लखनऊ के लॉ मॉटिनियर स्कूल में टीचर हैं शालिनी, अनाथालय में रह रही सरस्वती को लिया गोद

दी अंडरटेकिंग, शादी नहीं करुंगी, बच्ची का पालन-पोषण होगी जिम्मेदारी

ढाई साल की अनाथ सरस्वती को शनिवार को शालिनी की गोद मिल गयी। इसके साथ ही उसका नाम भी बदल गया है। अब उसे वैष्णवी के नाम से जाना जाएगा। कल तक अनाथालय में लावारिस की तरह रही सरस्वती की जिंदगी ने शनिवार को पूरी तरह से यू टर्न ले लिया। अपनाने वाली एक टीचर है। उनसे सरस्वती को यह हलफनामा दाखिल करके अपनाया है कि बच्ची के पालन-पोषण के लिए वह अब शादी नहीं करेंगी।

वाराणसी की संस्था में थी बच्ची

लावारिस मिली सरस्वती को प्रयागराज शेल्टर होम में स्पेश न होने के कारण वाराणसी के एक एनजीओ को एक साल पहले सौपा गया था। एक माह पहले महिला टीचर को सरस्वती को गोद लेने की परमिशन दी गई। इसके बाद वह शनिवार को मां के साथ प्रयागराज पहुंची। बच्ची को भी वाराणसी से यहां बुलाया गया था। बच्ची गोद में लेने के बाद शालिनी ने कहा कि आज उन्हें जीने का मकसद मिल गया है। वह हाई स्कूल में थी तभी बच्चा गोद लेने का मन बना लिया था। अब हजरतगंज की ला माटिनियर ग‌र्ल्स कॉलेज में टीचर हैं और बच्ची को गोद लेने के लिए स्वतंत्र हैं। उनके साथ बच्ची को लेने उनकी मां भी आई थीं। उन्होंने कहा कि बुढ़ापा अब चैन से कट जाएगा। उनकी गोद में खेलने वाला कोई घर आ गया है।

गोद में आते ही बोली मम्मी

गोद में आते ही सरस्वती ने शालिनी को मम्मी बोला और इसके बाद उसका नाम बदलकर वैष्णवी रख दिया गया। शालिनी ने कहा कि कानूनन यह जरूरी होता है और इस समय हमारे पास कोई पंडित मौजूद नही है। इसलिए हमने अपनी ओर से वैष्णवी नाम रख दिया है। पिछले पांच दिन में ही ग्रेटर नोयडा की एक दंपति ने दो साल की आकांक्षा और आठ साल के दिव्यांग को डेनमार्क की फैमिली ने गोद लिया है।

Posted By: Inextlive