इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में फ्रेंच रशियन और जर्मन भाषा के हैं सेपरेट सेंटरसभी कोर्स में फिक्स हैं सीटें ग्लोबलाइजेशन ने बढ़ाया है फॉरेन लैंग्वेज का क्रेज

प्रयागराज ब्यूरो । ग्लोबलाइजेशन के दौर में छात्रों की स्ट्रेंथ को स्ट्रांग बनाने के लिए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने एक फैसला लिया है विदेशी भाषाओं में पीएचडी कराने का। डिमांड के बेस पर लिये गये रिसर्च कराने पर फैसले पर यूनिवर्सिटी ने कदम बढ़ाया तो हमने जानने की कोशिश की कि आखिर इन कोर्सेज की इनीशियल लेवल पर स्टेटस क्या है। मसलन इनके डिपार्टमेंट हैं या नहीं। एडमिशन कैसे होता है। फीस कितनी है। एडमिशन कब होता है? जवाब में यूनिवर्सिटी का परफेक्शन सामने आया। पता चला कि उसने पूरी तैयारी के साथ कोर्स को इंट्रोडयूज करने का फैसला लिया है।

सर्टिफिकेट और डिप्लोमा की डिग्री
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में छात्रों के लिए तीन भाषाओं को सिखाने के लिए सेंटर खोल रखा है। जिसमें जर्मन, फ्रेंच और रशियन भाषा को पढ़ाया जाता है। अभी इन भाषाओं मे प्रवेश के लिए छात्रों का पंजीकरण विभाग में हो रहा है। हर भाषा के लिए यूनिवर्सिटी में 80 80 सीटें है। इसमे प्रवेश लेने वाले छात्रों को सर्टिफिकेट और डिप्लोमा का प्रमाणपत्र दिया जाएगा। इसके पहले छात्रों को सर्टीफिकेट का लेवल पास करना होगा। जिसके बाद छात्रों को डिप्लोमा में प्रवेश मिलेगा।

इंटरनेशनल स्टैंडर्ड पर छह लेवल
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के यूरोपियन लैंग्वेज विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डा कंचन चक्रवर्ती ने बताया कि इंटरनेशनल स्टैंडर्ड पर भाषा के छह लेवल होते हैं। यूनिवर्सिटी में छात्रों को बेसिक लेवल की जानकारी दी जाती है। सबसे लोवेस्ट लेवल ए1 है और सबसे हाईयेस्ट लेवल सी2 है। छात्रों को यूनिवर्सिटी मे बेसिक लेवल की पढाई कराई जाती है। डॉ कंचन चक्रवर्ती का कहना है कि फ्रेंच, रशियन और जर्मन इन तीनों में से फ्रेंच भाषा को
अधिकांश छात्रों द्वारा चुना जाता है।

ये हैं छह लेवल
ए1
ए2
बी1
बी2
सी1
सी2

इन भाषाओं के लिए अलग से फीस
फॉरेन लैंग्वेज कोर्स को ज्वाइन करने के लिए यूनिवर्सिटी के ही छात्र इंरोलमेंट करा सकते है। यूनिवर्सिटी ने इसके के लिए अलग फीस निर्धारित कर रखी है। प्रत्येक छात्र से 600 रुपए वसूल किये जाते हैं। कोई भी फॉरेन लैंग्वेज पढऩे के लिए चूज करने के लिए एडमिशन के समय ही आप्शन पर टिक करना होता है। इसके बाद फीस आटो मोड में फीस कट जाती है।

80
सीटें हैं फ्रेंच, रशियन और जर्मन भाषा कोर्स में
600
रुपये निर्धारित है फीस
03
सेंटर चलते हैं एयू में लैंग्वेज के

सभी के लिए सेपरेट टीचर
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के फॉरेन लैंग्वेज सेंटर में छात्रों को इन भाषाओं को पढ़ाने के लिए तीन आचार्य की नियुक्ति की गई है। फ्रेंच भाषा के लिए डा कंचन चक्रवर्ती, जर्मन लैंग्वेज के लिए डॉ प्रशांत पांडेय और रशियन लैंग्वेज पढ़ाने के लिए डॉ मोना अग्निहोत्री को रिक्रूट किया गया है। इन डिपार्टमेंट में रिस्पांस अपेक्षा के अनुरूप नहीं है। पड़ताल में पता चला कि शुरुआती दौर में जब छात्र यूनिवर्सिर्टी आते हैं वे इन कोर्सेज में दिलचस्पी दिखाते हैं। जैसे जैसे उन पर रेग्युलर कोर्स का प्रेशर बनता जाता है, वह इन सेंटरों से दूरी बनाते दिखायी देने लगते हैं।

तीन लैंग्वेज की क्यों
सूत्र बताते हैं कि इन तीन लैंग्वेज का सेलेक्शन दुनियां में बोली जाने वाली भाषाओं के बेस पर किया जाता है। कौन सी लैंग्वेज दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाती है, इस पैरामीटर को चेक करने के बाद यह भी पता चला कि इन लैंग्वेज को जानने के बाद छात्र के कॅरियर पर क्या प्रभाव पडऩे वाला है। इसमें सबसे ऊपर यही तीन लैंग्वेज आती हैं। मल्टीनेशनल कंपनियों के लेवल पर भी ये तीनो कंट्री और उसकी लैंग्वेज सबसे रखती हैं।

एडमिशन के समय लैंग्वेज कोर्स में छात्रों की संख्या ज्यादा होती है। छात्रों के ऊपर उनके मेन कोर्स का लोड ज्यादा होता है। समय-समय बढऩे के साथ छात्रों की रुचि कम होने के साथ उनकी संख्या भी धीरे-धीरे कम होने लगती है।
प्रोफसर डा कंचन

Posted By: Inextlive