टर विनोद बी लाल, डीन बिजनेस स्टडीज एण्ड कामर्स एण्ड डायरेक्टर प्रो। स्टीफेन दास, प्रो। मो। इम्तियाज व प्रो। रंजन जान मुख्य आरोपित बनाए गए थे। इन सभी की ओर से सत्र न्यायाधीश संतोष राय की अदालत में जमानत के लिए अर्जी दी गई थी। शुक्रवार को इनकी अर्जी पर अदालत में सुनवाई हुई।

कोर्ट के समक्ष जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी व आरोपितों के अधिवक्ताओं ने अपना अपना पक्ष प्रस्तुत किया। जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी की ओर से जमानत का घोर विरोध किया गया। उन्होंने कहा कि मामला गंभीर प्रकृति का व सरकार के नियमों को ताक पर रखते हुए की गई नियुक्ति जैसे मामले सभी आरोपित हैं। कुलपति एवं उनके सहयोगियों ने मिलकर 1984 से 2017 तक प्रोफेसरों व असिस्टेंट प्रोफेसरों की 69 नियुक्ति अवैध एवं नियम विरुद्ध की गई। साथ ही शासन के धन का दुरुपयोग किया गया। इस तरह दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों सुनने व मौजूद साक्ष्यों को देखते हुए न्यायाधीश ने उक्त सभी आठों आरोपितों की जमानत अर्जी खारिज कर दी।


शुआट्स में हुई फर्जी नियुक्ति के आठ आरोपितों द्वारा जमानत के लिए कोर्ट में अर्जी दी गई थी। मेरे द्वारा एसटीएफ के जरिए दर्ज कराई गई रिपोर्ट से जुड़े तथ्य कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया। दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं को सुनने के बाद न्यायाधीश आरोपितों की जमानत अर्जी खारिज कर दिए।
गुलाबचद्र अग्रहरि, जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी

Posted By: Inextlive